बस्तर बना चुनावी रणनीति का अखाड़ा

0
65
  • कांग्रेस – भाजपा के नेता बस्तर की धरती पर आकर बना रहे हैं रणनीति

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर की धरती छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख राजनैतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बनाने के अखाड़े में तब्दील हो गई है। लगता है बस्तर की आबोहवा दोनों दलों को रास आ गई है और यहां बैठकर लिए जाने वाले फैसले शायद इन दलों को पूरे राज्य में सियासी प्रदूषण से मुक्ति दिला सकते हैं। यही वजह है कि यहां दोनों दलों के आला नेताओं की आमदरफ्त लगातार बनी हुई है। छत्तीसगढ़ के सत्ता शीर्ष पर पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी बस्तर ही है। बस्तर संभाग में आदिवासियों का एकछत्र साम्राज्य है। आदिवासियों की आबादी संभाग में लगभग 80 फीसदी है। जबकि पूरे राज्य में आदिवासियों की अच्छी खासी आबादी है। ऐसे में जाहिर है कि आदिवासियों को साधकर ही सत्ता शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है। इसीलिए आदिवासी बहुल बस्तर संभाग की धरती दोनों दल राजनीतिक प्रयोग करने और सियासी रणनीति बनाने की प्रयोगशाला बनी हुई है। कुछ दिनों पहले कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम तथा अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बस्तर संभाग के सभी बारह विधानसभा क्षेत्रों में धुआंधार बैठकें कर चुके हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जगदलपुर में आयोजित भरोसे का सम्मेलन में भाग ले चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बस्तर आगमन अमूमन हर माह होता है।

बस्तर में बिखरी है ‘दीपक’ की रौशनी

कांग्रेस समाज के सभी तबकों को साधने में लगी हुई है। बस्तर के युवा सांसद दीपक बैज की राजनीति की शुरुआत छात्र नेता के रूप में हुई थी। उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता आज भी छात्र छात्राओं और युवाओं के बीच बराबर बनी हुई है। श्री बैज आम नागरिकों तथा सभी समुदायों के बीच लोकप्रियता उतनी ही है, जितनी कि आदिवासी समाज में। दीपक बैज स्वयं आदिवासी समुदाय के हैं और उच्च शिक्षित हैं। वे आदिवासियों के उत्थान और कल्याण के लिए लगातार काम करते रहते हैं। संसद में भी वे बस्तर के हित में हमेशा आवाज उठाते रहते हैं। बस्तर में कांग्रेस की पैठ को मजबूत करने में बैज के अहम योगदान को कतई नकारा नहीं जा सकता।

सक्रिय हैं सभी बारह विधायक

बस्तर संभाग की सभी बारह विधानसभा सीटों पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। इनमें से 11 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि एकमात्र जगदलपुर विधानसभा सीट सामान्य है और इस सीट का प्रतिनिधित्व फिलवक्त कांग्रेस के युवा विधायक रेखचंद जैन कर रहे हैं। बस्तर की सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा सीट कोंटा सुकमा है, जहां के विधायक कवासी लखमा छत्तीसगढ़ सरकार में उद्योग, आबकारी एवं वाणिज्य मंत्री हैं। कोंटा सुकमा में लखमा की तूती बोलती है। सर्वहारा वर्ग के नेता के रूप में उनकी अच्छी पहचान और पैठ स्थापित हो चुकी है। बस्तर सीट से लखेश्वर बघेल, चित्रकोट से राजमन बेंजाम, नारायणपुर से चंदन कश्यप, बीजापुर से विक्रम मंडावी, दंतेवाड़ा से देववती कर्मा, कोंडागांव से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, केशकाल से संतराम नेताम, कांकेर से शिशुपाल सोरी, भानुप्रतापपुर से सावित्री मंडावी, अंतागढ़ से अनूप नाग विधायक हैं। इन सभी की सक्रियता कमोबेश बराबर बनी हुई है।

भाजपा नेता भी बहा रहे हैं पसीना

चुनावी तैयारी में भाजपा भी पीछे नहीं है। भाजपा के नेता भी बस्तर में जमकर पसीना बहा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश महामंत्री संगठन पवन साय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और संभाग प्रभारी संतोष पाण्डेय बस्तर संभाग के सभी 7 जिलों का दौरा करते ही रहते हैं। महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी बस्तर संभाग से ही हैं। भाजपा के ये सभी बड़े नेता और संभाग के 12 विधानसभा क्षेत्रों में धुआंधार बैठकें कर भाजपा की जमीनी हकीकत का अवलोकन कर विशेष रणनीति तैयार कर चुके हैं।

आरएसएस ने भी झोंक दी है ताकत

भाजपा के लिए बस्तर में जमीन तैयार करने में आरएसएस ने भी ताकत झोंक दी है। इसी कड़ी में 28 जून को बस्तर संभाग के 7 जिलों में कार्यरत आरएसएस के सभी अनुषांगिक संगठनों के 7-7 प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में प्रारंभ हुई। बैठक में मार्गदर्शन देने के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दीपक बीसपुते एवं प्रांत प्रचारक प्रेम सिंह सिद्धार्थ के साथ की भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और प्रदेश महामंत्री संगठन पवन साय भी पहुंचे थे। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक इस बैठक को काफी गोपनीय रखा गया था और आमंत्रित लोगों को निर्देश दिया गया कि बैठक की बात बाहर नहीं जानी चाहिए। इस बैठक में नवंबर में होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव और अप्रैल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति पर गंभीर चर्चा हुई, ऐसा सूत्र बता रहे हैं।