लाखों रु. फूंक डाले, पर खड़का पंचायत में गोठान का पता नहीं

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  • दस्तावेजों में पूर्ण दर्शाकर पंचायत सचिव ने डकार लिए लाखों रुपए
  • गांव में आज तक शुरू नहीं हो सकी है गोबर की खरीदी

अर्जुन झा

बस्तर राज्य की भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं का किस तरह मटियामेट किया जाता है, इसका ताजा उदाहरण बस्तर विकासखंड की ग्राम पंचायत खड़का में देखने को मिला है। यहां गोठान योजना कागज पर चल रही है। गांव के पशु पालकों और महिला समूहों को गोठान और गोधन न्याय योजना का जरा भी लाभ नहीं मिल रहा है। इस योजना की आड़ में पंचायत सचिव और सरपंच अपनी तिजोरी जरूर भर रहे हैं।बस्तर जनपद पंचायत के अधीन ग्राम पंचायत खड़का के पंचायत सचिव की मनमानी और भर्राशाही के चलते गांव में गोठान योजना अब तक धरातल पर साकार नहीं हो सकी है। पंचायत के कागजी दस्तावेजों में ही गोठान संचालित हो रहा है। योजना के नाम पर सरकारी खजाने के लाखों रुपए फूंके जा चुके हैं, बावजूद गोबर खरीदी और जैविक खाद निर्माण अब तक शुरू नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पंचायत सचिव ग्रहण लगाने पर आमादा हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत बस्तर जिले के गांव -गांव में गौठान निर्माण किया गया है। ज्यादातर गांवों में यह योजना सफलता पूर्वक संचालित हो रही है। महिला समूहों द्वारा गोठानों का संचालन और पशु पालकों से गोबर की खरीदी की जा रही है। गोबर से जैविक खाद गोठानों में ही बनाई जा रही है। इससे जहां पशु पालकों और किसानों को गोवंश के गोबर से अतिरिक्त आमदनी हो रही है और कृषि के लिए अल्प राशि में उत्कृष्ट जैविक खाद मिल रही है, वहीं स्व सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को भी रोजगार और आय का बढ़िया जरिया मिल गया है। ग्राम पंचायत खड़का में इस योजना के तहत लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, किंतु गोठान निर्माण के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार के चलते योजना लगभग दम तोड़ चुकी है। ग्राम पंचायत खड़का में पंचायत सचिव की निगरानी में गोठान निर्माण के नाम पर दस प्रतिशत काम कराकर पूरी रकम हजम कर ली गई। खड़का में जंगल के बीच गोठान बनाने का काम शुरू किया गया था।सीमेंट का महज एक टैंक बनाकर छोड़ दिया गया है। मवेशियों के लिए शेड, केंचुआ पालन इकाई और खाद निर्माण हेतु टंकियों का निर्माण ही नहीं कराया गया है। मौके पर खस्ताहाल पड़ा टैंक, टूटी फूटी इंटें और थोड़ी सी रेत का ढेर भर नजर आ रहे हैं। तथाकथित गोठान में झाड़ियां उग आईं हैं और टैंक इन झाड़ियों के बीच छुप गया है। ग्रामीण बताते हैं कि यहां आज तक रत्तीभर भी गोबर की खरीदी नहीं की जा सकी है। जिला प्रशासन और जनपद पंचायत के अधिकारियों द्वारा मानिटरिंग नहीं की जाने से सचिव अपनी मनमानी करते आ रहे हैं। ग्राम पंचायत के अन्य निर्माण कार्यों में भी जमकर अनियमितता बरती गई है और जारी निर्माण कार्यों में भी यह सिलसिला चल रहा है। शासकीय राशि की गड़बड़ी धड़ल्ले से चल रही है।