हर गांव की विशिष्ट पहचान को सहेज रहे हैं विधायक बघेल

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  • देवगुड़ी और मातागुड़ियों में हर सुविधा उपलब्ध कराई जा रही
  • ग्रामीणों ने एक दिन पहले धूमधाम से मनाया लखेश्वर बघेल का बर्थडे

बकावंड विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने अपने निर्वाचन क्षेत्र की विशिष्ट पहचान को सहेजने का बीड़ा उठायाहै। वे गांवों की देवगुड़ी एवं मातागुड़ियों का कायाकल्प तो करा ही रहे हैं, वहां तमाम सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं। विधायक लखेश्वर बघेल ने ग्राम दुबे उमरगांव के बालक छात्रावास में अतिरिक्त कक्ष का लोकार्पण किया। जिला खनिज संस्थान मद के 11.56 लाख रूपए की लागत से यह कक्ष तैयार हुआ है। नवागुड़ा पारा में गांव गोसिन परदेशीन माता मंदिर का लोकार्पण बस्तर विधायक द्वारा किया गया। इस मंदिर के निर्माण के लिए खनिज संस्थान मद से 5 लाख रूपए कि स्वीकृति विधायक ने दी थी। दुबे उमरगांव के अलग- अलग समुदायों को उनकी मांग के अनुरूप विधायक की अनुशंसा पर बर्तन एवं अन्य सामग्री का वितरण किया गया। ग्रामवासियों ने विधायक बघेल का जन्मदिन एक दिन पूर्व कार्यकर्त्तााओं के साथ मनाया।

बघेल ने ग्रामवासियों का आभार व्यक्त किया। बस्तर अंचल के हर गांव में एक देवगुड़ी है। गांव की एक विशिष्ट देवी या देवता हैं। पुजारी यहां हर खास मौके पर अनुष्ठान करते हैं। इन देव स्थलों के संरक्षण का बीड़ा बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने उठाया है। इस अवसर पर लखेश्वर बघेल कहा कि देवगुड़ी का निर्माण ग्रामवासियों की मंशानुरूप ही किया गया है। शासन की मंशा के अनुरूप देवगुड़ी में वे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे आदिवासी समाज के लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर अपने अनुष्ठान या धार्मिक कार्य को बेहतर तरीके से कर सकेंगे। विधायक ने कहा कि आदिवासी हमारे देश की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, लोक जीवन के संवाहक हैं। आदिवासी समाज आज भी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति को सहेजने में लगा हुआ है। आदिम सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। 18 ग्रामीणों को वन अधिकार प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना के तहत वनाधिकार पट्टा दिए जाने से वन भूमि पर काबिज लोगों को बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार के संवेदनशील निर्णयों से वनपुत्रों को जंगल- जमीन का मालिकाना हक मिल रहा है। वनभूमि के स्वामित्व को लेकर उनकी चिंता दूर हो गई है।श्री बघेल ने कहा कि आदिवासी बहुल बस्तर में देवगुड़ियों का बड़ा महत्व है। इन देवगुड़ियों में बैगा, गुनिया, पुजारी, मांझी को विशेष दर्जा प्राप्त है। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार इन्हे राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत हर साल 7 हजार रुपए की राशि दे रही है। कार्यक्रम में फतेहसिंह परिहार, प्रेमशंकर शुक्ला, सरपंच रामया राम मौर्य, रूपेंद्र भंडारी, शोभा राम, केशबो मौर्य, लक्ष्मण सिंह, धर्मेंद्र ध्रुव, सुखराम, जितेंद्र तिवारी, राजेश कुमार, एवं समस्त कार्यकर्त्ता व ग्रामवासी उपस्थित थे।