भिलाई इस्पात संयंत्र के द्वारा वाच एंड वार्ड (अन-आर्म्ड) सुरक्षा गार्ड्स के लिए निविदा निकाली जाती है जिसमें राजहरा खदान के विभिन्न प्रतिष्ठानों के देख-रेख हेतु आवश्यक सुरक्षा गार्ड्स के लिए भी निविदा सम्मिलित है। उक्त प्रक्रिया विगत कई वर्षों से चली आ रही है और सुरक्षा कर्मियों को भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार के तय न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है। प्रबंधन के इस कृत्य को गलत मानते हुए भा.म.सं. द्वारा विरोध किया गया और इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए भा.म.सं. से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के अध्यक्ष (केंद्रीय) एम.पी.सिंह ने बताया कि यहाँ यह गौर करने की बात है कि वाच एंड वार्ड (अन-आर्म्ड) सुरक्षा गार्ड्स का कार्य केंद्र सरकार द्वारा सूचीबद्ध रोजगार के श्रेणी में आता है और इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा शहर के आधार पर न्यूनतम वेतन तय किया गया है।
खदान में कार्यरत सभी सुरक्षा गार्ड्स से सम्बंधित किसी भी तरह के विवाद के निराकरण के लिए उप मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर का कार्यालय अधिकृत है। ऐसे में बीएसपी प्रबंधन द्वारा इन गार्ड कर्मियों को राज्य सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन दिया जाने को गलत मानते हुए इस कृत्य के विरुद्ध भारतीय मजदूर संघ ने उप मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर के समक्ष जनवरी 2022 में औद्योगिक विवाद दायर की थी जिसपर जून 2022 को उप मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर ने संघ को क्षेत्रीय श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर के समक्ष न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के तहत क्लेम करने का आदेश दिया। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए भा.म.सं. से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के अध्यक्ष (केंद्रीय) एम.पी.सिंह ने बताया कि उक्त आदेश के उपरान्त भा.म.सं. द्वारा क्षेत्रीय श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर के समक्ष न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के तहत क्लेम किया गया जिसकी सुनवाई अभी भी जारी है। इस बीच बीएसपी प्रबंधन ने नए निविदा हेतु राजहरा खदान समूह को अधिकृत करते हुए वाच एंड वार्ड (अन-आर्म्ड) सुरक्षा गार्ड्स के लिए निविदा निकालने को कहा। भा.म.सं. को यह जानकारी मिली कि राजहरा खदान समूह से बनने वाले उक्त निविदा में प्रबंधन द्वारा केंद्र सरकार के खदान में कार्य करने वाले अकुशल श्रेणी के कर्मियों के लिए तय किये गए न्यूनतम वेतन (INR 494/-) को आधार माना गया है। यह जानकारी प्राप्त होते ही संघ ने न केवल प्रबंधन के समक्ष इसका मौखिक विरोध किया
बल्कि 16.06.2023 को इसकी शिकायत क्षेत्रीय श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर से भी की और निवेदन किया कि या तो लंबित प्रकरण में जल्द से जल्द निर्णय देवें या फिर इस प्रकरण के निर्णय होते तक प्रबंधन को नया निविदा निकालने हेतु मना किया जावे। संघ के इस निवेदन पर क्षेत्रीय श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर ने तत्काल केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन की प्रतिलिपि उपलब्ध करते हुए संघ के प्रतिनिधियों को कहा कि इसकी प्रतिलिपि तत्काल प्रबंधन को उपलब्ध करा देवें और उनसे स्पष्ट कहें कि केंद्र सरकार द्वारा वाच एंड वार्ड (अन-आर्म्ड) सुरक्षा गार्ड्स के लिए शहरों के आधार पर तय किये गए न्यूनतम वेतन को आधार मानकर निविदा प्रक्रिया की जावे। साथ ही उन्होंने प्रबंधन पक्ष के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) श्री एम.डी.रेड्डी को भी उक्त नोटिफिकेशन की प्रतिलिपि देते हुए स्पष्ट हिदायत दी कि केंद्र सरकार द्वारा शहरों के आधार पर सुरक्षा गार्ड्स हेतु तय न्यूनतम वेतन को आधार मानकर ही निविदा निकाली जावे। संघ द्वारा इस सम्बन्ध में राजहरा खदान समूह के नगर प्रशासक महोदय वी.के.श्रीवास्तव को केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के साथ ज्ञापन देते हुए संघ के प्रतिनिधियों ने चर्चा की जिसपर उन्होंने आवश्यक कारवाई करने की बात कही। साथ ही संघ के प्रतिनिधियों ने इस सम्बन्ध में महाप्रबंधक कार्मिक खदान मुख्यालय श्री एस.के.सोनी एवं अधिशासी निदेशक खदान श्री समीर स्वरुप से भी चर्चा की जिसपर उन्होंने सकारत्मक पहल करने का आश्वासन दिया।इस बीच एक अन्य श्रम संगठन ने भी प्रबंधन से इसी मुद्दे पर केंद्र सरकार के वेतनमान को देने की बात की और इस सम्बन्ध में विज्ञपति भी जारी की। किन्तु उक्त श्रम संगठन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि गार्ड्स को केंद्र सरकार द्वारा तय कौन सा न्यूनतम वेतन दिया जावे क्योंकि उक्त श्रम संगठन ने वर्ष 2019 से उप मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर के कार्यालय में औद्योगिक विवाद दायर की हुई थी जिसमें उनके द्वारा गार्ड्स को खदान हेतु केंद्र सरकार द्वारा तय अकुशल श्रेणी के न्यूनतम वेतन की मांग की गयी थी। आज भी उक्त श्रम संगठन सुरक्षा गार्ड्स कर्मियों के वास्तविक हक़ को मारते हुए उन्हें अकुशल श्रेणी के वेतन देने की मांग कर रहे हैं जो कि पूर्णतः गलत है और एक तरह से प्रबंधनपरस्ती को उजागर करता है। यहाँ यह गौर करने की बात है कि जब स्वयं केंद्र सरकार ने गार्ड्स के लिए किसी तरह के श्रेणी का निर्धारण नहीं किया है तो ऐसे में कोई श्रम संगठन अथवा प्रबंधन यह कैसे तय करने का अधिकार रखते है कि गार्ड्स अकुशल श्रेणी के कामगार हैं? दरअसल में ऐसी मांग करने वाले श्रम संगठन श्रमिकों की समस्यायों का निराकरण नहीं चाहते हैं बल्कि समस्या को बनाये रखने और कर्मियों को गुमराह करते हुए प्रबंधनपरस्त नीतियों का पालन करते हैं।अंत में उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ किसी भी समस्या के पूर्ण निराकरण को ध्यान में रखकर काम करता है और सभी कर्मियों से यह अपील करता है कि वे चाहे किसी भी श्रम संगठन में हों किन्तु अपने मौलिक अधिकार के प्रति सचेत रहे अन्यथा उन्हें पूर्व में नुकसान उठाना पड़ा है और भविष्य में भी उठाना पड़ सकता है। साथ ही प्रबंधन से भी संघ यह उम्मीद करता है कि महारत्न कंपनी होने के नाते यह प्रबंधन का दायित्व बनता है कि वह कर्मियों के सभी वाजिब वैधानिक हकों की रक्षा करे और ऐसा कोई भी निर्णय न लेवे जिससे स्वयं प्रबंधन पर ही श्रमिकों के शोषण का आरोप लगे।
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