छत्तीसगढ़ के छत्तीस कांग्रेस विधायकों का टिकट खतरे में

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  • कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में विधायकों की हार का अंदेशा
  • क्या थके हुए घोड़ों पर फिर से बाजी लगाएगी कांग्रेस

अर्जुन झा

जगदलपुर/रायपुर कांग्रेस के कथित आंतरिक सर्वे को सच मानें, तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के छत्तीस विधायकों को आने वाले चुनावों में हार का सामना करना पड़ सकता है। इस लिहाज से कांग्रेस इन मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है। क्योंकि कांग्रेस रिस्क लेकर थके हारे घोड़ों पर दांव शायद ही लगाएगी। मगर यह भी सौ फीसदी सच है कि इस सर्वे रिपोर्ट और जमीनी तस्वीर में जरा भी मेल नहीं है। जिन विधायकों का ट्रेक रिकॉर्ड और लोकप्रियता जबरदस्त है, उन्हें भी सर्वे में हारता हुआ बताया गया है। हाल ही में कांग्रेस ने अपने विधायकों की परफॉर्मेन्स और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता को लेकर पूरे राज्य में सर्वे कराया था। इस सर्वे में जो निष्कर्ष निकलकर सामने आए हैं, वे बड़े चौंकाने वाले हैं और अविश्वसनीय भी प्रतीत होते हैं। क्योंकि इस सर्वे में जिन मंत्रियों और विधायकों की हार का अंदेशा जताया गया है, उनमें से कुछ के बारे में जमीनी सच्चाई सर्वे के बिल्कुल उलट है, यानि वे इस बार भी जीतेंगे और पहले से भी ज्यादा मार्जिन से जीतेंगे। इसलिए इस तथाकथित सर्वे की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिन्हें सर्वे की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने फिल्ड में न जाकर सिर्फ टेबल वर्क किया है। सर्वे में केबिनेट मंत्री एवं साजा धमधा क्षेत्र के विधायक रविंद्र चौबे, मंत्री एवं अहिवारा के विधायक गुरु रूद्र कुमार, भूपेश बघेल सरकार में इकलौती महिला मंत्री अनिला भेंडिया समेत दो और मंत्रियों की हार की संभावना जताई गई है। रविंद्र चौबे के हारने की बात किसी के गले नहीं उतर रही है, क्योंकि वे क्षेत्र में अभी भी बेहद लोकप्रिय हैं। ये अलग बात है कि श्री चौबे अपने निर्वाचन क्षेत्र को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं, पर क्षेत्र के विकास में वे कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इसी तरह डोँडी लोहारा की विधायक और भूपेश बघेल सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया के भी हारने की संभावना दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. झुमुक लाल भेंडिया के परिवार की सदस्य अनिला की लोकप्रियता अभी भी चरम पर है। वहीं भिलाई नगर के युवा विधायक देवेंद्र यादव, खुज्जी की विधायक छन्नी चंदूलाल साहू, अनिता योगेंद्र शर्मा समेत कुल 36 विधायकों के इस बार हार जाने का अंदेशा जताया गया है। देवेंद्र यादव को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है और उनका ट्रेक रिकॉर्ड काफी अच्छा है। युवाओं के बीच श्री यादव की लोकप्रियता भी है। ऐसे में उनके हार जाने की बात समझ से परे है। वहीं पार्टी के बड़े नेताओं का मानना है कि राज्य सरकार से जनता की नाराजगी नहीं है, उसकी नाराजगी विधायकों से है। यह सच भी है या सिर्फ परसेप्शन मैनेजमेंट है। इसे लेकर अब सवाल भी उठ रहे हैं। इनमें से अनेक विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने अपने विधायक के कामकाज पर पूरी तरह संतुष्टि जताई है। उनका कहना है कि हमारे विधायक फिर से जीतेंगे।

जो जमीन से जुड़े हैं, उनकी जड़ें छिछली कैसे?

कांग्रेस के आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में बस्तर संभाग के भी पांच विधायकों के हार जाने की भविष्यवाणी की गई है। इनमें बीजापुर से विक्रम मंडावी, जगदलपुर से रेखचंद जैन, दंतेवाड़ा से देवती कर्मा, कांकेर से शिशुपाल सोरी और अंतागढ़ से अनूप नाग शामिल हैं। बस्तर संभाग में दो विधायक ऐसे हैं, अगले चुनाव में जिनकी जीत का दावा विरोधी भी करते हैं। इन दोनों में पहला नाम है रेखचंद जैन का, जिन्होंने अपने क्षेत्र की जनता की सेवा में दिन रात एक कर दिए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र के गांव गांव तक पहुंचाकर जन मानस को लाभ दिलाने वाले रेखचंद जैन को क्षेत्र के लोग विधायक नहीं, बल्कि अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। जैन भी उन्हें महज वोटर नहीं बल्कि अपना परिजन मानकर उनकी खिदमत में लगे रहते हैं। रेखचंद जैन ने साढ़े चार साल में जितने कार्य क्षेत्र में कराए हैं, उनका दस फीसद भी काम भाजपा के पंद्रह साल के शासनकाल में नहीं हो पाया था। मिलनसार और व्यवहार कुशल जैन क्षेत्र में हर जाति समुदाय और हर आयु वर्ग के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। विरोधी भी उनकी लोकप्रियता के कायल हैं और उनकी रिकार्ड तोड़ जीत का दावा कर रहे हैं। इसी तरह विक्रम मंडावी भी बीजापुर क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। डेसिंग पर्सनालिटी के विधायक विक्रम मंडावी शुरू से नक्सलियों के निशाने पर रहे हैं। उन पर एक दफे नक्सली हमला भी कर चुके हैं। बावजूद वे बिना डरे मुख्यमंत्री की भावनाओं के अनुरूप क्षेत्र के विकास में योगदान देते आ रहे हैं। युवाओं और हर वर्ग के मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता है।

सर्वे को टिकट का पैमाना मानना आत्मघाती

तथाकथित आंतरिक सर्वे को टिकट वितरण का पैमाना मानना कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। रविंद्र चौबे, अनिला भेड़िया, रेखचंद जैन विक्रम मंडावी, देवेंद्र यादव सरीखे विधायकों को जीतने योग्य न बताना कथित सर्वे की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता प्रतीत हो रहा है। यह जरूर है कि कई मंत्री और विधायक जन विश्वास पर खरे नहीं उतरे हैं और मतदाताओं ने इस बार उन्हें मौका नहीं देने का मन भी बना लिया है। मगर जो विधायक जमीनी रूप से लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं, उनका टिकट सर्वे के आधार पर काट देना कांग्रेस के लिए आने वाले चुनाव में भारी नुकसानदेह हो सकता है। सियासी पंडित भी इस कथित सर्वे को सिरे से खारिज करते हुए उसे प्रायोजित तक कहने लगे हैं