भूजल स्तर के संरक्षण एवं संवर्धन पर दिया गया बल

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  •   जल चेतना जागृत करना अब समय की मांग : ओझा
  • जल जीवन मिशन पर हुआ कार्यशाला का आयोजन

जगदलपुर बड़े पैमाने पर निरंतर हो रहे दोहन के फलस्वरूप अब भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए गहन चिंतन एवं मंथन कर इसके संरक्षण और संवर्धन की दिशा में व्यापक पहल आवश्यक है। वहीं संरक्षण एवं संवर्धन के साथ ही समुचित दोहन के लिए कार्ययोजना तैयार कर कारगर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना भी वर्तमान परिवेश की जरूरत है। इस दिशा में जनसाधारण में जल चेतना के लिए अभियान चलाए जाने के साथ ही स्कूल-कॉलेजों में जल शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाना चाहिए। यह बात जल संरक्षण से जुड़े ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ डॉ. डीडी ओझा ने स्थानीय देवांश होटल में आयोजित जल जीवन मिशन के अंतर्गत भूजल संरक्षण एवं संवर्धन संबंधी संभाग स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।

जल संरक्षण के लिए अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए ख्यातिलब्ध विशेषज्ञ डॉ. ओझा ने पानी का समुचित उपयोग करने और कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए भूजल के दोहन में कमी लाने सहित सरफेस वॉटर के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने जल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में जल शोधन की प्राच्य तरीकों एवं वर्तमान तकनीकों की जानकारी से अवगत कराया। डॉ. ओझा ने जल चेतना अभियान चलाए जाने के लिए स्वयंसेवी संगठनों एवं संस्थाओं का व्यापक सहयोग लेने पर बल दिया। इस मौके पर मुख्य अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी बस्तर परिक्षेत्र जगदलपुर अजय कुमार साहू ने बस्तर संभाग में फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए विभागीय अधिकारियों को बेहतर रणनीति के साथ काम करने कहा। वहीं भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियान के साथ ही इस दिशा में कार्ययोजना का समयबद्ध क्रियान्वयन करने की बात उन्होंने कही। कार्यशाला के आरंभ में कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जगदीश कुमार ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि जल जीवन मिशन के माध्यम से एक बड़ी आबादी को शुद्ध पेयजल आपूर्ति करने के फलस्वरूप अब भूजल स्तर का समुचित प्रबंधन और इस दिशा में समुदाय की सक्रिय सहभागिता के जरिए काम करना जरुरी है। उन्होंने इस कार्यशाला में तकनीकी विशेषज्ञों के द्वारा दिए गए सुझावों के अनुरूप कार्य करने पर जोर दिया। कार्यशाला में जल शोधन पर आधारित जल शोधन- प्राचीन से अर्वाचीन नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। इस दौरान विषय विशेषज्ञों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यशाला में बस्तर संभाग के सभी जिलों के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी तथा जल संरक्षण अभियान से जुड़े विशेषज्ञों के अलावा जलसंरक्षण से जुड़े स्वयंसेवी संगठनों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।