- केदार कश्यप, लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी, किरण देव और नीलकंठ टेकाम हैं शुमार
अर्जुन झा
जगदलपुर छत्तीसगढ़ के नए मंत्रिमंडल में बस्तर संभाग के पांच विधायकों को जगह मिल सकती है। इनमें तीन तो पहले भी मंत्री रह चुके हैं और एक रिटायर्ड आईएएस हैं। वहीं एक अन्य विधायक बस्तर संभाग की इकलौती सामान्य सीट से विधायक चुनकर आए हैं। इन पांचों को उनके अनुभवों और योग्यता के आधार पर मंत्री बनाया जा सकता है। इन्हें मंत्री पद दिलाने में भाजपा के बस्तर संभाग प्रभारी संतोष पाण्डेय की बड़ी भूमिका हो सकती है।
बस्तर संभाग में कुल जमा बारह विधानसभा सीटें हैं। ये सीटें हैं – जगदलपुर, बस्तर, चित्रकोट, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा, कांकेर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कोंडागांव और केशकाल। इनमें से सिर्फ जगदलपुर सीट ही सामान्य है तथा शेष 11 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।भाजपा उम्मीदवार क्रमशः जगदलपुर से किरण देव, चित्रकोट से विनायक गोयल, दंतेवाड़ा से चैतराम अटामी, नारायणपुर से केदार कश्यप, अंतागढ़ से विक्रम उसेंडी, कोंडागांव से लता उसेंडी, केशकाल से नीलकंठ टेकाम चुने गए हैं। केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी और लता उसेंडी पूर्ववर्ती भाजपा सरकारों में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उन्हें विभिन्न विभागों के कार्य संचालन का अच्छा तजुर्बा है। इस चुनाव में इन तीनों ने कांग्रेस उम्मीदवारों को बड़ी मार्जिन से हराया है। इसलिए भी मंत्री पद पाना इनका हक बनता है। डॉ. रमनसिंह सरकार में शिक्षा मंत्री रहे केदार कश्यप के कामकाज ने उन्हें छत्तीसगढ़ में अलग पहचान दिलाई थी। वहीं लता उसेंडी भी शुरू से भाजपा की राजनीति में सक्रिय रहती आई हैं। विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा। रमन सरकार में बतौर केबिनेट मंत्री लता उसेंडी की प्रशासनिक पकड़ की चर्चा तो आज भी होती है। वहीं सहज और सरल व्यवहार के धनी विक्रम उसेंडी भाजपा की पुरानी पीढ़ी के नेता माने जाते हैं। उन्हें भी मंत्री पद सम्हालने का मौका पहले मिल चुका है। वहीं नीलकंठ टेकाम उच्च शिक्षित हैं। वे आईएएस रह चुके हैं। उनके पास प्रशासन चलाने का अच्छा खासा अनुभव है। इसलिए टेकाम के मंत्री बनने के चंसेस हैंl
इसलिए बनता है किरण का हक
जगदलपुर के विधायक किरण देव समूचे बस्तर संभाग में एकमात्र सामान्य वर्ग के विधायक हैं। इस नाते उन्हें मंत्री पद दिए जाने की चर्चा और चाहत आम मतदाताओं में है। लोगों का कहना है कि बस्तर संभाग में निवासरत सामान्य वर्ग के नागरिकों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए भाजपा नेतृत्व किरण देव को जरूर मंत्री पद से नवाजेगा। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि किरण देव ने छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंहदेव के पसंदीदा कैंडिडेट को हराया है। इसलिए भी उन्हें मंत्री पद मिलना ही चाहिए। यहां इस बात का उल्लेख करना भी जरूरी है कि निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने शासन काल के दौरान 2018 में जगदलपुर से विधायक चुने गए रेखचंद जैन को संसदीय सचिव बनाया था। श्री जैन को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। ये सभी परिस्थितियां भी किरण देव को मंत्री पद के योग्य ठहराती हैं।
एक साधै, सबहिं सधै
छत्तीसगढ़ की राजनीति में शुरू से एक किवदंती चली आ रही है कि जिस भी राजनैतिक दल ने बस्तर और सरगुजा संभाग को साध लिया, उसने पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को साध लिया। ये दोनों आदिवासी बहुल संभाग हैं।बस्तर और सरगुजा से उठने वाला संदेश राजनांदगांव, मोहला, मानपुर, अंबागढ़ चौकी, कवर्धा और रायगढ़, जशपुर तक के आदिवासियों को प्रभावित करता है। इस दृष्टि से भाजपा बस्तर संभाग के अपने आदिवासी विधायकों को मंत्री पद देकर पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के दिलों में राज कर सकती है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बस्तर को भरपूर महत्व दिया था। बस्तर से दो केबिनेट मंत्री बने थे, निगम, मंडलों व प्राधिकरणों में यहां के नेताओं को पर्याप्त जगह दी गई थी। लेकिन इनमें से कुछ ने बीते चुनाव में पार्टी की पीठ ओर खंजर घोंपने का काम किया। इस वजह से पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।