- बस्तर के कांग्रेसी कब्जे वाले क्षेत्रों के लोगों का दिल जीतने दिखाना होगा बड़ा दिल
- जीत लिया पूरा बस्तर, तो जीत लेंगे पूरा छत्तीसगढ़
अर्जुन झा
जगदलपुर भगीरथी की मेहनत और लगन को तो पूरा भारत वर्ष अच्छे से जानता है। ऐसे ही कलयुग में एक भगीरथ पैदा हुए, जिन्हें हम दशरथ मांझी के नाम से जानते हैं। दशरथ मांझी ने अपने गांव के लोगों को जल संकट और दूसरी समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए अकेले ही पहाड़ का सीना चीर डाला था। कुछ ऐसा ही जतन अब बस्तर में भाजपा को करना पड़ेगा। बस्तर में जो खाई रह गई है, उसे पाटने के लिए भाजपा के नेताओं को दशरथ मांझी बनना पड़ेगा और कांग्रेसी कब्जे वाले बस्तर संभाग के विधानसभा क्षेत्रों के लोगों का दिल जीतने के लिए बड़ा दिल दिखाना होगा। तभी बस्तर में भाजपा के लिए रामराज्य आ पाएगा।
हालिया निपटे विधानसभा चुनावों में बस्तर संभाग की सीटों के नतीजे 75 -25 वाले आए। ये नतीजे भाजपा के लिए उम्मीदों भरे रहे हैं। इस आधी 75 फीसदी उम्मीद को शत प्रतिशत पूरी करने के लिए भाजपा के बड़े नेताओं और यहां से चुने गए विधायकों को वैसा ही कड़ा परिश्रम करना पड़ेगा तथा वैसा ही बड़ा दिल दिखाना होगा जैसा कि बिहार के अनपढ़ ग्रामीण दशरथ मांझी ने किया और दिखाया था। बस्तर की इस पटकथा को पूरा करने के लिए बिहार के एक छोटे से गांव के निवासी बुजुर्ग दशरथ मांझी की कहानी का उल्लेख जरूरी है। बस्तर संभाग की चित्रकोट, जगदलपुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, अंतागढ़ केशकाल और कोंडागांव विधानसभा सीटों पर ही भाजपा फतह कर पाई। बस्तर, बीजापुर, कोंटा सुकमा और भानुप्रतापपुर सीटों पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार है। 2018 के पहले तक बस्तर में भाजपा का एकछत्र साम्राज्य हुआ करता था। 2018 के विधानसभा चुनावों में चली कांग्रेस की आंधी ने भाजपा की चूलें हिलाकर रख दी। बस्तर संभाग की बारह में से एक भी सीट भाजपा जीत नहीं पाई और यहां से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। संभाग के सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के अजेय योद्धा कवासी लखमा जीत का छक्का लगाने में कामयाब रहे। बस्तर सीट पर लखेश्वर बघेल कांग्रेस के टिकट पर दूसरी दफे जीतकर आए हैं। बीजापुर में कांग्रेस के विक्रम मंडावी रिपीट हुए हैं। भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव जीतने वाली सावित्री मनोज मंडावी ने यह आम चुनाव जीता है। कांग्रेसी वर्चस्व वाले इन चारों विधानसभा सीटों पर अब भाजपा के नव निर्वाचित विधायकों, सांसदों और नेताओं को विशेष रूप से फोकस करना होगा।
ये है दशरथ मांझी की असल कहानी
बिहार राज्य के निवासी दशरथ मांझी का गांव सड़क, पेयजल, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित था। पानी की व्यवस्था के लिए भी गांव की महिलाओं को पहाड़ की ऊंची चढ़ाई कर दूसरे गांव में जाना पड़ता था। सड़क के बिना दूसरी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा सक रही थीं। सड़क इसलिए नहीं बन पा रही थी क्योंकि ऊंचा पहाड़ रोड़ा बनकर खड़ा था। कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए, तो फौरी ईलाज मयस्सर नहीं हो पाता था। बच्चे तालीम हासिल नहीं कर पाते थे। अंधेरे में ग्रामीणों को गुजर बसर करना पड़ता था। दशरथ मांझी की पत्नी को भी पानी के इंतजाम के लिए रोज रोज पहाड़ की चढ़ाई करनी पड़ती थी। दशरथ मांझी को अपनी पत्नी और गांव वालों की यह तकलीफ देखी नहीं जाती थी। उसने गांव के विकास में रोड़ा बने पहाड़ की छाती को छलनी करने का फैसला कर लिया। मजबूत इरादों के साथ दशरथ मांझी ने छेनी हथोड़ी लेकर शुरू कर दिया भगीरथी प्रयास। कई साल की मेहनत रंग लाई और दशरथ मांझी पहाड़ को चीरकर सड़क बनाने में सफल हो ही गए। सड़क बनने के बाद पूरे गांव वालों की जीवनचर्या आसान हो गई। दशरथ मांझी की इस बेमिसाल पहल की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। उनकी इस जानदार जांबाजी पर फीचर फिल्म भी बनी, जो लोकप्रिय रही।
इन्हें निभाना पड़ेगा पड़ोसी धर्म
बस्तर संभाग के आठ भाजपा विधायकों किरण देव जगदलपुर, विनायक गोयल चित्रकोट, केदार कश्यप नारायणपुर, विक्रम उसेंडी अंतागढ़, चैतराम अटामी दंतेवाड़ा, लता उसेंडी कोंडागांव, नीलकंठ टेकाम केशकाल और कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद सोहन पोटाई को बड़ा दिल दिखाना होगा। इन सभी को अच्छे पड़ोसी की भूमिका निभाते हुए उन विधानसभा क्षेत्रों के निवासियों की तकलीफ दूर करने और गांवों के विकास पर पूरा ध्यान देना होगा। दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करेंगे, तभी भाजपा के लोग इन क्षेत्रों के लोगों का दिल जीत पाएंगे। जगदलपुर के विधायक किरण देव और नारायणपुर के विधायक केदार कश्यप को बस्तर क्षेत्र के गांवों, चित्रकोट के विधायक विनायक गोयल को अपने निर्वाचन क्षेत्र की सीमा से लगे दीगर विधानसभा क्षेत्रों के गांवों, दंतेवाड़ा के विधायक चैतराम अटामी को पड़ोसी जिले बीजापुर और सुकमा के गांवों, कोंडागांव विधायक लता उसेंडी, कांकेर विधायक एवं केशकाल के विधायक नीलकंठ टेकाम को भानुप्रतापपर क्षेत्र के गांवों के विकास के लिए भी समर्पित होकर काम करना पड़ेगा।
संतोष पाण्डेय पर भी बड़ी जिम्मेदारी
बस्तर संभाग की 75 प्रतिशत सीटों पर विजय हासिल करने में भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और संभाग प्रभारी एवं राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पाण्डेय की अहम भूमिका रही है। श्री माथुर और श्री पाण्डेय बस्तर संभाग में विधानसभा चुनावों के कई माह पहले से ही प्रण प्राण से जुट गए थे। उन्होंने सुस्त पड़ चुके पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया, उन्हें धरातल पर उतारा। समय समय पर ओम माथुर ने पार्टी नेताओं की बैठकें लेकर उन्हें रिचार्ज किया। वहीं संतोष पाण्डेय संभाग के नेताओं के साथ आदिवासियों के बीच लगातार पहुंचते रहे, उन्होंने आदिवासियों के घरों में बैठकर उनके परिजनों के साथ भोजन किया। इस तरह संतोष पाण्डेय आदिवासियों का दिल जीतने में कामयाब रहे। अब राजनांदगांव का सांसद और पार्टी के बस्तर संभाग प्रभारी होने के नाते संतोष पाण्डेय पर दोहरी जिम्मेदारी आन पड़ी है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सीमावर्ती दर्जनों गांव राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र के मोहला, मानपुर, अंबागढ़ चौकी जिले की सीमा से लगे हुए हैं। अतः श्री पाण्डेय को भी पड़ोसी धर्म निभाना होगा।