नक्सालियों ने आवापल्ली क्षेत्र में दो बसों में लगाई आग

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  • बीजापुर -आवापल्ली मार्ग पर माओवादियों का तांडव
  •  सड़कों पर पेड़ गिराकर किया आवागमन बाधित
    अर्जुन झा
    जगदलपुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में बीती रात नक्सलियों ने जमकर तांडव मचाया। दो यत्री बसों में आग लगा दी और सड़कों पर पेड़ गिराकर तथा पत्थर रखकर आवागमन ठप कर दिया। इस घटना से क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। नक्सलियों के खौफ की वजह से शुक्रवार को भी बीजापुर जिले के कई हिस्सों में यात्री बसों और अन्य वाहनों की आवाजाही ठप रही। आगजनी की घटनाओं को नक्सलियों ने सीआरपीएफ कैंप से महज चार किमी दूर अंजाम दिया है। घटना स्थलों की ओर पुलिस और सुरक्षा बलों की टीमें रवाना हो गई हैं। जलाई गई एक बस रॉयल ट्रेवल्स रायपुर की और दूसरी बस कुशवाहा ट्रेवल्स की थी।

बीजापुर जिले के बासागुड़ा मार्ग पर नक्सलियों ने गुरुवार की रात दो यात्री बसों में आगजनी की। रायपुर से आवापल्ली के लिए रायल ट्रेवल्स की बस शाम को बीजापुर से रवाना हुई थी। बस जैसे ही आवापल्ली के ग्राम दुगईगुड़ा के पास पहुंची, नक्सलियों ने बस को घेर लिया और सभी यात्रियों को बस से उतारकर बस में आग लगा दी। इससे आवागमन हुआ बाधित हुआ। इस घटना से इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है। आवापल्ली से घटनास्थल के लिए पुलिस बल रवाना कर दिया गया है। आवापल्ली थाना क्षेत्र में यह घटना हुई है। बीजापुर के पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय ने की घटना की पुष्टि की है। माओवादियों ने आज 22 दिसंबर से भारत बंद का आह्वान कर रखा है। इस बंद के एक दिन पहले से ही नक्सलियों ने बीजापुर जिले में उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। बस में आगजनी की दूसरी वारदात को नक्सलियों ने आवापल्ली से 12 किमी दूर मुख्य मार्ग के तिम्मापुर के करीब अंजाम दिया है। यहां कुशवाहा ट्रेवल्स की यात्री बस में आग लगा दी गई। यह बस जगदलपुर से बासागुड़ा के लिए रवाना हुई थी। रात करीब 7 बजे के तिम्मापुर के पास सभी यात्रियों को बस से उतारकर बस को फूंक दिया गया का। इस घटना से बासागुड़ा मार्ग पर आवागमन बाधित हुआ है। यात्रियों के साथ ही इलाके में दहशत का माहौल बनाकर नक्सलियों ने अपनी मौजूदगी का अहसास कराया है। एक ही सड़क पर 22 किलोमीटर के अंतराल में दो यात्री बसों में आगजनी की घटना से क्षेत्र में डर का आलम है। घटना स्थल के लिए सुरक्षा बलों और पुलिस फोर्स को रवाना कर दिया गया है। एसपी आंजनेय वार्ष्णेय ने इस दूसरी घटना की भी पुष्टि की है। दूसरी घटना बासागुड़ा थाना क्षेत्र की है।

स्टेट हाईवे को किया अवरुद्ध
दो यात्री बसों में आगजनी के बाद माओवादी संगठन द्वारा स्टेट हाईवे को जाम कर दिया गया। बीजापुर आवापल्ली मार्ग पर लकड़ी के ढेर लगाकर आग लगा दी गई। सड़क पर दर्जनों पेड़ गिराकर मार्ग अवरूद्ध कर दिया गया। पेड़ काट कर सड़क पर डाल दिए गए हैं। हाईवे पर और अगल बगल स्थित पेड़ों पर दर्जनों पर्चे नक्सलियों ने लगा रखे हैं।इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है। अंधेरा घिर जाने के कारण पुलिस और सुरक्षा बल घटना स्थल तक नहीं पहुंच पाए थे। बसों में आगजनी की दोनों घटनाओं को जिन स्थानों पर अंजाम दिया गया है, वे सीआरपीएफ कैंप से औसतन 4 किलोमीटर की दूरी पर हैं। घटना का जायजा लेकर लौट रहे पत्रकारों पर सीआरपीएफ के जवानों ने बंदूक तान दी और दुर्व्यवहार किया। माओवादियों द्वारा जमकर मचाए गए उत्पात की रिपोर्टिंग कर पत्रकार वापस लौट रहे 5 पत्रकारों का दल मुरकीनार सीआरपीएफ कैंप में वेरिफाई करने के नाम पर जवानों द्वारा पत्रकारों से बदसलूकी की गई। जवानों के इस व्यवहार से पत्रकारों में आक्रोश है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हर आने जाने वाले शख्स की कड़ी पड़ताल होती है। यहां तक कि नक्सल प्रभावित थानों में प्रवेश के दौरान भी ऐसी ही एहतियात बरती जाती है। सुरक्षा के लिहाज से ऐसी पड़ताल तो जायज है, मगर पत्रकारों से दुर्व्यवहार को कतई जायज नहीं कहा जा सकता।

नेशनल हाईवे पर लगाए बैनर पोस्टर
जगदलपुर – बीजापुर नेशनल हाईवे 63 पर कर्रेमरका व मद्देड़ के आसपास नक्सलियों ने एक दिन पहले ही पर्चे फेंककर और बैनर पोस्टर लगा रखे थे। इन पर्चे और बैनर पोस्टर्स में भारत बंद का आव्हान किया गया है। ऐसे ही एक पर्चे में लिखा है कि बिहार, झारखंड के क्रांतिकारी आंदोलन वाले इलाकों में जारी बर्बर दमन के विरोध में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के 22 दिसंबर के भारत बंद के आह्वान को सफल बनाएं। क्रांतिकारी जन आंदोलनों व आदिवासी जनता पर हो रहे सैन्य हमलों का विरोध करें और 15 से 22दिसंबर तक चलने वाले प्रचार आंदोलन सप्ताह को सफल बनाएं।

कलेजा छलनी करती चीत्कार
यात्री बसों में की गई आगजनी ने कई लोगों की रोजी रोटी का जरिया छीन लिया है। दो बस चालकों, दो कंडक्टरों, दो क्लीनरों और बस मालिकों की रोजी रोटी इन्हीं बसों के दम पर चलती थी। बसों में आग लगाकर नक्सलियों ने कई लोगों का निवाला छीन लिया है। निवाला छीनने को तो क्रांतिकारी आनोदलन हरगिज नहीं माना जा सकता। एक बस का मालिक और उसके ड्राईवर, कंडक्टर धू धू जलती बस को देख रोते बिलखते नजर आए। वे बिलख बिलख कर रो रहे थे। विलाप करते करते वे कह रहे थे – हमारी बस जल गई, अब हमारा क्या होगा, हम घर कैसे चलाएंगे? क्या इन निरीह लोगों की चीत्कार से पत्थर भी पिघलते प्रतीत हो रहे थे, हर किसी का कलेजा छलनी हुआ जा रहा था, लेकिन क्या नक्सलियों का दिल पिघलेगा? रात के अंधेरे में यात्रियों को संकट में डालकर उन तथाकथित आंदोलनकारी माओवादियों को आखिर क्या हासिल हुआ? इन मुद्दों पर कभी नक्सली आत्ममंथन करेंगे? इसी तरह नक्सली सड़क, पुल पुलियों, शाला भवनों को जलाकर क्या आम लोगों को दिक्कत में नहीं डाल देते, बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं करते? इस पर भी नक्सलियों को आत्म अवलोकन करने की जरूरत है। अन्यथा मौजूदा और आने वाली पीढ़ी नक्सलियों को धिक्कारती ही रहेगी, कोसती रहेगी और अपनी बर्बादी के लिए उन्हें ही जिम्मेदार मानती रहेगी।

शुक्रवार को थमे रहे बसों के पहिये
नक्सलियों के उत्पात के खौफ के चलते शुक्रवार को भी यात्री बसों और अन्य वाहनों का परिचालन बंद रहा। सुकमा,
बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर जिलों के अंदरूनी मर्गों पर शुक्रवार को यात्री बसें और दूसरे वाहन नजर नहीं आए। जिला मुख्यालयों के बस अड्डों में दर्जनों बसें खड़ी नजर आईं।वहीं पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर अंदरूनी रुटों पर चलने वाली यात्री बसो का परिचालन बंद रहने की बात कही है। बस ऑपरेटरों के मुताबिक पुलिस ने शुक्रवार को बसों का परिचालन
बंद रखने बाबत मौखिक सलाह दी थी। आज अंदरूनी गांवों तक बसों का संचालन बंद रहने से यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। सभी स्थानों के बस स्थानकों पर सैकड़ों यात्री भटकते नजर आए अंदरूनी सड़कों पर वीरानी छाई रही। शनिवार से बसों और दीगर वाहनों की आवाजाही सामान्य होने की उम्मीद है।