*वाहन चालक नए मोटर व्हीकल एक्ट पर अफवाहों से बचें : प्रशासन*
= ट्रांसपोर्टरों और ड्राईवरों को नए कानून की दी जानकारी =
= मानवता दिखाएं, तो बच जाएंगे कड़ी कार्रवाई से =
*जगदलपुर।* नए मोटर व्हीकल एक्ट को जिस तरह हौव्वा बना दिया गया है, उससे देश में उबाल आ गया है। इस एक्ट के अच्छे पहलुओं को छुपाकर एक्ट को जुल्म ठहराने की कोशिश की जा रही है। इस नए कानून में प्रावधान है कि दुर्घटना होने पर अगर वाहन चालक पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना दे देते हैं, तो वे कड़ी कार्रवाई से बच जाएंगे। एक्ट में दुर्घटनाओं को जमानती अपराध बताया गया है। हिट एंड रन एक्ट को लेकर फैली भ्रान्तियों को दूर करने अब पुलिस और प्रशासन ने मोर्चा सम्हाल लिया है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, अनुविभागीय दंडाधिकारी एवं नगर पुलिस अधीक्षक ने जगदलपुर में बस- ट्रक ट्रांसपोर्टरों और चालकों की बैठक लेकर नए मोटर यान अधिनियम पर फैली भ्रान्तियां दूर की। ट्रांसपोर्टरों और चालकों को नए कानून के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने अफवाहों से बचने की समझाईश भी दी। कहा गया कि नए कानून से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को त्वरित उपचार सुविधा मिल सके और दुर्घटनाओं पर नियंत्रण लग सके इस कानून का मुख्य उद्देश्य है। सड़क दुर्घटना में हताहत लोगों की तुरंत मदद कर वाहन चालक लंबी सजा से बच जाएंगे और जमानत प्राप्त करने के हकदार भी होंगे। ऐसा करके वाहन चालक लोगों की जान बचाकर स्वयं को अपराध बोध से मुक्त भी कर पाएंगे।
*बॉक्स*
*जान बचाने में बनें सहायक*
नए कानून धारा 106(1) में प्रावधान है कि जो कोई भी लापरवाही से कार्य करके किसी की मृत्यु का कारण बनता है, तो उसे किसी भी तरह के करावास से दंडित किया जाएगा। कारावास की अवधि 5 वर्ष तक हो सकती है। साथ ही जुर्मना भी लगाया जा सकता है। यह संज्ञेय एवं जमानती अपराध है। धारा 106 (2) में प्रावधान है कि जो कोई भी लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है और घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दिए बिना भाग जाता है, तो उसे किसी भी तरह के करावास से दंडित किया जाएगा। कारावास की अवधि 10 वर्ष तक हो सकती है और जुर्मना भी लगाया जा सकता है | यह भी संज्ञेय एवं अजमानती अपराध है। लेकिन जो चालक एक्सीडेंट के बाद पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को सूचना देते हैं, उनके ऊपर धारा 106(2) लागू ही नहीं होगी और वह कड़ी सजा से बच जाएगा। ऐसा करके संबंधित वाहन चालक घायल व्यक्ति की प्राण रक्षा भी कर पाएगा।