- पौ फटते ही नगर में सज जाती है जानदार महफिल
- बहस – मुबाहिस से लबरेज सुहानी सुबह की दास्तान
-अर्जुन झा-
जगदलपुर ठंड के इस मौसम में चाय कॉफी की चुस्कियों के बीच शहर के एक कोने में बहस मुबाहिस से लबरेज शानदार महफिल सजती है। जब सूरज की किरण भी बस्तर की पवित्र धरा का वंदन नहीं कर पाई होती तब कुछ बुद्धिजीवी लोग बस्तर संभाग, छत्तीसगढ़ राज्य और देश की दशा दिशा पर मंथन में व्यस्त नजर आते हैं। उनकी बातों में कभी नाउम्मीदी की झलक मिलती है, तो कभी सुनहरे कल की उम्मीद भी नजर आती है। जगदलपुर के बहुत से लोगों को शायद यह मालूम नहीं है कि उनके शहर में एक टी- कॉफी ग्रुप भी है। कड़ाके की ठंड के बावजूद अल सुबह टी ग्रुप के सदस्य सुबह की सैर के साथ शहर के हृदय स्थल सिरासार चौक पर अलाव तापते हुए बस्तर संभाग, छत्तीसगढ़ और देश के सियासी हालात, देश दुनिया के हर बड़े घटनाक्रम पर चर्चा में मशगूल नजर आते हैं। मुख्यतः बस्तर के हालातों को लेकर ग्रुप के सदस्य चिंतन मनन करते हैं। टी ग्रुप के वरिष्ठ सदस्य राजकुमार झा, भूपेंद्र कश्यप, कुमार दीपक, श्रीनिवास रथ, प्रशांत लाला, के साथ नए सदस्य अर्जुन झा रोजाना इस चौक पर चाय, कॉफी की चुस्की लेते हुए विभिन्न विषयों पर वैचारिक विभिन्नता के बावजूद मुलाकात कर अपनी बात रखते हैं। कुछ मुद्दों पर मत भिन्नता होने के कारण कभी कभी सदस्यों के बीच वाक युद्ध का नजारा भी देखने को मिल जाता है। यह जुबानी लड़ाई ज्यादा देर तक नहीं टिकती। कुछ ही पल में कोई सदस्य ऐसी टॉपिक छेड़ देता है कि महफिल में फिर से जान लौट आती है और ठहाके गूंजने लग जाते हैं। मतलब इस ग्रुप का अलग ही तमाशा चलता है। कभी ऐसी किचकिच मच जाती है, गोया जानी दुश्मन बैठे हों। कुछ ही देर में ठहाके गूंजने लगते हैं। तब फिर इनकी यारी देखते ही बनती है।
बड़े लोगों की भी पसंदीदा जगह
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी जतिन जायसवाल और किरण देव सिंह भी इस टी कॉफी ग्रुप के साथ चाय कॉफी की चुस्कियां लेने अक्सर पहुंचा करते थे। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक रेखचंद जैन का इस ग्रुप से विशेष लगाव रहा है। वे अक्सर ग्रुप के साथ एंजॉय करने आते रहते थे। उन्हें पार्टी द्वारा टिकट नही दिए जाने के फैसले को लेकर ग्रुप के सदस्यों के बीच कई दिनों तक चर्चा चलती रही। ग्रुप के सभी सदस्य जैन को टिकिट मिलने को लेकर पूरी तरह आशान्वित थे। टिकट कट जाने से सदस्यों को बड़ी निराशा हुई। चर्चा में सदस्य अक्सर कहा करते थे कि रेखचंद जैन को टिकट मिला होता, तो कांग्रेस के हाथ से जगदलपुर सीट हरगिज नहीं फिसलती।