हसदेव के जंगल में खड़े होकर दहाड़े पीसीसी चीफ बैज
- आदिवासियों और छग की अस्मिता का है सवाल यह अर्जुन झा
जगदलपुर हसदेव अरण्य क्षेत्र के जंगलों की कटाई को लेकर कांग्रेस ने जंग का ऐलान कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज ने हसदेव के जंगलों को उजाड़े जाने और वहां कोल ब्लॉक आवंटन को छत्तीसगढ़ एवं यहां के आदिवासियों के अस्तित्व व अस्मिता का सवाल बताते हुए केंद्र सरकार व छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले के खिलाफ एकजुट होकर आवाज मुखर किए जाने की जरूरत बताई।
पीसीसी चीफ दीपक बैज रविवार को सरगुजा जिले में स्थित हसदेव के जंगलों में जाकर खूब गरजे। हसदेव अरण्य के पेड़ों की कटाई और कोयला खनन हेतु खदानों के आवंटन से प्रभावित आदिवासियों व दूसरे समुदायों के हजारों ग्रामीणों को दीपक बैज ने जंगल के बीच खड़े होकर संबोधित किया। पुलिस और प्रशासन द्वारा कांग्रेस नेताओं को हसदेव तक जाने से रोकने के लिए चाक चौबंद व्यवस्था की गई थी। बावजूद प्रदेश कांग्रेस के कप्तान हसदेव पहुंचने में सफल रहे। वहां हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए बस्तर के आदिवासी पुत्र दीपक बैज ने कहा कि हसदेव के जंगलों की कटाई और कोल ब्लॉक आवंटन का मामला केवल सरगुजा जिले का ही मसला नहीं है, यह समूचे छत्तीसगढ़ और यहां निवासरत लाखों आदिवासियों के अस्तित्व एवं अस्मिता का सवाल बन गया है। श्री बैज ने कहा कि मैं भी बस्तर का आदिवासी हूं हूं। इसलिए आदिवासियों के दुख दर्द को भलिभांति समझता हूं। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में नया प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए वहां के निवासियों को विश्वास में लिया जाना चाहिए, ग्रामसभा की सहमति लेनी चाहिए। हसदेव के मामले में ग्रामसभा की फर्जी सहमति का दस्तावेज पेश किया गया है। श्री बैज ने माना कि कांग्रेस शासनकाल में चूक हुई कि हमने ग्रामसभा के प्रस्ताव का परीक्षण नहीं कराया। दीपक बैज ने कहा कि जल, जंगल, जमीन तथा खनिजों की खदानों पर उस क्षेत्र के निवासियों और आदिवासियों का पहला हक होता है। उनका हक छीनकर किसी भी प्रोजेक्ट की स्थापना नहीं कराई जा सकती। श्री बैज ने बस्तर संभाग के बोधघाट परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस परियोजना से बस्तर के 42 गांव उजड़ रहे थे। प्रभावित हो रहे गांवों के ग्रामीणों और आदिवासियों ने एकजुट होकर बोधघाट परियोजना का विरोध शुरू किया। मैंने स्वयं उनकी आवाज बनकर उनका नेतृत्व किया। तब हमने कहा था कि बस्तर को सिंचाई सुविधा तो चाहिए, लेकिन 42 गांवों को उजाड़ने की कीमत पर नहीं। मैंने अपने मुख्यमंत्री से बात की, उन्हें आदिवासियों की मंशा से अवगत कराया। मुख्यमंत्री मुझ पर थोड़ा नाराज भी हुए, मगर उन्होंने बस्तर के आदिवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए बोधघाट परियोजना को रुकवा दिया। श्री बैज ने कहा कि भाजपा की सरकारें आदिवासी क्षेत्रों के जल, जंगल, जमीन, कोयला, लौह अयस्क को बेचने पर आमादा है। उन्होंने सवाल किया कि जंगल ही नहीं रहेंगे, तो आदिवासियों का वजूद भला कैसे बच पाएगा ? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज हसदेव को बेचा जा रहा है, आगे चलकर पूरे छत्तीसगढ़ को बेच दिया जाएगा। इसलिए हम सभी को सजग और सचेत रहने की जरूरत है। यह लड़ाई सिर्फ हसदेव, सरगुजा, सूरजपुर, अंबिकापुर की ही नहीं है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के अस्तित्व की लड़ाई है। हम सभी को एकजुट होकर इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना है।
एक ओर हसदेव, दूसरी ओर विष्णुदेव
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि हसदेव की लड़ाई सिर्फ एक जंगल और यहां की जमीन की लड़ाई नहीं है, यह छत्तीसगढ़ को बचाने की लड़ाई है। इस लड़ाई में एक तरफ हसदेव है, तो दूसरी तरफ विष्णुदेव हैं। अब फैसला आप सबको करना है कि आपको हसदेव के साथ रहना है या फिर विष्णुदेव के साथ? वैसे मेरा मानना है कि हसदेव के साथ रहने में ही हम सबकी भलाई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आदिवासी को बिठाकर भाजपा छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का हक छीन रही है। श्री बैज ने कहा कि बस्तर में भी नगरनार इस्पात संयंत्र, नंदराज पहाड़ व अन्य खदानों को बड़े उद्योगपतियों के हाथों में बेचने की पूरी तैयारी कर ली गई है। धीरे – धीरे पूरे छत्तीसगढ़ के जंगल, जल, जमीन और खनिज संपदा को बेच दिया जाएगा। इसे बचाने के लिए सभी आगे आएं।