- गुपचुप ढंग से चहेते ठेकेदार को दे दिया आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण का ठेका
कोंटा भ्रष्टाचार को लेकर सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस नीति को सख्ती से लागू करने का दावा कर रही है, लेकिन सुकमा जिले के कुछ सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण धरातल पर यह दावा खोखला साबित हो रहा है। कुछ कर्मचारियों के कारण आमजन को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में सरकार की कोशिश नाकाम साबित होती नजर आ रही है। सुकमा जिले के अंतिम छोर में स्थित कोंटा नगर में कई आंगनबाड़ी भवन काफी जर्जर हो चुके थे। इन जर्जर भवनों में बिठाकर उनकी देखरेख और शिक्षा की व्यवस्था की जाती रही है। ऐसा करके मासूम बच्चों की जान को मुसीबत में डाल दिया गया था। इस मसले को लेकर समय- समय कई पत्रकारों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए अखबारों प्रकाशित किया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने इसमें रूचि लेकर तत्काल आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण हेतु कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग सुकमा को एजेंसी बनाकर कोंटा नगर पंचायत में पांच आंगनबाड़ी भवन निर्माण कार्य हेतु आदेशित किया। आरईएस विभाग के अधिकारियों द्वारा निविदा प्रक्रिया के सभी नियमों को दरकिनार करते हुए अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने एवं अपनी जेब भरने के उद्देश्य से गुप्त तरीके से टेंडर प्रक्रिया को पूरा किया गया। टेंडर की जानकारी ज्यादातर ठेकेदारों को नही होने के कारण वे निविदा प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रह गए। इससे 5 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण कार्य का ठेका एक प्रतिशत ज्यादा पर एक ही ठेकेदार दीपक सिंह चौहान को दे दिया गया। इस निविदा प्रक्रिया को सूचना पटल में प्रकाशित नहीं किया गया और नगर पंचायत कोंटा से एनओसी लिए बिना निविदा प्रक्रिया को पूरा किया गया। इससे न सिर्फ शासन को लाखों रुपए की हानि हुई, बल्कि इस गुप्त टेंडर एवं कमीशनखोरी के कारण गुणवत्ताहीन भवन निर्माण होना तय है। गुप्त तरीके से लाखों का टेंडर जारी कर शासन को चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं आरईएस के अधिकारी।