घास की पोशाक पहनकर आए नक्सलियों ने कैंप पर दनादन दागे 1 हजार ग्रेनेड

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  • जवाबी कार्रवाई में हलाक हो गए तीन नक्सलवादी
  • दोनों ओर से पांच घंटे तक होती रही जबरदस्त फायरिंग
  •  कैंप में घुसकर बड़ी तबाही मचाने की थी तैयारी
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों के कैंप पर नक्सली हमले के मामले में हैरान और परेशान कर देने वाली बात सामने आई है। जंगली घास की पोशाक पहनकर पहुंचे नक्सलियों ने बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) से कैंप पर एक हजार ग्रेनेड दागे थे। नक्सलियों की योजना कैंप में घुसकर बड़ी तबाही मचाने की थी, मगर जवानों की तत्परता के चलते दांव उल्टा पड़ गया। जवाबी कार्रवाई में तीन नक्सलियों को जान से हाथ धोना पड़ा। बाद में पुलिस और सुरक्षा बलों ने सर्चिंग के दौरान बीजीएल की तीन सौ जिंदा सेल बरामद की है।
    छत्तीसगढ़ पुलिस और राज्य एवं केंद्रीय सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई के चलते बस्तर संभाग में नक्सलियों की पैठ का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। नक्सली अब बस्तर संभाग के नारायणपुर, बस्तर, कांकेर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों के उन हिस्सों में सक्रिय हैं, जो आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओड़िशा और महाराष्ट्र की सीमाओं से लगे हुए हैं। उनकी गतिविधियां उन्हीं इलाकों में चल रही हैं
    बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित धर्मारम पुलिस कैंप पर लगभग 300 से माओवादियों ने 16 जनवरी को करीब एक हजार ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) से एक हजार ग्रेनेड दागे थे। पुलिस ने सर्चिग के दौरान कैंप के पास से 300 बीजीएल की जिंदा सेल बरामद की है। कैंप लूटने की नियत से यह हमला किया गया था। कैंप पर हमले के बाद दोनों तरफ से लगभग 5 घंटे तक गोलीबारी हुई। इस जवाबी कार्रवाई में कोबरा की 204 वीं और सीआरपीएफ की 151वीं बटालियन के जवानों ने 3 माओवादियों को ढेर कर दिया। जिसकी पुष्टि खुद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर की है। बताया जा रहा है कि सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के धर्मारम स्थित कैंप के अंदर घुसकर हथियार, वर्दी, रुपए और अनाज लूटने की नियत से नक्सलियों ने कैंप हमले के लिए नया तरीका अपनाते हुए जंगली घास से बनाई गई विशेष पोशाक पहन रखी थी। कैंप की सुरक्षा के लिए लगाई गई बाड़ के कंटीले तारों को कटर से काटकर नक्सली अंदर प्रवेश करने की फिराक में थे। लेकिन जवानों की मुस्तैदी से कैंप पर बड़ा हमला टल गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि माओवादियों ने जीबीएल से हमले किए थे, लेकिन उनके नापाक इरादे नाकामयाब रहे। माओवादियों ने बड़ी संख्या में जवानों को मारने और घायल करने का भी दावा किया था, मगर उनके दावे को पुलिस ने खारिज कर दिया है।

घसीटते ले गए मृत साथियों को
मिली जानकारी अनुसार 16 जनवरी की रात मुठभेड़ के बाद माओवादी अपने तीनों साथियों के शवों को घसीटते हुए अपने साथ लेकर चले गए। सुरक्षित जंगली क्षेत्र में इन तीनों माओवादियों के शवों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। माओवादियों ने अपने साथियों के मारे जाने की पुष्टि करते हुए इसके लिए सरकार को दोषी ठहराया है। धर्मारम कैंप में गोलीबारी से 3 माओवादी ढेर हो गए। माओवादियों ने प्रेस नोट में इसकी पुष्टि की है तथा अपने मृत साथियों की तस्वीर जारी करते हुए संगठन में उनके द्वारा वर्षों तक किए गए कार्यों का जिक्र किया है। माओवादी प्रवक्ता समता द्वारा जारी प्रेस नोट में साथी माओवादियों के नाम का भी खुलासा किया गया है। मारे गए माओवादियों में करटम देवा निवासी करीमगुंडम, मुचाकी विक्रम निवासी ग्राम चंदा जिला बीजापुर, मडकम देवा निवासी एर्रानपल्ली जिला बीजापुर बताए गए हैं। प्रेस नोट में माओवादी नेता ने लिखा है हमारे लड़ाकू कामरेड कैंप पर हमला करते हुए शहीद हुए हैं।

कहां से आते हैं ऐसे घातक हथियार
बस्तर संभाग में सक्रिय नक्सली बड़े ही घातक हथियारों से लैस हो चुके हैं। उनके पास बम, ग्रेनेड, इंसास रायफल, एसएलआर, बैरल ग्रेनेड लांचर जैसे असलहे हैं। आखिर ऐसे अत्यंत घातक हथियारों की आपूर्ति नक्सलियों को कहां से हो रही है, यह जांच का विषय है। वहीं नक्सलियों का ऐसे तबाही मचाने वाले हथियारों से लैस होना हैरानी और परेशानी का सबब बन गया है। 16 जनवरी की रात धर्मारम स्थित कोबरा बटालियन एवं सीआरपीएफ के कैंप पर बीजीएल से लगातार दागे गए ग्रेनेड्स के धमाकों से पूरा इलाका पांच घंटे तक दहलता और गूंजता रहा। रूस – यूक्रेन युद्ध के जैसा दृश्य उत्पन्न हो गया था।