नपा में अविश्वास प्रस्ताव पर हार, स्थानीय भाजपा नेतृत्व के लिए चिंतन का विषय

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  •  भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अब लेना होगा कठोर निर्णय
  • यहां पाई हुई सत्ता कांग्रेस को सौंप देते हैं भाजपाई

दल्लीराजहरा बालोद जिले की सबसे बड़ी नगर पालिका परिषद दल्ली राजहरा में कांग्रेसी अध्यक्ष के खिलाफ भाजपा पार्षदों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। भाजपा की यह हार पार्टी के स्थानीय नेतृत्व के लिए आत्मचिंतन और केंद्रीय नेतृत्व के लिए कड़े फैसले लेने का संदेश दे गई है।

2019 में बालोद जिले की सबसे बड़े नगर पालिका परिषद दल्ली राजहरा के 27 वार्डो के लिए पार्षद पद के चुनाव में भाजपा को मतदाताओं ने 13 पार्षद दिए। एक निर्दलीय पार्षद जो भाजपा का कट्टर समर्थक था को मिलाकर 14 पार्षद भाजपा के पास थे। कांग्रेस अपनी हार को दोहराते हुए और सिमटे-सिमटते नौ सीटों तक सिमट गई थी। भाजपा जैसे मजबूत संगठन के स्थानीय कमजोर नेतृत्व व जीते हुए पार्षदों के आपसी खींचतान तथा आपसी फूट का लाभ उठाते हुए नौ पार्षदों वाली कांग्रेस पार्टी ने अपने स्थानीय संगठन के मजबूत नेतृत्व, सटिक राजनीतिक रणनीतिक कौशल व एकता के बल पर हारी हुई बाजी को पलटकर अध्यक्ष पद हथिया लिया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने छत्तीसगढ़ की सत्ता में जोरदार वापसी की। सत्ता में आने के बाद छत्तीसगढ़ की बहुत सारी नगर पंचायतों, जिला पंचायतों, नगर पालिकाओं, जहां कांग्रेसी अध्यक्ष या कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष आसीन थे वहां भाजपा, निर्दलियों व असंतुष्ट कांग्रेसी पार्षदो द्वारा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की एक लहर ही चल पड़ी थी। बहुत सी जगहों पर भाजपा को लाभ भी हुआ और उसके अध्यक्ष भी बन गए, लेकिन दल्ली राजहरा में बहुमत होने के बाद भी भाजपा फिर हार गई। ऐसे में निश्चित तौर कहा जा सकता है की जहां -जहां पर भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव लाकर लाभ मिला, हुआ वहां पर उसका सारा श्रेय भाजपा के स्थानीय संगठन के कुशल नेतृत्व, बेहतर राजनीतिक रणनीति, कूटनीति व संगठनिक एकता को दिया गया है, किंतु राजहरा नगर पालिका में शुरु से बहुमत में होने के बाद भी भाजपाई आपसी खींचतान, पार्टी हित की अपेक्षा स्वहित को प्राथमिकता देने के कारण अपनी सत्ता कायम न कर सके। लेकिन राज्य की सत्ता पर वापसी और उसके बाद अनेक जगहों के स्वशासी निकायो में एकता के साथ किये गये सफल प्रयास से पुन: वापसी से भी दल्ली राजहरा के भाजपा पार्षद, नेनृत्वकर्ता, रणनीतिकार कोई प्रेरणा और पूर्व की गलतियों से सबक न ले सके और अपनी गलतियों को दोहराते नजर आए। इसका परिणाम बहुमत की संख्या होने के बावजूद अविश्वास प्रस्ताव में हार के रुप में पुन: सामने है। जहां भाजपा सत्ता प्राप्ति का कोई अवसर जाने नहीं देती, मगर दल्ली राजहरा में उल्टा होता आया है। यहां की जनता भाजपा को स्थानीय निकाय की सत्ता सौंपती है और भाजपाई पाई हुई सत्ता को कांग्रेस के हवाले कर देती है। स्थानीय संगठन और जनप्रतिनिधियों के बीच मजबूत आपसी तालमेल का अभाव, कमजोर स्थानीय संगठन व नेतृत्व, कुशल राजनीतिक-कूटनीतिकार की कमी, आपसी विश्वास में कमी, संवादहीनता, पार्टी हित की जगह स्वहित को प्राथमिकता, अनुशासनहीनता व केंद्रीय नेतृत्व का भय न होना जैसे गंभीर कारणों से भाजपा पिछले 15 वर्षो से पराभव झेल रही है। आज के अविश्वास प्रस्ताव में मिली हार पर भाजपा के स्थानीय नेतृत्वकर्ताओं को आत्मचिंतन करना चाहिए, अन्यथा इतिहास का दोहराव ऐसी ही हार के रूप में होता रहेगा।