- घंटों लाईन में लगने के बाद भी काट रहे बैंक के चक्कर
- जिला सहकारी बैंक शाखा में कैश की भारी किल्लत
अर्जुन झा
बकावंड जो किसान धान की उपज लेने के लिए 6-7 माह तक खेतों और खलिहानों में जमकर पसीना बहाते हैं, उन्हें अपनी उपज बेचने के बाद रकम के लिए भटकना पड़ रहा है। बैंक शाखा में किसानों को उनके धान की रकम का भुगतान नहीं किया जा रहा है। बताते हैं कि बैंक में कैश की किल्लत की वजह से ये हालात बने हैं। लीड बैंक से शाखा में पर्याप्त कैश नहीं भेजा जाता। या फिर स्थानीय शाखा के अधिकारी कर्मचारी किसानों को टरकाने के लिए कैश की कमी का बहाना बनाते हैं।
बस्तर जिले के बकावंड स्थित जिला सहकारी बैंक शाखा में किसानों को खुद की ही राशि निकालने घंटों बैंक के सामने लाईन लगना पड़ रहा है। हद तो तब हो जाती है, जब दिनभर लाईन ने लगे रहने के बाद शाम होने के पहले बैंक से किसानों को यह कहकर बैरंग लौटा दिया जाता है कि कैश खत्म हो गया है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों में उनके द्वारा बेचे गए धान की राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। वहीं धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदने की बात भी भाजपा ने पूरे दम खम से कही थी। एकमुश्त भुगतान तो दूर, किसानों को फूटी कौड़ी का भी भुगतान नहीं हो रहा है।
सरकारी धान खरीदी केंद्रों में धान बेचने के बाद किसान अब धान की रकम पाने के लिए भटक रहे हैं। बकावंड तथा आसपास की अनेक सहकारी समितियों के पंजीकृत किसानों को जिला सहकारी बैंक की बकावंड शाखा से भुगतान करने की व्यवस्था की गई है। मगर यह बैंक शाखा खुद कंगाली के दौर से गुजर रही है। सूत्र बताते हैं कि शासन ने किसानों के धान की रकम किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी है। उसके बाद भी किसान अपनी रकम का आहरण नहीं कर पा रहे हैं। किसान भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि जब चुनाव था तो किसानों के हित में भाजपा सरकार अपने घोषणा पत्र के माध्यम से 3100 रुपए क्विंटल के भाव से धान धान खरीदने क्विंटल और एकमुश्त पैसा देने का वादा किया था। आज जब भाजपा की सरकार बन चुकी तो किसानों को खुद के पैसे निकालने के लिए घंटों लाईन में लगना पड़ रहा है। ऊपर से तुर्रा यह कि घंटों लाईन में खड़े होने के बावजूद कैश खत्म होने की बात कहकर किसानों को बैंक से बैरंग लौटाया जा रहा है।
प्रबंधक सुनने को तैयार नहीं
जिला सहकारी बैंक बकावंड के प्रबंधक द्वारा किसानों की समस्या सुलझाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। दो- दो काउंटर लगाकर भीड़ को काम किया जा सकता है, किंतु प्रबंधक की लापरवाही के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों के बाहर गर्मी से किसान परेशान होते रहते हैं और प्रबंधक अंदर बैठकर ठंडी हवा खाते रहते हैं। किसान उन्हें अपनी परेशानी से अवगत कराते हैं, तो वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होते।