शिक्षक के फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में कमिश्नर -कलेक्टर आए एक्शन मोड में

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  • प्रभारी प्राचार्य के. रामा यशवंत पर होगी कार्रवाई
  • फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने पाने का आरोप
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर संभाग के सुकमा जिले के एर्राबोर हायर सेकंडरी स्कूल के प्रभारी प्राचार्य के जाति प्रमाण पत्र का मामला अब बस्तर संभाग के कमिश्नर तक पहुंच गया है। इसे लेकर कमिश्नर और सुकमा के कलेक्टर अब एक्शन मोड में आ गए हैं। कमिश्नर कार्यालय से प्राप्त निर्देश के तहत कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा को निर्देश दिया है कि प्रकरण की जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट पेश करें।
    आरोप है कि के. रामा यशवंत ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर उसके जरिए शिक्षा विभाग में नौकरी पा ली है। वे पहले शिक्षक थे और प्रमोशन पाते हुए प्रभारी प्राचार्य के पद तक पहुंच गए हैं। वर्तमान में वे सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला एर्राबोर में प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। बीजापुर जिले के निवासी के. रामा यशवंत के जाति प्रमाण पत्र का मामला जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के समक्ष भी विचाराधीन है। जिला स्तरीय छानबीन समिति के. रामा यशवंत को उनकी वंशावलि, पटवारी मिसल रिकॉर्ड, कोटवार रजिस्टर पंजीयन आदि की प्रतियों के साथ उपस्थित होने के लिए कई बार नोटिस जारी कर चुकी है। उक्त शिक्षक कभी मेडिकल अनफिट, तो कभी जरूरी कार्य का बहाना बनाकर समिति के समक्ष उपस्थित होने से बचते आ रहे हैं। जिस दौरान के. रामा यशवंत ने खुद को मेडिकल अनफिट बताकर समिति के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थता जताई थी, उस समय वे अपनी शाला में ड्यूटी करते देखे गए थे। उनकी बहानेबाजी को देखते हुए लगता है कि दाल में कुछ तो काला है।

अब कौन बचाएगा…?
ताजा मामला इस प्रकार है कि कोंटा नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 4 निवासी नागेंद्र ओलेम ने बस्तर संभाग आयुक्त कार्यालय में शिकायती आवेदन प्रस्तुत कर के. रामा यशवंत को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में पद से बर्खास्त कर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने की मांग की है। इस पर संज्ञान लेते हुए संभाग आयुक्त के निर्देश पर उप आयुक्त ने सुकमा के कलेक्टर को पत्र जारी कर जांच के लिए कहा है। कलेक्टर ने सुकमा के जिला शिक्षा अधिकारी को आदेशित किया है कि मामले की विस्तृत जांच कर प्रतिवेदन कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत करें। वहीं पता चला है कि के. रामा यशवंत को पिछले कई साल से कथित फर्जीवाड़ा करने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा और पूर्व मंत्री के कुछ सिपहसालार लेनदेन के चलते बचाते आ रहे हैं। अब मामले पर संभाग आयुक्त और कलेक्टर के के एक्शन मोड में आ जाने से शिक्षक का बचना असंभव हो गया है।