पोटा केबिन हॉस्टल अग्निकांड में जिंदा जल गई आदिवासी छात्रा

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  • सर्व आदिवासी समाज ने सरकार पर फोडा ठीकरा

जगदलपुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के आवापल्ली स्थित आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल पोटा केबिन में बीती रात हुई भीषण अग्नि दुर्घटना में लापता एक छात्रा की मृत्यु हो जाने की खबर है।सर्व आदिवासी समाज ने इसकी पुष्टि की है। वहीं सर्व आदिवासी समाज ने इस घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष अशोक कुमार तलांडी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने घटना स्थल का दौरा किया और अधिकारियों तथा मृत छात्रा के परिजनों से चर्चा की। प्रतिनिधि मंडल में अशोक कुमार तलांडी, गोंडवाना समाज जिलाध्यक्ष नरेंद्र बुरका, हल्बा समाज प्रमुख गुज्जा राम पवार, आदिवासी समाज के ब्लाक संरक्षक बीएस नागेश, परधान समाज प्रमुख राम प्रसाद नक्का, दोरला समाज प्रमुख धुर्वा वीरैया, गोपाल, सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग से चंद्रशेखर अंगमपली, गोंड समाज सदस्य तलांडी संतोष, महिला प्रभाग से लक्ष्मी ककेम, चिल्का मोडियम, सुशीला कोरम व अन्य समाज प्रमुखों ने बीजापुर जिले के आवापल्ली बालिका पोटा केबिन का दौरा करने के बाद बताया कि आग से पूरी पोटा केबिन पूर्णतः जलकर राख हो गई है। इस घटना में एक मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत हुई है। बच्ची की आत्मा की शांति के लिए समाज प्रमुखों ने 2 मिनट मौन धारण किया और बच्ची को श्रद्धांजलि दी। समाज प्रमुखों ने मौके पर जाकर मामले की अपने स्तर पर जांच भी की। पोटा केबिन अग्निकांड में बच्ची की मौत तथा कन्या आश्रमों, शिक्षा परिसरों और छात्रावासों में रह रहे आदिवासी बच्चों की सुरक्षा के संदर्भ में अधिकारियों व मृत बालिका के परिजनों से रूबरू चर्चा की।

जिसमें स्पष्ट हुआ कि आदिवासी समाज के बच्चे और युवा शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, पर सरकार की नाकामी की वजह से बीजापुर जिले के विभिन्न शासकीय आश्रमों, छात्रावासों पोटा केबिन में आएदिन घटनाएं हो रही हैं। अशोक तलांडी ने सरकार को आड़ेहाथ लेते हुए चेतावनी दी है कि इस प्रकार की लापरवाही नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियां पक्ष विपक्ष में रहते हुए केवल खानापूर्ति के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं।आदिवासी बहुल क्षेत्र में पांचवी अनुसूची, छठवीं अनूसूची पेसा कानून वन अधिकार अधिनियम के पालन साथ यहां के जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार पर कोई भी दल गंभीरता नहीं दिखाता। अशोक कुमार तलांडी ने कहा कि हम आदिवासी जल, जंगल, जमीन के रखवाले और परंपरा, बोली भाषा के साथ ही भारतीय संविधान को मानने वाले लोग हैं। हम कतई नहीं चाहते कि जब कभी भी इस प्रकार के घटनाएं हों, तो छोटे कर्मचारियों को स्थानांतरित व निलंबित किया जाए। जबकि आश्रम, छात्रावासों, शैक्षणिक संस्थाओं के समुचित प्रबंधन और आदिवासी क्षेत्रों के सर्वागीण विकास के लिए जिला प्रशासन को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा करोड़ों का बजट दिया जाता है। हमारी मांग है कि शिक्षा के क्षेत्र में विगत 20 सालों से विभिन्न विभागों को किस किस मद से कितनी राशि आंबटित की गई है, उसे सार्वजनिक किया जाए। समाज प्रमुखों के साथ बैठक कर शासन प्रशासन समन्वय के साथ काम करे तभी आदिवासियों का भला हो पाएगा। स्थापित करना चाहते है। अशोक तलांडी ने कहा कि ऐसी घटनाएं सरकार की नाकामी को दर्शाती हैं। यहां के मूल निवासियों को अच्छी शिक्षा ग्रहण कराने के उद्देश्य से करोड़ों का बजट आता है पर आज भी कई आश्रमों, छात्रावासों, पोटा केबिनों में समस्याओं का अंबार है। हॉस्टलों में स्वास्थ्य सुविधाओं, शौचालय, चारदीवारी, भवनों की दुर्दशा, विद्युत वायरिंग की कमी है। तलांडी ने आगे कहा कि पोटा केबिन का बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से वैकल्पिक व्यवस्था के रूप निर्माण हुआ था। सरकारें आईं गईं लेकिन आज तक शिक्षा का मंदिर जैसे भवनों का निर्माण नहीं किया गया। जिसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सरकार से मांग है कि शिक्षा से जुड़े खंडहर भवनों की जगह यथाशीघ्र नए भवनों का निर्माण किया जाए। आवपल्ली पोटा केबिन में अध्ययनरत छात्राओं के आवश्यक सामान के साथ शैक्षणिक कागजात जलकर राख हो गए हैं। शासन व जिला प्रशासन से मांग है कि यथाशीघ्र संस्था में शिविर आयोजित कर बच्चों का आवश्यक कागजात बनवाए और संस्थाओं में संबंधित अधिकारी कर्मचारी नियमित रहें। अधिकांश जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी नदारद रहते हैं। जिला प्रशासन के नियंत्रण के आभाव में ऐसी घटनाओं की वृद्धि हो रही है।