कवासी लखमा की ये कैसी मजबूरी, भाजपा से नजदीकी और कांग्रेस से क्यों है दूरी?

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  • बस्तर का चुनाव हास परिहास तक सिमटा
  • बेटे के लिए बहू ढूंढने गया था पार्टी ने मुझे दुल्हन सौंप दी: लखमा

अर्जुन झा

जगदलपुर लोकसभा सीट बस्तर का चुनाव पार्टी द्वारा निर्धारित मापदंड से हटकर प्रत्याशी के किए प्रहसन पर ही आधारित हो रहा है। बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा जो कोंटा विधानसभा से एमएलए भी हैं उन्होंने कहा है कि मैंने अपने पुत्र हरीश कवासी के लिए संसद का टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने मुझे दे दिया।अब वर्तमान सांसद दीपक बैज का विरोध भी इसी क्रम में किया कि मैं एमएलए तो मेरा बेटा एमपी बने, इस समय कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप चरम सीमा पर है। शायद पार्टी ने यही सोचकर टिकिट मुझे ही दिया, अब भरी सभा में अपनी मजबूरी बताते हुए कवासी लखमा कह रहे हैं कि मेरे पुत्र को टिकिट नहीं दिया तो मुझे मजबूरी में लड़ना पड़ रहा है। अब क्या सवाल नहीं बनता कि कवासी लखमा मजबूरी में चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताने के आरोप से घिरे रहे कवासी लखमा आखिर किस मजबूरी के चलते भाजपा से लगातार नजदीकी बढ़ाते जा रहे हैं और कांग्रेस से दूरी बनाते चले जा रहे हैं। जाहिर है छत्तीसगढ़ के बहु चर्चित आबकारी घोटाले के दाग कवासी लखमा के दामन पर भी लगे हैं।. जब यह तथाकथित घोटाला हुआ, तब कवासी लखमा ही आबकारी मंत्री थे। जनचर्चा है कि कवासी लखमा इस दाग से उबरने के लिए भाजपा से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। यानि बस्तर लोकसभा सीट को कांग्रेस के हाथ से फिसल जाने देने की पूरी पटकथा विधानसभा चुनाव के समय ही लिखी जा चुकी थी। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस के एक शीर्ष नेता के इशारे पर बस्तर में भाजपा को बंपर जीत दिला दी गई और अब अबकी बार 400 पार के भाजपाई लक्ष्य की पूर्ति में भी तथाकथित कांग्रेस नेता बड़ा योगदान देने में लग गए हैं। कोयला घोटाले में फंसे भिलाई नगर के विधायक देवेंद्र यादव को पैरशूट प्रत्याशी बनाकर बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में भेजा जाना भी इसी रणनीति का ही एक हिस्सा है।

एक तो कोयले का दाग, दूसरा बाहरी होने का तोहमत। ऐसे में बिलासपुर की जंग कांग्रेस के लिए आसान भला कैसे रह जाएगी? अब आते हैं बस्तर लोकसभा सीट की ओर। तो जनाब कवासी लखमा एक मसखरे नेता हैं, मगर राजनीति में मसखरापन कभी भी टिकाऊ नहीं होता। लोग ऐसे नेताओं की बातों को सीरियसली नहीं लेते। राजनेताओं का धीर गंभीर होना जरूरी होता है और हमारे लखमा जी में तो इस चीज की बड़ी कमी है। बस्तर सीट से दीपक बैज कांग्रेस के लिए जिताऊ प्रत्याशी साबित हो सकते थे, मगर उनकी दावेदारी का प्रबल विरोध कांग्रेस के ही एक गुट विशेष द्वारा किया गया। इसमें कवासी लखमा को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया गया। अब वही लखमा दुहाई देते फिर रहे हैं कि टिकट मुझे नहीं, कांग्रेस के सबसे बड़े नेता दीपक बैज को देना था। अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले कवासी लखमा ने एकबार फिर से मंच से बड़ा बयान दे दिया कि बस्तर लोकसभा से मुझे टिकट न देकर बस्तर के बड़े नेता दीपक बैज को देना चाहिए था। साथ ही कवासी लखमा ने यह भी जोड़ दिया कि मैं तो अपने बेटे के लिए दुल्हन खोजने गया था, लेकिन पार्टी ने तो मुझे ही दुल्हन थमा दी। बुधवार को कांग्रेस द्वारा जगदलपुर के लालबाग मैदान पर नामांकन रैली व सभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए कवासी लखमा ने यह बातें कही। ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव के प्रबल दावेदार माने जा रहे पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को टिकट न देते हुए बस्तर लोकसभा से कांग्रेस ने कोंटा विधानसभा क्षेत्र से 6 बार विधायक रह चुके कवासी लखमा को प्रत्याशी बनाया है। टिकट मिलने से पहले तक कवासी लखमा दिल्ली में डेरा डाले बैठे थे। कवासी लखमा का विचार था कि कांग्रेस पार्टी उनके बेटे सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी को लोकसभा चुनाव का टिकट दे। कवासी लखमा के इस बयान ने कांग्रेस के अंदर टिकट को लेकर चल रहे खींचतान को भी साफ कर दिया है। सभा को सम्बोधित करते हुए कवासी लखमा ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को पार्टी का सबसे बड़ा नेता बताया। दीपक बैज को लोकसभा का टिकट नहीं मिलने से उनके समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। कवासी लखमा को इस बात का अंदाजा है कि अगर उन्हें लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करानी है तो उन्हें बस्तर से दीपक बैज के समर्थकों को भी साथ लेकर चलना होगा।

ठीकरा फोड़ने के लिए बैज हैं न

कवासी लखमा ने अपने बयान से यह स्पष्ट कर दिया है कि दीपक बैज पीसीसी अध्यक्ष है, साथ ही प्रदेश के सबसे बड़े नेता हैं और उनकी जिम्मेदारी 11 लोकसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की है। मतलब चित भी मेरी, पट भी मेरा। जीत गए, तो कहेंगे अपनी काबिलियत से जीते हैं और हार गए, तो ठीकरा फोडने के लिए दीपक बैज तो हैं ही। हार की जिम्मेदारी थोपने के लिए अभी से भूमिका बनाई जाने लगी है।