सुकमा जिला भाजपा में जूतम पैजार के हालात, पार्टी को हो सकता है नुकसान

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  •  जिले के निकायों में नहीं है पार्टी का कोई अस्तित्व
  • नहीं खुल पाया प्रत्याशी का चुनाव कार्यालय भी

अर्जुन झा

जगदलपुर देश में इस समय चुनाव का जबरदस्त माहौल है। वहीं दूसरी ओर बस्तर लोकसभा क्षेत्र की सुकमा जिला भाजपा में जूतम पैजार के हालात बने हुए हैं। अंतर कलह का आलम यह है कि सुकमा जिले में भाजपा का चुनाव कार्यालय भी नहीं खुल पाया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और भाजपा के नेता एवं प्रत्याशी इस जिले के अंदरूनी गांवों में अब तक नहीं पहुंच पाए हैं, जबकि चुनाव को महज हफ्ताभर शेष रह गया है।

19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है और चुनाव परिणाम 4 जून को आने हैं। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक लोकसभा सीट बस्तर के लिए मतदान प्रथम चरण में 19 अप्रैल को होना है। लेकिन अभी तक दोनों बड़ी पार्टी कांग्रेस और भाजपा प्रचार करने गांवों तक नहीं पहुंची हैं। कोंटा विधानसभा क्षेत्र से छठवीं बार जीत दर्ज कराने वाले पूर्व आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के समर में उतार दिया है। उनके विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र कोंटा में के नगरीय निकायों, ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायतों और जिला पंचायत में ज्यादातर जनप्रतिनिधि कांग्रेस के हैं। विधानसभा क्षेत्र कोंटा के विधायक कवासी लखमा कांग्रेस से हैं।जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत सभी पद कांग्रेस के पास हैं, तीनों नगरी निकायों पर कांग्रेस का कब्जा है और तीनों जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य कांग्रेस के हैं। ऐसे में भाजपा के पास जनप्रतिनिधि नहीं होना कहीं न कहीं कमजोर पड़ने का बड़ा कारण है। कोंटा नगर पंचायत की बात करें तो यहां के 15 वार्डों में केवल एक ही वार्ड भाजपा के पास है। राजनीतिक गलियारों से बाते निकल कर आ रही है कि सुकमा जिले के भाजपा नेता की गुटों में बंटे हुए हैं और उनके बीच जबरदस्त मतभेद चल रहा है। जब भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप प्रचार करने सुकमा जिले भर के दौरे थे, तब यह मतभेद साफ देखने को मिला। तोंगपाल में मनमुटाव के चलते पूरी तरह प्रचार नहीं किया जा सका। छिंदगढ़ में तो भाजपा कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए। वहीं सुकमा जिला मुख्यालय में भाजपा प्रत्याशी और प्रचार दल को मार्ग बदलना पड़ गया। कोंटा में तो आपसी रंजिश में भाजपा लोकसभा चुनाव कार्यालय का उदघाटन तक नहीं हो पाया। कार्यालय अभी तक बंद पड़ा है। चुनाव प्रचार के लिए मात्र चार दिन बचे रह गए हैं। ऐसे में कैसे कोंटा विधानसभा से भाजपा को लीड मिल सकती है? यह विचारणीय मसला है।

जिला अध्यक्ष से नाराजगी

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा ने सभी मुख्य जगहों पर अपने चुनाव कार्यालयों का एक हफ्ता पहले ही उद्घघाटन कर दिया था। कांग्रेस के कार्यकर्त्ता अंदरुनी गांवों तक प्रचार करने पहुंच रहे हैं। ऐसे में भाजपा सुकमा जिले में आपसी रंजिश और मतभेदों में फंसी हुई है। और भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार अभियान धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि सुकमा जिला भाजपा अध्यक्ष धनीराम बारसे की कार्यप्रणाली को लेकर जिले के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता नाखुश हैं। ऐसे में सुकमा जिले में भाजपा के राम ही मालिक हैं। दूसरे तारणहार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव साबित हो सकते हैं।

इसलिए छोड़ा भीमा ने साथ

क्षेत्र के जाने माने नेता सोयम भीमा ने भाजपा को अलविदा कह दिया है और अब वे फिर से कांग्रेसी बन गए हैं। सोयम भीमा ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि सुकमा भाजपा में आपसी रंजिश और गुटबाजी चरम पर है। इसीलिए मैं भाजपा से वापस कांग्रेस में आ गया हूं। आप ही देख लीजिए कि भाजपा नेता कोंटा में अपना लोकसभा चुनाव कार्यालय तक नहीं खोल पाए हैं। इस लोकसभा सीट से हमारी कांग्रेस पार्टी और प्रत्याशी कवासी लखमा की जीत पक्की है। इस बार देश में कांग्रेस की लहर है।