- नदी के भरोसे धान फसल ले रखी है कई किसानों ने
- नदी में पानी न रहने से सूख रही है खड़ी फसल
अर्जुन झा
बकावंड जो नदी पचास साल में कभी जल विहीन नहीं हुई, वह अचानक सूख गई और इसी के साथ मुरझा गई उन किसानों की तकदीर भी, जिन्होंने इंद्रावती नदी के भरोसे धान की फसल उगा रखी है। पानी के बिना फसल तेजी से सूखती जा रही है और उसी रफ्तार से किसानों के माथे की लकीरें भी चिंता में बड़ी होती जा रही हैं।किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसानों ने इंद्रावती नदी में बांध से पानी छोड़ने की मांग की है, ताकि उनकी फसल सुरक्षित रह सके।
बस्तर जिले के बकावंड विकासखंड की पांच ग्राम पंचायतों के पचासों किसान नदी किनारे स्थित अपने खेतों में हर साल गर्मी के मौसम में भी फसल लगाते हैं। धान की फसल को पानी देने के लिए किसानों ने डीजल पंप भी वहां लगा रखे हैं। पंपों की मदद से नदी के पानी को लिफ्ट कर खेतों तक पहुंचाते हैं और नदी के दम पर अच्छी उपज भी प्राप्त कर लेते हैं। मगर इस बार इंद्रावती नदी लगभग पूरी तरह सूख गई है और खुद प्यास से तड़पती नजर आ रही है। नदी में पानी न के बराबर रह गया है। किसान पंप से पानी खींचने की कोशिश करते हैं, तो पंप जवाब दे देते हैं और पाईप में नदी की रेत भर जाती है।किसान बताते हैं कि पचास साल के इतिहास में पहली बार इंद्रावती नदी अप्रैल के महीने में सूखी है। इससे पहले कभी ऐसे हालात पैदा नहीं हुए थे। ओड़िशा की सीमा से लगकर स्थित भसकली समेत अन्य गांवों के आसपास इंद्रावती नदी पूरी तरह निर्जल हो गई है। इन गांवों के आसपास सिंचाई का कोई और साधन नहीं है कि किसान अपनी सूखती फसल की जान बचा सकें।
बांध से पानी छोड़ने की मांग
लंबोदर पटेल, रघुनाथ, काड़ी, कमलू राम नाग, नंदो राम नाग, शंकर नाग, भुजबल बघेल, अमर, पाकलू समेत अन्य किसानों ने बताया कि ओड़िशा से आकर भास्कली के पास इंद्रावती नदी से मिलने वाली नदी में ओड़िशा सरकार ने बांध बना रखा है। इस वजह से इंद्रावती नदी में पर्याप्त पानी नहीं पहुंचता। किसानों ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार अगर ओड़िशा सरकार से चर्चा कर ओड़िशा के बांध से पानी छोड़ने की पहल करती है तो किसानों की फसल बच सकती है। किसानों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, जगदलपुर के विधायक एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव और वन मंत्री केदार कश्यप से इस संबंध में पहल करने का आग्रह किया है।