जगदलपुर
रात्रिकालीन कर्फ्यू के दौरान शहर के मदिरा प्रेमियों को दुकान बंद होने के पश्चात कालाबाजारी के माध्यम से आबकारी विभाग ने उन्हें शराब उपलब्ध कराने का अनोखा तरीका अपनाया है. देखा जा रहा है कि आबकारी विभाग के कुछ कर्मचारी एवं उनके सहयोगी अपने-अपने या कुछ परिचितों के वाहन की डिक्की में विभिन्न ब्रांडों की शराब अधिक मात्रा में निकाल कर रख लेते हैं और दुकान बंद होने के पश्चात ऐसे मदिरा प्रेमियों को जो नियत समय पर शराब लेने पहुंच नहीं पाते हैं; उन्हें अधिक मूल्य पर शराब बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं.
आपदा में अवसर तलाशने का आबकारी विभाग के इस कारनामे को शासन के विभिन्न विभाग के लोग भी जान रहे हैं, किंतु जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का के कहावत को चरितार्थ करते हुए पुलिस विभाग एवं आबकारी विभाग जब आपसी मिलीभगत से ऐसी घटना घटित होने देते हैं तो प्रशासन द्वारा लगाए गए रात्रिकालीन कर्फ्यू का कोई मायने निश्चित ही नहीं रह जाता है.
पुलिस भले रात्रिकालीन कर्फ्यू के दौरान सैकड़ों लोगों को पकड़ने का दावा करे लेकिन उन्हीं से संबंधित कुछ विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी जब कर्फ्यू का फायदा उठाकर शराब की कालाबाजारी करें और आपदा को अवसर में बदलकर अपनी जेबे गर्म करना शुरू कर दें तो ऐसे मामलों का कोरोनाकाल के दौरान आम जनता पर क्या असर होगा यह आम आदमी स्वयं समझ सकता है.
शहर स्थित शराब दुकान के आसपास के सूत्रों ने जानकारी दी कि शासन द्वारा निर्धारित सुबह 09:00 से 06:00 बजे संध्या के पश्चात आबकारी विभाग नियमानुसार अपनी दुकान तो बंद कर देता है; किंतु, शराब के शौकीन कुछ लोग देर से शराब की खोज में निकलते हैं, ऐसे लोगों को पहचान कर उन्हें शराब उपलब्ध कराने के लिए आबकारी विभाग के उच्च दलाल किस्म के लोग शराब दुकान के 50 से 100 मीटर के दायरे में खड़े रहते हैं. जैसे ही उन्हें पता चलता है यह व्यक्ति शराब लेने के लिए आया है, वे किसी अन्य के माध्यम से चर्चा कराकर विशेष व सामान्य किस्म की शराब का अधिक मूल्य तय कर ऐसे लोगों को शराब तत्काल उपलब्ध कराते हैं.
चांदनी चौक व नया बस स्टैंड मार्ग पर तकरीबन शाम 7:00 बजे के बाद रोजाना ऐसा माहौल देखने को मिलता है. कई बार तो डिक्की वाली वाहनों में ये कोचिये घूमते नजर आते हैं और मौके की तलाश मिलते ही नगद राशि लेकर तत्काल शराब उपलब्ध करा देते हैं. सूत्र बताते हैं कि जो पव्वा Rs 200 से Rs 250 रुपए में मिलता है; उसे धड़ल्ले से Rs 300 से Rs 500 तक बेचा जा रहा है, जिसकी सुध अब तक ना आबकारी विभाग ने ली है और ना ही पुलिस विभाग ने.
इस संबंध में अधिक जानकारी लेने के लिए आबकारी विभाग के निरीक्षक रवि पाठक को निरंतर फोन किया गया लेकिन उन्होंने व्यस्तता के चलते फोन नहीं उठाया.