गले की समस्या से जूझ रहे पत्रकार दीपक यादव के इलाज में आगे मदद और शासन से सहायता राशि दिलाने के लिए विधायक संगीता सिन्हा ने दिया आश्वासन

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  • हालात बताते रो पड़ी पत्रकार की पत्नी माधुरी तो गले लगा कर विधायक बोली “चिंता मत करो, मैं हूं ना,,,,
  • आचार संहिता हटते ही पहला काम आपका करवाऊंगी

बालोद/गुरुर। ग्राम जगन्नाथपुर के रहने वाले एक पत्रकार दीपक यादव का हाल ही में गले का दो ऑपरेशन हुआ है। जिसका वे विगत 22 अप्रैल 2024 से इलाज करवा रहे हैं। उनके गले में मवाद जमा होने और टांसिल की समस्या थी। जिसका इलाज जारी है और आगे सर्वाइकल स्पाइन (रीढ़ की हड्डी में नस दबने से) संबंधित भी इलाज होना है। इस संबंध में उनका दुर्ग के गला रोग विशेषज्ञ के अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसके अलावा ऑपरेशन के बाद घर पर भी इलाज जारी है। लंबे समय से चल रहे इलाज के चलते परिवार को आर्थिक मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। तो वही कई लोगों ने इंसानियत दिखाते हुए सहयोग करके इलाज में मदद भी की है। शासन प्रशासन से मदद की आस के साथ पत्रकार दीपक यादव की पत्नी माधुरी यादव ने संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की विधायक संगीता सिन्हा को जगन्नाथपुर में सेन समाज के कार्यक्रम में आगमन के दौरान ज्ञापन सौंपा और उन्हें विधायक निधि से शासन से मदद दिलाने की मांग की। विधायक संगीता सिन्हा ने मौके पर संवेदनशीलता के साथ उनकी बातों को सुना और पत्रकार दीपक के बारे में हालचाल पूछा।

रो पड़ी पत्नी तो विधायक ने गले लगाया

पति का अस्पताल गए होने और अब तक के हालात बताते हुए पत्नी माधुरी मौके पर रो पड़ी तो विधायक ने तत्काल उन्हें गले से लगा लिया और ढांढस बंधाते हुए कहा कि चिंता मत करो, मैं हूं ना। मैं संभाल लूंगी। आचार संहिता हटने के बाद सबसे पहला काम आपका ही कराऊंगी। मुझे मामले की जानकारी मिल चुकी थी। शासन प्रशासन और अपनी ओर से जल्द से जल्द मदद दिलाने और आगे इलाज में भी हर संभव सहयोग करने का आश्वासन विधायक संगीता सिन्हा ने दिया। जिसके लिए पत्रकार की पत्नी माधुरी यादव ने उनका आभार जताया। इस दौरान जगन्नाथपुर के सरपंच अरुण साहू, सांकरा के सरपंच वारुणी शिवेंद्र देशमुख, विधायक प्रतिनिधि कमलेश श्रीवास्तव और अन्य मौजूद रहे । सभी ने माधुरी यादव की मांग को जायज बताते हुए शासन प्रशासन से जल्द मदद दिलवाने की बात कही।

18 पेज का दी है आवेदन के साथ इलाज का पूरा विवरण

माधुरी यादव ने मदद करने के लिए विधायक को दिए ज्ञापन में आवेदन के साथ कुल 18 पेज का पूरा विवरण दी है। जिसमें दीपक यादव और उनके परिवार को हो रही परेशानी , डॉक्टर्स की रिपोर्ट,सिटी स्कैन रिपोर्ट,एमआरआई , इलाज में हुए खर्चों का पूरा जिक्र है। माधुरी ने बताया कि वह जगन्नाथपुर में सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापन का कार्य करती हूं। गरीबी रेखा के तहत जीवन यापन करते हैं। मेरे पति दीपक यादव स्वतंत्र पत्रकारिता (डेली बालोद न्यूज में) करते हैं। जो कि 2007 से श्रमजीवी पत्रकार हैं। विगत 22 अप्रैल 2024 से उनके जीभ में छोटा सा छाला होने के बाद गले में अचानक मवाद जमा होने से आहार और श्वास नली अवरुद्ध हो गया इसके इलाज हेतु दुर्ग के गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मयूरेश वर्मा (एसवीएम अस्पताल) ले गए थे। जहां दुर्ग के सेंटर में सीटी स्कैन, एमआरआई और अन्य जांच उपरांत रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि उनके गले में मवाद का गोला बन चुका है साथ ही टॉन्सिल बाएं साइड से काफी बड़ा हो चुका है और सरवाइकल स्पाइन की भी समस्या है। जिससे गर्दन के पीछे हड्डियों और नसों को काफी नुकसान पहुंचा है।

लास्ट स्टेज में पहुंचे थे अस्पताल, जान बचना था मुश्किल

जब उन्हें अस्पताल ले गए थे तो वे सांस लेने में भी दिक्कत महसूस कर रहे थे। मवाद के गोले के कारण आहार और सांस नली दोनो बंद हो रहे थे। लास्ट स्टेज में होने के कारण तत्काल डॉक्टर ने उन्हे एडमिट किया और इलाज शुरू किया।

आयुष्मान कार्ड में नही टॉन्सिल के इलाज का पैकेज

चूंकि टॉन्सिल के इलाज का पैकेज आयुष्मान कार्ड में नहीं था इसलिए स्वयं के खर्चे पर इलाज करवाना पड़ा। अचानक पैसों की व्यवस्था नहीं होने से लोगों से उधारी लेकर काम चलाना पड़ा। इस बीच 25 अप्रैल से 13 मई के बीच उनके (दीपक यादव) गले का दो ऑपरेशन हुआ। पहला मवाद निकालने का और दूसरा टॉन्सिल का। जिसमें अब तक करीब सवा लाख तक खर्च आ चुका है। आगे इलाज जारी है। प्रति मंगलवार को उन्हें अस्पताल शिफ्ट किया जाता है। घर पर भी ड्रिप, दवाई आदि के जरिए इलाज जारी है। टॉन्सिल का दूसरा ऑपरेशन बड़ा था इसलिए उन्हे खाने पीने में भी दिक्कत है।

अब तक खाना नहीं खा पाते, लिक्विड और ड्रिप के भरोसे जिंदगी

22 अप्रैल से वे भोजन ग्रहण नहीं कर पा रहें हैं। दवाई, दूध, दाल पानी के भरोसे हैं। आगे उनका सरवाइकल स्पाइन (रीढ़ की हड्डियों के बीच नस दबने से संबंधित) का इलाज भी होना है। जिसमें पांच से छह महीने तक दवाई से इलाज चलेगा। इस बीच नस की समस्या ठीक नही हुई तो उसका भी ऑपरेशन करना पड़ेगा। इन सबमें करीब पांच लाख तक खर्च आ सकता है। मैं गरीबी रेखा के तहत जीवन यापन करती हूं। हमारे घर में पति के अलावा और कोई पुरुष सदस्य कमाऊ नहीं है। इलाज में काफी खर्च हो जाने से आगे आर्थिक समस्या आ रही है। इसलिए मेरी समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके मुझे विधायक निधि से सहयोग/ सहायता राशि दिलाया जाए।

1 महीने 1 हफ्ते से जारी है जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष, मैसेज करके बता रहे अपनी कहानी, करीब 1 महीने तक तो बोल भी नहीं पा रहे थे

आपको बता दें कि दीपक यादव करीब 1 महीने तक बोल भी नहीं पा रहे थे। वहीं वर्तमान में भी वे भोजन ग्रहण करने की स्थिति में नहीं है। ड्रिप, दवाई और लिक्विड आहार जैसे दूध, दाल पानी, साबूदाना के भरोसे चल रहे हैं। उन्हें इलाज कराते एक महीने एक हफ्ते से ज्यादा दिन हो चुके हैं। इस बीच लोगों द्वारा भी उनकी काफी मदद की गई है। बोल ना पाने की स्थिति में उन्होंने अपनी भावनाएं सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों तक पोस्ट करके पहुंचाई है और अपनी जिजीविषा की कहानी बताई है कि कैसे वे हालातो का सामना कर रहें और लोगों के सहयोग, दुआओं और प्रार्थनाओं से उन्हें ताकत मिल रही है। दीपक ने मैसेज करके बताया कि कितना कठिन होता है जुबान होकर भी बोल न पाना, कितना मुश्किल होता है खाना होकर भी ना खा पाना। 1 महीने बाद वे अब धीरे-धीरे बोलने की कोशिश कर रहें। पर अभी भोजन ग्रहण करने की स्थिति में नहीं आए हैं। टॉन्सिल का दूसरा ऑपरेशन काफी बड़ा होने के कारण आहार नली का घाव भरने में समय लग रहा है।

जिजीविषा ने बनाया है हौसला

उन्होंने भावुक होकर मैसेज के जरिए कहा कि एक पत्रकार का जीवन सार्वजनिक होता है। लोगों की समस्याओं के लिए वे हमेशा आवाज उठाते रहे हैं। आज उन पर मुसीबत आई तो लोगों ने भी संवेदनशीलता से उनका साथ दिया जिससे वे खुद को अकेला महसूस नहीं करते। जिजीविषा जिसका मतलब जीने की असीम इच्छा होती है इस सोच और भाव ने उन्हें अब तक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान की है और जिंदा रखा है। एक पत्रकार होने के नाते अपना जीवन तभी सार्थक समझता हूं जो समाज के काम आए और समाज भी मुझे करीब से समझे । शायद यही वजह रही कि मुझ पर मुसीबत आई तो सब मेरा साथ देने के लिए आगे आ गए। जिन्हें मैं जानता तक नहीं ऐसे लोगों ने भी मुझे मदद की है। डॉक्टर की टीम से लेकर दवा और दुआ के साथ आर्थिक सहयोग करने वालों को मैं धन्यवाद देता हूं। बोल नहीं पा रहा लेकिन कई भावनाएं उनके भीतर है। इसलिए वे पोस्ट करके अपने मन की बातें रखते आ रहे हैं।

डॉक्टर बोले 15 दिन और लग सकते हैं आहार नली ठीक होने में

28 मई मंगलवार को डॉक्टर मयूरेश वर्मा ने उन्हे गला (आहार नली) पूरी तरह ठीक होने में करीब 15 दिन और लगने की बात कहते हुए दवाई दी है। शासन प्रशासन से मदद मिलने में फिलहाल देर है जिसके चलते लोगों के सहयोग राशि से ही इलाज को जारी रखे हुए हैं।