24 घंटे में ही अपने वादे से पलटी मार गया एनएमडीसी प्रबंधन, ग्रामीणों की तोड़ डाली उम्मीद

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  •  कलेक्टर और विधायक का मान नहीं रखा एनएमडीसी प्रबंधन ने

अर्जुन झा

जगदलपुर एनएमडीसी के उच्च स्तरीय प्रबंधन ने पहले तो भरोसा दिलाया कि जय झाड़ेश्वर परिवहन संघ और स्थानीय ग्रामीणों की सभी मांगें पूरी कर दी जाएंगी, आंदोलनकारी नगरनार स्टील प्लांट का गेट जाम न करें। इससे ग्रामीण और संघ से जुड़े लोग खुशी से झूम उठे थे थे, मगर चंद घंटे गुजरते ही प्रबंधन पलटी मार गया। प्रबंधन ने आज कलेक्टर और स्थानीय विधायक की बात को दरकिनार करते हुए जय झाड़ेश्वर परिवहन संघ की किसी भी मांग को मानने से साफ इंकार कर दिया।

राष्ट्रीय खनिज विकास निगम एनएमडीसी के नगरनार इस्पात संयंत्र में स्थानीय युवाओं को नौकरी तथा लोकल परिवहन व्यवसाइयों को माल परिवहन का काम देने की मांग को लेकर जय झाड़ेश्वर परिवहन संघ मर्यादित द्वारा बीते हफ्ते भर से नगरनार में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। मंगलवार को इन लोगों ने स्टील प्लांट के गेट नंबर 2 को बंद करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद एनएमडीसी के हैदराबाद स्थित मुख्यालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई। वहां के अधिकारियों ने बस्तर जिला प्रशासन और जगदलपुर विधायक से हस्तक्षेप का आग्रह किया बताते हैं कि एनएमडीसी उच्च प्रबंधन ने कलेक्टर और विधायक को भरोसा दिलाया था कि परिवहन संघ की सभी मांगें पूरी कर दी जाएंगी। इसके बाद कलेक्टर और विधायक की पहल पर गेट जाम करने का फैसला वापस ले लिया। 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे कि एनएमडीसी उच्च प्रबंधन अपने वादे से साफ तौर पर मुकर गया। प्रबंधन ने कलेक्टर और विधायक का भी मान नहीं रखा। इससे स्थानीय ग्रामीण, परिवहन व्यवसाई और जय झाड़ेश्वर परिवहन संघ के पदाधिकारी सदस्य एवं पंच सरपंच आक्रोशित हो उठे हैं। आलम यह है कि नगरनार में हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं।

स्वार्थी नेताओं ने बिगाड़ा खेल

 परिवहन संघ में सम्मिलित कई नेता विभिन्न दलों के समर्थक हैं। उनकी उपस्थिति से सारी योजना विफल हो गई है। संयंत्र के कर्मचारियों और अधिकारियों का समर्थन कर अपना उल्लू सीधा करने वाले दोनों प्रमुख दलों के तथाकथित नेता बाहरी बनाम स्थानीय को हक मिले के मामले में बाहरी लोगो से मिलकर स्थानीय परिवहन संघ को डुबाने में लगे हुए हैं। जिससे उनकी रोजी और नेतागिरी चलती रहे। हालांकि इस मामले में नए सांसद महेश कश्यप ने समिति को अपना समर्थन दिया है। कुल मिलाकर अब यह लड़ाई स्थानीय बनाम बाहरी की हो चली है। यह भी जानकारी मिली है की नगरनार संयंत्र के एक बुद्धिमान मीडिया पदाधिकारी अपने निहित स्वार्थ के लिए एक अन्य विभाग के अधिकारी को साथ लेकर इस मामले को नहीं सुलझने देना चाहते हैं।