इंद्रावती के जल की तरह निर्मल मन वाले होते हैं आदिवासी : बैज

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  • प्रसिद्ध गढ़िया महोत्सव का सांसद दीपक बैज ने किया शुभारंभ
  • बस्तर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और पंचायतों के प्रतिनिधि रहे मौजूद

बस्तर हम आदिवासियों की समृद्ध कला, संस्कृति और परंपराएं बस्तर की विशेष पहचान हैं। हमारी लोककलाओं, लोकगीतों, संस्कृति और परंपराओं की वजह से बस्तर आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका है।उक्त उदगार बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज ने अपने गृहग्राम गढ़िया में भव्य गढ़िया महोत्सव का शुभारंम करते हुए व्यक्त किए। उदघाटन समारोह में अतिथि के रूप में अनेक विधायक तथा जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। बैज ने देवी सरस्वती, मां दंतेश्वरी और भगवान शंकर के छायाचित्रों की पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्ज्वलित कर महोत्सव का आगाज किया। उन्होंने कहा कि बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती की पावन और निर्मल जलधारा की तरह ही बस्तर के आदिवासी भी निर्मल और निष्कपट मन वाले होते हैं। खुद अभावों में रहकर दूसरों को खुशी बांटना, उनके सुख -दुख में काम आना हम आदिवासियों का नैसर्गिक गुण है। अतिथि को हम देवतुल्य मानते हैं। हम कोशिश करते हैं कि अतिथि के स्वागत सत्कार में कोई कमी न रह जाए और उस पर हम अपना सब कुछ न्योछावर करने को तत्पर रहते हैं। बैज ने कहा कि हम आदिवासियों की सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि हम अपनी लोकलओं, संस्कृति और परंपराओं को अपने जीवन में पूरी तरह अंगीकार कर लेते हैं। अपनी लोककलाओं, संस्कृति और परंपराओं के लिए जीते हैं और मरते दम तक उन्हें आत्मसात किए रहते हैं। आदिवासी चाहे बस्तर का हो, मध्यप्रदेश का हो, ओड़िशा का हो, महाराष्ट्र का हो या फिर आंध्ररप्रदेश या तेलंगाना का, सभी का ऐसा ही गुण जेनेटिक होता है। यह गुण हमें अपने पुरखों से विरासत में मिलता चला आ रहा है। हमें अपनी इन समृद्ध परंपराओं, कला और संस्कृति को न सिर्फ सहेजे रखना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक हस्तांतरित भी करनी है। बैज ने इस बात पर खुशी जताई कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार द्वारा आदिवासियों की कला, संस्कृति, परंपराओं, पूजा पद्धति और देवस्थलों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए बैज ने मुख्यमंत्री बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया। बैज ने कहा कि बस्तर जिले के प्रभारी और उद्योग मंत्री कवासी लखमा का भी सहयोग इस मामले में स्तुति योग्य है। सांसद बैज ने कहा कि विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी, नारायणपुर के विधायक एवं हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप भी आदिवासी संस्कृति, लोककलाओं और परंपराओं को संरक्षित रखने में अहम योगदान दे रहे हैं। इस हेतु हमारे ये सभी साथी भी साधुवाद के पात्र हैं।

पुरखों की परंपराओं से विमुख न हो युवा पीढ़ी

सांसद दीपक बैज अपने पुरखों की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति से आज की युवा पीढ़ी द्वारा की जा रही अनदेखी का जिक्र करते हुए अचानक बेहद भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी अपनी कला संस्कृति और परंपराओं से लगातार विमुख होती जा रही है, जो बहुत ही दुखद और चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि हमारे युवा और बच्चे पाश्चात्य संस्कृति के मोहजाल में फंसकर अपनी मूल संस्कृति और परपराओं से दूर होती जा रही है। हमें कुछ ऐसी पहल करनी होगी कि युवा और बच्चे अपनी मुख्यधारा और जड़ों से न सिर्फ स्वयं आजीवन जुड़े रहें, बल्कि अपनी अगली पीढ़ी को भी जोड़े रखने के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करें। उन्होंने कहा कि आधुनिक होना बुरी बात नहीं है। बुरी बात तो यह है कि आधुनिक बनने के चक्कर में हमारे युवा साथी अपनी जड़ों से कटते जा रहे हैं। बैज ने कहा कि गढ़िया महोत्सव के आयोजन के पीछे मेरी यही मंशा निहित है। मैं चाहता हूं कि हमारे युवा इससे कुछ सीखें और समुदाय का गौरव बनाए रखने के लिए योगदान देने के लिए सक्षम हो सकें। गांव के बड़े बुजुर्गों ने लगातार तीन साल से गढ़िया महोत्सव के आयोजन के लिए अपने गांव की माटी के सपूत दीपक बैज को दिल से आशीष दिया।

मिल रही सरकारी योजनाओं की जानकारी भी

इस तीन दिवसीय गढ़िया महोत्सव के दौरान आयोजन स्थल पर राज्य शासन के अधिकांश विभागों द्वारा स्टॉल लगाए गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग, राजस्व विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों के स्टॉलों में शासन द्वारा जनहित में संचालित योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को दी जा रही है तथा यथासंभव उन्हें योजनाओं से लाभान्वित भी किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य शिविर लगा रखा है, जहां ग्रामीणों का मुफ्त ईलाज कर उन्हें दवाएं दी जा रही हैं। महोत्सव के दौरान ग्रामीणों के मनोरंजन के लिए हर रात सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। यह महोत्सव 11 अप्रैल तक चलेगा।