महिला स्व सहायता समूहों को रेडी टू ईट का काम देने का काम मामला ठंडे बस्ते में, अब भाजपा मौन क्यों

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  •  महिलाओं ने जमकर काटा था बवाल, भाजपा ने बनाया था इसे चुनावी मुद्दा
  • कांग्रेस महिलाओं का दिल नहीं जीत पाई, खटाखट योजना भी काम न आई 
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर कांग्रेस सरकार द्वारा जब महिला स्व सहायता समूहों से रेडी टु ईट वितरण का काम छीन लिया गया था, तब महिलाओं ने जिला व प्रदेश स्तर तक जमकर बवाल काटा था। भाजपा ने भी इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। अब भाजपा सत्ता में आ गई है और उसकी सरकार बने सात माह पूरे होने जा रहे हैं। मगर आज तक महिला स्व सहायता समूहों को यह काम नहीं सौंपा गया है। लगता है अब यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। वहीं कांग्रेस भी इस ओर से मुंह मोड़कर बैठ गई है। कांग्रेस इस मामले में उतना हमलावर नजर नहीं आ रही है। जिसके कारण वह महिलाओं से जुड़ नहीं पा रही है। यही वजह कि महिलाओं के खाते में हर माह 8 हजार 300 रुपए खटाखट डालने की कांग्रेस की योजना छत्तीसगढ़ में असरकारी नहीं रही और लोकसभा चुनाव में महिलाओं ने कांग्रेस को फटाफट निपटा दिया था।
    बावजूद कांग्रेस हालात को समझने तैयार ही नहीं है।
    . अब रेडी टू ईट के मामले को ही ले लीजिए। महिला समूहों से रेडी टू ईट का काम वापस ले लेने से भाजपा तबकी कांग्रेस सरकार पर जिस कदर हावी हो गई था, क्या कांग्रेस अब इसी मुद्दे पर साय सरकार को नहीं घेर सकती? घेर सकती है, मगर उसे तो बड़े बड़े मुद्दे चाहिए। रेडी टू ईट को कांग्रेस भले ही छोटा मुद्दा समझे, मगर यह छोटा मुद्दा कतई नहीं है। आज गांव गांव में महिला स्व सहायता समूह कार्यरत हैं, जिनसे गांवों के 95 प्रतिशत परिवारों की महिलाएं जुड़ी हुई हैं। रेडी टू ईट का काम छिन जाने से महिलाओं में कांग्रेस के प्रति नकारात्मक प्रभाव पड़ा। गोठान और गोबर खरीदी योजना असर नहीं डाल पाई।महिलाएं माऊथ टू माऊथ प्रचार करने या कहें बात फैलाने में बड़ी ही एक्सपर्ट होती हैं। रेडी टू ईट को लेकर भी यही हुआ। महिलाओं का भरोसा कांग्रेस से टूट गया। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में महिलाओं ने कांग्रेस को आइना दिखा दिया। हर माह 8 हजार 300 रुपए और हर साल एक लाख रुपए महिलाओं के खाते में खटाखट डालने की स्कीम भी काम नहीं आई।. महिलाओं ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को फटाफट निपटा दिया। अभी कांग्रेस के पास मौका है भाजपा सरकार को घेरने के लिए। रेडी टू ईट पर कोहराम मचाने वाली भाजपा सरकार में आने के बाद अब इस मसले को लेकर बैकफुट पर आ गई है। छत्तीसगढ़ में रेडी-टू-ईट फूड निर्माण को लेकर जो बखेड़ा मचा था वह अब राज्य सरकार द्वारा कमेटी गठित किए जाने के बाद ठंडे बस्ते में चला गया है। वर्तमान में कांग्रेस सरकार के समय जो प्रक्रिया मध्यान्ह भोजन योजना के रेडी टू ईट वितरण को लेकर अपनाई गई थी वही यथावत है। ज्ञात हो रेडी टू ईट वितरण का काम महिला स्व सहायता समूहों से वापस ले लिया गया था जिसके बाद महिलाओं ने भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसे शामिल किया था, किंतु अब भी सरकार कोई भी बड़ा फैसला नहीं ले पाई है। छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रेडी टू ईट का कार्य महिला स्व सहायता समूहों को सौंपे जाने के संबंध में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। जबकि इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो रेडी टू ईट का अध्ययन, निरीक्षण, परीक्षण करेगी। कब करेगी यह स्पष्ट नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार अध्ययन दल से प्राप्त प्रतिवेदन पर समुचित निर्णय लेगी और कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। स्वयं सरकार अब स्वीकार कर रही है कि महिला स्व सहायता समूहों को कार्य सौंपे जाने की निश्चित समय सीमा बता पाना संभव नहीं है।