बलिदानी परंपरा पर चलने वाले और प्रकृति के उपासक होते हैं हम आदिवासी : सांसद महेश कश्यप

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  •  सामाजिक आर्थिक चुनौतियां आज भी हैं हमारे सामने : डॉ. मरकाम
  • बकावंड में धूमधाम से मनाया आदिवासी दिवस

बकावंड बस्तर जिले के बकावंड ब्लॉक मुख्यालय में 9 अगस्त को अनुसूचित जनजाति परिवार के तत्वाधान में सर्व आदिवासी समुदाय के लोगों ने विश्व आदिवासी दिवस बड़े हर्ष उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर आदिवासी समुदाय के लोग बढ़ चढ़कर बड़ी संख्या में शामिल हुए। विशाल रैली निकाली गई।

रैली में आदिवासी समाज के महिला पुरुष अपनी पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक वाद्य यंत्रों और डीजे के साथ नाचते गाते झूमते थिरकते प्रमुख मार्गों से निकले। इस दौरान प्रमुख चौराहों पर सामाजिक संगठनों ने रैली का स्वागत फूल माला और पुष्प वर्षा से किया। इस दौरान आदिवासी समाज द्वारा अपनी एकता प्रदर्शित करते हुए सरकार और जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक रहने आगाह किया। वहीं उपस्थित बस्तर सांसद महेश कश्यप को भी आदिवासी अनुसूचित जनजाति परिवार के प्रमुखों द्वारा पगड़ी बांधकर उनका स्वागत किया गया। सांसद महेश कश्यप ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हम आदिवासी बलिदानी परंपरा पर चलने वाले और प्रकृति के उपासक होते हैं। हमारे पुरखे वीर नारायण सिंह, गुंडाधुर, गैंदसिंह आदि ने अंग्रेजों और मुगलों से लड़ते हुए देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए लड़ाई हम पीढ़ी दर पीढ़ी लड़ते आ रहे हैं। प्रकृति हमारे रोम रोम में बसी हुई है, हम प्रकृति के पुजारी हैं। ऐसे बलिदानी और प्रकृति प्रेमी आदिवासी समाज की अनदेखी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आदिवासियों के कल्याण में ही देश प्रदेश का कल्याण निहित है। विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरीश मरकाम ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस की शुरुआत 1982 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आदिवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और अधिकारों की रक्षा के लिए 9 अगस्त को आदिवासी दिवस घोषित कर की गई थी। आदिवासी समुदाय सदियों से सामाजिक आर्थिक और पर्यावरण चुनौतियों का सामना कर रहा है। आदिवासी समाज अपने मूल अधिकारों जल जंगल और जमीन के लिए आज भी संघर्षरत है। इस अवसर पर उपस्थित समाज प्रमुख आयतुराम कश्यप, शम्भूनाथ कश्यप, परीश बेसरा, महेंद्र कश्यप, बंशीधर कश्यप, अंनतराम कश्यप, नरसिंह नाईक, गोपाल कश्यप, लीलाधर कश्यप, मधु कश्यप, दिवाकर कश्यप, डॉ. हरीश मरकाम, दुलभ सूर्यवंशी, सोनधर कश्यप, खगेश्वर कश्यप, ओंकार गागड़ा, महेश्वर कश्यप, कमल मौर्य आदि सहित बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति परिवार के सदस्य मौजूद रहे।