छिंदावाड़ा एकलव्य आवसीय विद्यालय के 30 आदिवासी बच्चे हुए फूड पॉयजनिंग के शिकार, 7 की हालत नाजुक

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  •  23 को उपचार के बाद अस्पताल से मिली छुट्टी 
  • विधायक किरण देव और कलेक्टर विजय पहुंचे महारानी अस्पताल 

अर्जुन झा-

जगदलपुर बस्तर के आवसीय विद्यालयों और छात्रावासों में रहकर पढ़ाई करने वाले आदिवासी बच्चों की सेहत से संबंधित संस्था प्रमुख खिलवाड़ कर रहे हैं। कहीं छात्रावास अधीक्षक छात्रावास में रात नहीं रुकते, तो कहीं बच्चों के भोजन की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता। ऎसी ही लापरवाही के चलते बस्तर जिले के दरभा विकासखंड के एकलव्य आवासीय विद्यालय छिंदावाड़ा के 30 बच्चे फूड पायजनिंग के हुए शिकार हो गए। हालांकि त्वरित उपचार मिल जाने से 23 बच्चे स्वस्थ होकर लौट चुके हैं, मगर 7 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इन बच्चों का महारानी अस्पताल जिला चिकित्सालय जगदलपुर में गहन उपचार जारी है।

जानकारी के मुताबिक दरभा विकासखंड के छिंदावाड़ा में संचालित एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय के 30 बच्चों को एकसाथ उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हो गई। हालांकि संबंधित विभाग के अधिकारियों ने अपनी खाल बचाने के लिए जिला प्रशासन को झूठी जानकारी दी है कि बच्चों ने परिसर के बाहर जाकर कुछ भोजय पदार्थ खा लिया था, जिसके कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है, मगर हमारे सूत्र का दावा है कि देर रात आवासीय विद्यालय का खाना खाने से बच्चे फूड पॉयजनिंग का शिकार हुए हैं। हालत बिगड़ने पर सभी 30 बच्चों को आनन फानन में एंबुलेंस के जरिए महारानी अस्पताल जगदलपुर लाकर भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने पीड़ित बच्चों का तुरंत ईलाज शुरू कर दिया। इसके चलते 23 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो गए, उन्हें आज अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं सात बच्चों की हालत अभी भी नाजुक है और उनका सघन उपचार चल रहा है।सीएमएचओ, जिला शिक्षा अधिकारी और आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त ने छिंदावाड़ा के एकलव्य आवासीय विद्यालय पहुंचकर जांच पड़ताल की।

आम है ऎसी लापरवाही

आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा बस्तर जिले में संचालित छात्रावासों, आश्रमों और आवासीय विद्यालयों में घोर लापरवाही आम बात हो चली है। कहीं बच्चों को भगवान भरोसे छोड़कर संबंधित अधीक्षक अपने निजी निवास में रात बिताते हैं, तो कहीं छात्र छात्राओं को गुणवत्ता विहीन भोजन परोसा जाता है। कुछ छात्रावासों में तो छात्राओं से बर्तन मंजवाने और परिसर में झाड़ू लगवाने की भी शिकायत मिल चुकी हैछात्रावासों में निवासरत आदिवासी बच्चों को उच्च गुणवत्ता पूर्ण पौष्टीक भोजन देने का प्रावधान है, मगर अक्सर वहां आसपास मिलने वाली भाजी, आलू बैगन की ही सब्जी बनाकर परोसी जाती है। चावल भी घुन और कीड़ा लगा हुआ होता है। नाश्ते में भी साधारण पदार्थ दे दिया जाता है। शिकायत करने वाले विद्यार्थियों को अधीक्षक और कर्मचारी प्रताड़ित करते हैं। दो दिन पहले ही बकावंड ब्लॉक के करीतगांव स्थित आवासीय आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक के छात्रावास में रात न रुकने की शिकायत सामने आई थी। बकावंड के जनपद उपाध्यक्ष रामानुजाचार्य ने भी छात्रावास अधीक्षक के रात में छात्रावास में न रहने की पुष्टि की है।

विधायक एवं कलेक्टर पहुंचे

जगदलपुर के विधायक किरण देव और कलेक्टर विजय दयाराम के. ने आज महारानी अस्पताल जाकर भर्ती बच्चों के स्वास्थ्य के हालात की जानकारी ली और सभी 7 बच्चों का गहन उपचार करने एवं सतत निगरानी रखने के निर्देश डॉक्टरों तथा अधिकारियों को दिए। सिविल सर्जन डॉ. संजय प्रसाद ने बताया कि 30 अगस्त शुक्रवार को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छिंदावाड़ा दरभा के 30 बच्चे महारानी जिला अस्पताल जगदलपुर के आपातकालीन ओपीडी कक्ष में मौसमी बीमारी एवं उल्टी-दस्त के कारण उपचार हेतु लाए गए। 23 बच्चों को परीक्षण एवं प्राथमिक उपचार के बाद स्वस्थ्य होने पर वापस छात्रावास भेजा गया है एवं 7 बच्चों को उल्टी-दस्त के कारण चिकित्सालय में इलाज चल रहा है। सातों बच्चों की स्थिति खतरे से बाहर है। उन्होंने बताया कि चिकित्सकीय परीक्षण में पाया गया कि कुछ बच्चों ने क्रीड़ा परिसर के बाहर कुछ भोज्य पदार्थो का सेवन किया था। इस दौरान महापौर सफीरा साहू, अन्य जनप्रतिनिधि, सिविल सर्जन डाॅ. संजय प्रसाद सहित अस्पताल के चिकित्सक उपस्थित थे।