भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी – कोवर्ट (भीतरघाती) बनाने के सरकारी सशस्त्र बलों की घटिया कोशिशों को नाकाम करें! कोवर्ट (घाती) बने पश्चिम बस्तर डिविजनल कमेटी के पूर्व सदस्य विज्जाल (मोडियम बदरु) को मौत की सजा

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जगदलपुर – हमारी पार्टी की पश्चिम बस्तर डिविजनल कमेटी सदस्य के तौर पर काम करते हुए सरकारी खुफियातंत्र की साजिश के तहत कोवर्ट बन पार्टी नेतृत्व खासकर एसजडसी, सीसी कॉमरेडों के खात्मे के लिए 5 बार विफल प्रयास करने वाले विज्जाल(मोडियम बदरु) को सितंबर की आखिरी में जन अदालत के जरिए फांसी की सजा दी गयी. विज्जाल को फांसी की सजा क्यों दी गयी? विज्जाल ने एक-दो नहीं बल्कि पांच बार पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाने गंभीर प्रयास किया था.

पुलिस बलों पर हमले के लिए बनायी गयी एक योजना पर अमल के दौरान उसने पुलिस को सूचना देकर हमारे बलों को पुलिस का शिकार बनाने की कोशिश की थी. और एक बार हमारे दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की बैठक के समय पुलिस को सूचना देकर बड़े हमले में नेतृत्व के सफाए के लिए पुलिस बलों को बुलाया था. कई पुलिस बैचों ने हमारे बैठक स्थल को घेरने की कोशिश की थी. पुलिस पर एंबुश के नाम पर और भी कोशिशें की गयी. आखिरी बार इसी अगस्त-सितंबर महीनों के दरमियान हमारे दक्षिण सब जोनल ब्यूरो के पूरी नेतृत्व को एक साथ खत्म करवाने की योजना के साथ पुलिस को लगातार सूचना देता रहा.

हमारे कम्युनिकेशन सेट नंबर्स, कोड लिस्ट आदि तमाम गुप्त जानकारियां देता रहा. पुलिस ने बड़ी संख्या में 50 बैचों के साथ महीने भर से ज्यादा समय तक बड़े घेराव के जरिए हमें नुकसान पहुंचाने एड़ी-चोटी का जोर लगायी थी. लेकिन क्रांतिकारी जनता, हमारी समर्पित पार्टी कतारों व नेतृत्व की सजगता, सतर्कता, सावधानी एवं साहसिक तथा संदर्भोचित निर्णयों की वजह से हम बड़े नुकसान से बच गए. इसी वजह से विज्जाल को जन अदालत में पेश कर जनता की मांग पर फांसी की सजा दी गयी. विज्जाल को आखिरी मौका क्यों नहीं दिया गया? पार्टी में गलतियां करने वालों को चाहे वो गलतियां किसी भी किस्म की क्यों न हों, सुधरने का मौका दिया जाता है. चूंकि विज्जाल ने पार्टी को बेहिसाब नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी और उतना ही नहीं, वह 7.5 लाख रुपए साथ में रखकर नुकसान पहुंचाने के बाद किसी भी क्षण भागने की तैयारी भी कर रखी थी, जोकि पुलिस द्वारा दी गयी प्लानिंग थी, इसीलिए वह माफी या आखिरी मौका पाने का हकदार भी नहीं रह गया था.

इस कारण से फांसी की सजा पर अमल करके उसकी लाश को परिवारजनों को सौंपा गया था. इस तरह विज्जाल का जीवन सफर एक गद्दार के तौर पर समाप्त हो गया. विज्जाल हमारे पश्चिम बस्तर डिविजन के गंगालूर इलाके के मनकेल गांव में पैदा होकर पला बड़ा और क्रांतिकारी आंदोलन में भर्ती हुआ. वर्ग संघर्ष में भाग लेते हुए, जनता को गोलबंद करते हुए धीरे-धीरे वह इलाके के आंदोलन के नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाते हुए विकसित हुआ. इसी क्रम में वह पश्चिम बस्तर डीवीसी सदस्य चुना गया था. लंबे समय तक क्रांतिकारी आंदोलन में काम करने के बावजूद, जिम्मेदार पद पर कार्यरत रहते हुए विज्जाल कोवर्स्ट क्यों और कैसे बना? क्रांतिकारी जनता व पार्टी के हमदर्दी व समर्थकों के सामने यह सवाल उत्पन्न होना स्वाभाविक है, दरअसल एक कम्युनिस्ट क्रांतिकारी को निरंतर स्वयं को बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढालना पड़ता है और नयी चुनौतियों का सामना करने लायक सैद्धांतिक, राजनीतिक, सांगठनिक व सैनिक तौर पर विकसित होने की कोशिश करनी पड़ती है. साथ ही स्वयं के भीतर मौजूद गलत रुझानों के खिलाफ गंभीरतापूर्वक संघर्ष करते रहना चाहिए. इस संघर्ष को हमेशा चाहे कोई कॉमरेड् किसी भी स्तर पर कार्यरत क्यों न हों, जितने भी सीनियर क्यों न हों, हर किसी को करते रहना चाहिए और स्वयं को लगातार अच्छे कम्युनिस्ट की तरह |