प्रधानमंत्री सड़क को निगल गई भ्रष्टाचार की दीमक, महज तीन साल में ध्वस्त हो गई करोड़ों की सड़क

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  •  प्रधानमंत्री मोदी के मिशन की राह में रोड़ा बन गए हैं अधिकारी और ठेकेदार
  • मोदी की ईमानदारी और साय के सुशासन को ठेंगा 

अर्जुन झा-

बकावंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक नारा काफी लोकप्रिय है कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। इस नारे पर और प्रधानमंत्री मोदी की बेदाग छवि एवं ईमानदारी पर देश की बड़ी आबादी को पूरा भरोसा है, मगर भ्रष्ट सिस्टम प्रधानमंत्री की छवि को दागदार बनाने पर तुला हुआ है, साय के सुशासन को पलीता लगाने पर आमादा है।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को अधिकारियों और ठेकेदारों ने कमाई का बड़ा जरिया बना लिया है। खाएंगे, डटकर खाएंगे और खिलाएंगे भी के सिद्धांत पर चलते हुए अधिकारी व ठेकेदार सड़क निर्माण में किस कदर गफलतबाजी करते हैं, उसकी बानगी बकावंड विकासखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कों पर देखने को मिल रही है। अधिकारी तथा ठेकेदार करोड़ों चट कर गए और सड़कों को बदहाली निगल गई। ये सड़कें 3-4 साल भी नहीं टिक पाई। अब इन सड़कों पर सफर आसान नहीं रह गया है।

 

बकावंड ब्लॉक के खासपारा भेजरीपदर से खासपारा बेलगांव तक 20.07 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण सन 2021-22 में ठेकेदार एसके अरोरा के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर कराया गया है। योजना के कार्यपालन अभियंता डीपी भूआर्य रहे हैं। इस सड़क की गारंटी अवधि पांच वर्ष बताई गई है, मगर तीन साल भी यह सड़क टिक नहीं पाई। आज सड़क सफाचट हो चुकी है। ऊपर बिछाई गई तारकोल, बजरी गिट्टी वाली परत गायब हो चुकी है। सड़क पर जानलेवा गड्ढों की भरमार हो गई है। पक्की सड़क बनने से पहले जो कच्ची सड़क थी, वह इससे कहीं ज्यादा बेहतर थी। जगह जगह से उखड़ चुकी और गड्ढों से भरी यह सड़क दुर्घटनाओं की जननी बन चुकी है। आएदिन लोग दुर्घटनाग्रस्त होकर घायल होते रहते हैं।ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों और ठेकेदार ने सड़क निर्माण के नाम पर महज खानापूर्ति की है। सड़क निर्माण की गुणवत्ता का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया। सड़क की गारंटी अवधि से पहले ही सड़क की धज्जियां उड़ चुकी हैं। निर्माण की शर्तों के मुताबिक पांच साल तक पूरी सड़क के रख रखाव, मरम्मत, संधारण, सड़क किनारे की झाड़ियों व घास की कटाई, सफाई, पोर्ट होल्स की मरम्मत, सड़क किनारे की नालियों की सफाई, बारिश में होने वाले कटाव में सुधार, पुल पुलियों की सफाई व मरम्मत, माइल स्टोन की रंगाई पोताई व लिखाई, पुल पुलियों का रंग रोगन करने की जिम्मेदारी ठेकेदार की है। मगर सड़क निर्माण के बाद से ठेकेदार ने इनमें से एक भी कार्य नहीं कराया है। वहीं सड़क किनारे जिन नालियों का उल्लेख निविदा शर्तों में किया गया है, वैसी कोई नाली ठेकेदार एसके अरोरा ने बनाई ही नहीं है। बिना काम कराए अधिकारियों ने ठेकेदार को भुगतान कैसे कर दिया, यह भी जांच का विषय है।जगदलपुर से बकावंड तक जाने वाली इस सड़क के राजामुंडा से तारापुर तक के हिस्से की स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब हो चली है। सड़क के दोनों ओर गड्ढे हो गए हैं। बरसात के मौसम ने राहगीरों की मुसीबत और भी बढ़ा दी है। लोग इस सड़क पर केवल भगवान भरोसे ही सफर करते है, सड़क के बीचों बीच बने गड्ढे से जब सवारी बस, ट्रैक्टर मोटर साइकल निकलती हैं, तब उन्हें देखकर लोगो का हलक सूख जाता है। यह सड़क आगे जाकर उड़ीसा राज्य से मिलती है। इसके बावजूद संबंधित अधिकारी कर्मचारी इस सड़क की मरम्मत को लेकर क्यों उदासीन बने हुए हैं। ठेकेदार को उसकी जिम्मेदारी निभाने क्यों नहीं कहा जा रहा है, यह आश्चर्य का विषय है।