बस्तर दशहरा के लिए आ रही है माई दंतेश्वरी

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  •  देवी दंतेश्वरी व मावली माता की डोली को विदाई 
  • पहली बार नवमी को रवाना हुई माता की डोली 

जगदलपुर बस्तर के दंतेवाड़ा जिले से संभाग मुख्यालय जगदलपुर में चल रहे बस्तर दशहरा पर्व में शामिल होने शुक्रवार को महानवमी पर देवी दंतेश्वरी और मावली माता की डोली रवाना हुई। यह पहला मौका है, जब अष्टमी की जगह महानवमी पर देवी की डोली रवाना हुई है। देवी की डोली को विदा करने जन समूह उमड़ पड़ा।

परंपरा के अनुसार देवी की डोली को कंधे पर लेकर करीब 1 किमी दूर डंकनी नदी के उस पार स्थित चबूतरे तक लाया गया। आदिवासी नर्तक दलों के नृत्य और बाजे-गाजे के साथ यह काफिला पहुंचा। चबूतरे पर डोली को रखकर पूजा-अर्चना की गई। प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया, सहायक पुजारी लोकेंद्र नाथ, परमेश्वर नाथ जिया, पुजारी विजेंद्र नाथ की उपस्थिति में विधायक चैतराम अटामी, पूर्व विधायक देवती कर्मा, महिला आयोग सदस्य ओजस्वी मंडावी, कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, एसपी गौरव राय समेत जनसमूह ने देवी की पूजा अर्चना की। इसके बाद फूलों से सुसज्जित वाहन पर देवी की डोली को सवार कर विदा किया गया। रास्ते में आंवराभाटा, कारली, गीदम समेत जगह-जगह लोगों ने देवी की डोली का स्वागत कर दर्शन-पूजन किया।

बोदराज को नगर का जिम्मा

रवाना होने से पहले परम्परानुसार देवी दंतेश्वरी ने बोदराज बाबा की शिला के पास रूककर उन्हें वापसी तक नगर की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी। पुजारी विजेंद्रनाथ के मुताबिक वापसी पर देवी परम्परानुसार फिर यहां रुकती हैं और उन्हें उपहार भेंटकर अपने मंदिर में प्रवेश करती हैं। आंवराभांठा में बस्तर आराध्या देवी दंतेश्वरी की डोली की अगवानी के लिए वहां के निवासियों ने टेकनार चौक से कलेक्ट्रेट के द्वार तक सड़क पर फूलों की पंखुड़ियां बिछाई। महिलाओं व युवतियों ने यहां पर रंगोली भी सजाई थी। हर साल इस तरह की व्यवस्था की जाती है, ताकि देवी का काफिला फूलों की पंखुड़ियों से होकर गुजर सके।