अपनी घटती संख्या को देख अब दूसरे राज्यों से अपने साथियों को बुला रहे हैं बस्तर में सक्रिय नक्सली

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  •  पड़ोसी राज्यों से कराई जाने लगी है घुसपैठ 
  • उड़ीसा से छग में घुस रहे नक्सलियों के साथ मुठभेड़

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर संभाग में लगातार बड़ी संख्या में अपने साथियों के मारे जाने से परेशान नक्सली अब पड़ोसी राज्यों से अपने साथियों को बुलाने लगे हैं।बस्तर में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे नक्सली येन केन प्रकारेण अपना वजूद बचाए रखना चाहते हैं। आज उड़ीसा से छत्तीसगढ़ में दाखिल होने की कोशिश कर रहे नक्सलियों के एक ग्रुप के साथ पुलिस की मुठभेड़ हो गई।

बस्तर संभाग के सुकमा जिले की सीमा के पास नदी पार कर छत्तीसगढ़ में दाखिल हो रहे नक्सलियों से उड़ीसा पुलिस के जवानों की मुठभेड़ की खबर है। गुरुवार तड़के यह मुठभेड़ हुई।उड़ीसा से छत्तीसगढ़ की ओर नदी पार कर नक्सलियों के आने की सूचना मिलने के बाद जवानों ने सीमाई इलाके में मोर्चा सम्हाल लिया। सुकमा जिले के एर्राबोर की सीमा पर उड़ीसा में मुठभेड़ शुरू हो गई। मुठभेड़ में उड़ीसा पुलिस का एक जवान घायल हुआ है। यह मुठभेड़ सुकमा जिले की सीमा से सटे उड़ीसा के मल्कानगिरी जिले के जिनेलगुड़ा गांव में शबरी नदी के पास हुई है। बस्तर संभाग में छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल लगातार नक्सलियों का सफाया करते जा रहे हैं। राज्य और केंद्र सरकारों ने सन 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का पूरी तरह सफाया करने के लिए डेड लाइन जारी कर दी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अपने पिछले छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान की गई इस घोषणा के बाद राज्य सरकार, पुलिस और सेंट्रल फोर्सेस बेहद ही आक्रामक मुद्रा में आ गई हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित गांवों में पहुंच कर जहां ग्रामीणों का विश्वास जीतने में सफल हो रहे हैं, वहीं नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों का हौसला भी लगातार बढ़ा रहे हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के दुश्मनों के खिलाफ भारतीय सेना को खुली छूट दे रखी है, वैसी ही छूट एंटी नक्सल ऑपरेशन में तैनात फोर्सेस को भी मिली हुई है। इन प्रयासों के बेहतरीन नतीजे भी सामने आने लगे हैं। बस्तर के विभिन्न जिलों में आए दिन फोर्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो रही है और हर मुठभेड़ में अनेक नक्सली मारे जा रहे हैं। इस साल अब तक जितने नक्सली मारे गए हैं, उतने छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहले कभी नहीं मारे गए थे। प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री भी इस उपलब्धि से खुश हैं और राज्य सरकार एवं सुरक्षा बलों की तारीफ करने लगे हैं। इस बात का जिक्र मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सीआरपीएफ कैंप सेवड़ा में जवानों से मुलाकात के दौरान किया था।

आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी भी

राज्य सरकार ने संभाग के सातों जिलों के नक्सल प्रभावित गांवों के समग्र विकास के लिए नियद नेल्ला नार चला रखी है। नियद नेल्ला नार योजना के तहत प्रभावित गांवों में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा, मोबाईल कनेक्टीविटी आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और उनके सहयोगियों के पुनर्वास के लिए भी शानदार नीति बनाई है। दूसरी ओर आज अति संवेदनशील बीहड़ के गांवों में सीआरपीएफ द्वारा कैंप स्थापित किए गए हैं। इन कैंपों के जरिए जहां नक्सल समस्या से निपटने में तेजी लाई जा रही है, वहीं फोर्स की मेडिकल यूनिट द्वारा ग्रामीणों का बेहतर इलाज भी किया जा रहा है। कई कैंपों में जवान ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए निशुल्क कोचिंग क्लास भी चला रहे हैं। बीमार ग्रामीणों और गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल तक पहुंचाने में भी ये जवान महति भूमिका निभा रहे हैं। इन सारे प्रयासों के सार्थक नतीजे सामने आ रहे हैं। ग्रामीण नक्सलियों के विरोध में सामने आने लगे हैं, नक्सलियों का भी ह्रदय परिवर्तन होने लगा है। बड़ी संख्या में नक्सली आत्म समर्पण कर समाज और विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं। सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर जिलों में अब तक सैकड़ों नक्सली आत्मसमर्पण कर चके हैं। बड़ी संख्या में नक्सली गिरफ्तार भी किए गए हैं। इसके चलते बस्तर में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है। हार्डकोर के नक्सली असहाय हो चले हैं और अब पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र, उड़ीसा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश में सक्रिय नक्सलियों की बस्तर में घुसपैठ कराने लगे हैं, मगर फोर्स हर तरफ मोर्चाबंदी किए बैठी है।