- न प्लास्टर कराया, न दरवाजे, खिड़कियां लगवाई, सवा करोड़ हजम
- बिना दरवाजे के हॉस्टल में रह रहे हैं आदिवासी छात्र
- लोकार्पण करने वाले नेताजी को भी नजर नहीं आई खामियां?
–अर्जुन झा-
जगदलपुर अपने बस्तर संभाग के अधिकारी भी अजब गजब कारनामें कर दिखाते हैं, और हमारे नेताओं का क्या कहिए, जो आंख मूंदकर किसी भी निर्माण का लोकार्पण कर देते हैं। ऎसी ही एक बड़ी कारगुजारी दंतेवाड़ा जिले में में सामने आई है। वहां लोक निर्माण विभाग के अफसरों का एक और बड़ी करतूत कर दिखाई है। पोटा केबिन यानि आवासीय विद्यालय भवन के नाम पर महज एक ढांचा खड़े कर उसका लोकार्पण विधायक के हाथों करवा दिया। दो साल से आदिवासी बच्चे इसी ढांचे में रहकर सुनहरे भविष्य का ताना बाना बुन रहे हैं।
मामला दंतेवाड़ा ब्लॉक के मेंडोली में निर्मित 2 मंजिले पोटा केबिन 100 सीटर बालक छात्रावास का है। छात्रावास भवन का पूरी तरह निर्माण कराए बगैर ही विभाग ने 2 साल पहले 14 अक्टूबर 2022 को इसका लोकार्पण करवा दिया। जबकि आज तक इस भवन के पहले माले पर न तो दरवाजे-खिड़कियां लग पाई हैं, न ही छत और किसी भी दीवार पर प्लास्टर हो पाया है। फ्लोरिंग भी नहीं कराई गई है। मेंडोली में आदिवासी बच्चों के लिए इस 100 सीटर बालक छात्रावास भवन की मंजूरी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन अभियान (आरएसएमए) मद से मिली थी। इसके लिए प्रशासकीय स्वीकृति 132.79 लाख यानि सवा करोड़ से भी ज्यादा राशि की मिली थी। इसके लिए निर्माण एजेंसी जिला निर्माण समिति और नोडल अधिकारी कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग दक्षिण बस्तर संभाग को बनाया गया था। काम शुरू होने के बाद भूतल पर तो प्लास्टर, फ्लोरिंग, खिड़की दरवाजे का काम करवाया गया, लेकिन ऊपरी तल यानी प्रथम तल पर कमरों, बरामदे का प्लास्टर करवाने और खिड़की दरवाजे लगवाने से पहले 14 अक्टूबर 2022 को तत्कालीन विधायक के हाथों इस आधे- अधूरे भवन का लोकार्पण करवा दिया गया। लोकार्पण के बाद से आगे कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ। दो साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस मामले में जब लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता एसएल ठाकुर का पक्ष लेने के लिए कॉल किया गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए पता कर अगले दिन बताने की बात कही, लेकिन अगले दिन उन्होंने कॉल ही रिसीव नहीं किया।
सुविधा से वंचित हुए बच्चे
ऎसी अनियमितताओं वाले कारनामे आमतौर पर पहुंच विहीन दूरस्थ क्षेत्रों में सामने आते रहे हैं, लेकिन जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से महज 15 किमी दूर कटेकल्याण मार्ग पर स्थित मेंडोली में इस तरह की अव्यवस्था हैरत में डालने वाली है। लोक निर्माण विभाग की इस लापरवाही से आदिवासी बच्चे छात्रावास सुविधा से वंचित हो गए हैं। भूतल पर छोटे-छोटे कमरों में ज्यादा बिस्तर लगाकर रहना पड़ रहा है। जगह की कमी के चलते उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है।