ईडी ने जुटाए अहम सबूत, कवासी पिता पुत्र के सियासी करियर पर लगा ग्रहण

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  •  कवासी लखमा और हरीश कवासी के खिलाफ ईडी को मिले हैं डिजिटल सबूत

-अर्जुन झा-

जगदलपुर छत्तीसगढ़ के 2161 करोड़ के बहुचर्चित शराब घोटाले के मामले में रायपुर, धमतरी व सुकमा में हुई छापेमारी में ईडी को कई अहम डिजिटल सबूत हाथ लगे हैं। ईडी ने माना है कि पूर्व आबकारी मंत्री तक भी घोटाले की बड़ी रकम हर माह पहुंचती रही है। ऐसे में अब कवासी लखमा और उनके जिला पंचायत अध्यक्ष बेटे हरीश कवासी का पॉलिटिकल करियर दांव पर लगना तय माना जा रहा है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रायपुर यूनिट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत 28 दिसंबर को रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित सात परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। यह तलाशी अभियान पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आवासीय परिसर में किया गया था, जो कथित तौर पर आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नकद में अपराध की आय (पीओसी) के मुख्य प्राप्तकर्ता थे। उनके बेटे हरीश लखमा और उनके करीबी सहयोगियों के आवासीय परिसरों में भी तलाशी ली गई। तलाशी अभियान के परिणाम स्वरूप ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में पीओसी के उपयोग से संबंधित सबूत जुटाने में सफल रही है। इसके अलावा तलाशी में कई डिजिटल उपकरणों की बरामदगी और जप्ती भी हुई, जिनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड होने का संदेह है। ईडी की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले से उत्पन्न पीओसी का अनुमान लगभग 2161 करोड़ रुपए है। ईडी की जांच से पता चला है कि कवासी लखमा शराब घोटाले के पीओसी से मासिक आधार पर बड़ी मात्रा में नकद रकम प्राप्त करते थे। 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ईडी की जांच से पता चला है कि पीओसी अवैध कमीशन के रूप में प्राप्त किया गया था और इसके लिए कई तरीके अपनाए गए थे।

ऐसे चली कमीशनखोरी

पार्ट-ए कमीशन के तहत सीएसएमसीएल यानि शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा डिस्टिलर्स से खरीदी गई शराब के प्रत्येक केस के लिए रिश्वत ली गई। पार्ट-बी कच्ची शराब की बिक्री में बेहिसाब “कच्ची ऑफ -द- बुक” देशी शराब की बिक्री मामले में राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा, और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट ने जेब में डाल ली। अवैध शराब केवल राज्य द्वारा संचालित दुकानों से बेची गई। पार्ट-सी कमीशन के तहत कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई।

लायसेंसियों से भी रिश्वत

ऐसे एफएल-10 ए लाइसेंस धारकों से भी कमीशन, लिया गया जिन्हें विदेशी शराब खंड में भी कमाई करने के लिए पेश किया गया था। इस मामले में करीब 205 करोड़ रुपयों की संपत्ति कुर्क करने का एक आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है। अब तक इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अभियोजन द्वारा शिकायत के साथ-साथ दो पूरक पीसी दायर किए गए हैं, जिस पर पीएमएलए कोर्ट रायपुर द्वारा पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है। आगे की जांच जारी है।

लाख करे चतुराई रे

यह सारी जानकारियां ईडी ने अपने प्रेस नोट में साझा की हैं। हालांकि इसमें नगद और अन्य कीमती वस्तुओं की जानकारी नहीं है, लेकिन डिजिटल सबूत मिलने का जिक्र जरूर है। पूर्व से नामजद 5 आरोपी एजाज ढेबर, अनिल टुटेजा और बाकी के साथ कवासी लखमा और हरीश लखमा को भी आरोपी बनाए जाने की बात सामने आई है जो कवासी। यह कवासी लखमा और हरीश लखमा के राजनीतिक भविष्य के लिए दुखदाई साबित होगा। वहीं इन्हे आरोपी बनाए जाने से एक कहावत जरूर चरितार्थ होती दिख रही है कि जस करनी, तस करम गति, लाख करे चतुराई रे करम का लेख मिटे न रे भाई रे। कवासी लखमा भोले बनकर छोले खाते रहे, मंत्री रहने के दौरान अपने से वरिष्ठ नेताओं का छिछालेदारी करते रहे। सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट से लगातार जीत हासिल करने से उनका गरूर इस कदर बढ़ गया था कि वे अपने सामने सभी को तुच्छ समझने लगे थे। उन्हें अपने मसीहा पर ही भरोसा था। चर्चा तो यह भी है कि शराब की अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा इस मसीहा तक भी पहुंचता था। अब मसीहा की भी बारी करीब है। लखमा तो अपनी करनी की करम गति में पहुंच चुके हैं, और लोग भी लपेटे में आने वाले हैं।