अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे बहुत लड़ाई है…नगरनार के लिए जाग उठा बस्तर, कांग्रेस बनी रहनुमा

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जगदलपुर। बस्तर विकास का सपना यानी एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट को विनिवेशी करण से बचाने बस्तर जाग उठा है। इस प्लांट के डी मर्जर के खिलाफ शंखनाद हो चुका है। कांग्रेस ने आंदोलन की कमान संभाल ली है। नगरनार प्लांट बचाने के लिए पिछले दिनों हुई सर्वदलीय बैठक से केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने दूरियां बना ली लेकिन राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की ओर से लोकसभा में बस्तर का प्रतिनिधित्व कर रहे सांसद दीपक बैज ने मोर्चा का नेतृत्व स्वीकार कर लिया है।

उन्हें बस्तर का नगरनार स्टील प्लांट बचाने किए जाने वाले संघर्ष का अगुआ चुना गया है। कांग्रेस के विधायकों ने भी संघर्ष में कंधा से कंधा मिलाकर साथ देने की ठानी है तो भाजपा को छोड़कर अन्य दलों ने भी प्रभावित क्षेत्र की जनता के साथ मिलकर इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने का फैसला किया है। नगरनार स्टील प्लांट को विनिवेश से बचाने के लिए आर्थिक नाकेबंदी के साथ ही पेसा कानून जैसे विकल्प पर विचार विमर्श किया गया है। गौरतलब है कि पूर्व में छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन काल के समय भी नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेश की आशंका को देखते हुए जबरदस्त आंदोलन किया गया था। जिसका नेतृत्व अब के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन मुखिया भूपेश बघेल ने किया था।

अब जब भाजपा की केंद्र सरकार ने नगरनार स्टील प्लांट के डी मर्जर को हरी झंडी दे दी है तो कांग्रेस ने एक बार फिर से संघर्ष का रास्ता चुना है। बस्तर से लोकसभा सांसद दीपक बैज और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम सहित बस्तर के सभी कांग्रेसी विधायक तथा अन्य जनप्रतिनिधि नगरनार स्टील प्लांट को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लोकसभा सांसद दीपक बैज और राज्यसभा सांसद फूलो देवी ने पहले से ही इस मामले में केंद्र सरकार तक अपनी भावना पहुंचा दी थी लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई जवाब दिए बिना ही नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेश का रास्ता खोलने का कदम उठा लिया, जिससे बस्तर आंदोलित हो उठा है।

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने स्तर पर बस्तर के विकास के लिए छोटे-छोटे स्टील प्लांट लगाने का विचार व्यक्त किया है। इस पर भी भाजपा की ओर से कटाक्ष किया जा चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तो यह सवाल भी उठा चुके हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्टील प्लांट के लिए जमीन कहां से लाएंगे। उन्हें जवाब दिया जा चुका है कि जमीन बस्तर की ही होगी और इतने बड़े प्लांट नहीं लगाए जा रहे कि जमीन की कमी हो। यहां सवाल यह है कि जब पूर्व में भाजपा ही नगरनार स्टील प्लांट को बस्तर के विकास के लिए महत्वपूर्ण मान रही थी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कह चुके थे कि नगरनार स्टील प्लांट बस्तर विकास का एक बड़ा सहयोगी होगा। जब नगरनार स्टील प्लांट को बस्तर विकास के लिए मील का पत्थर माना जाता रहा है तो अब आखिर क्यों प्लांट के डी मर्जर की नौबत आ गई।

कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह मत सामने आया है कि बस्तर विकास के लिए नगरनार स्टील प्लांट बहुत जरूरी है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो बस्तर में छोटे-छोटे स्टील प्लांट की स्थापना के लिए भी विचार व्यक्त कर चुके हैं। दरअसल भूपेश बघेल चाहते हैं कि बस्तर में इतने स्टील प्लांट लगें कि यहां का युवा उनमें रोजगार पा सके और लोग नक्सलवाद के कुचक्र का शिकार बनने के बजाय बस्तर विकास में सहभागी बनें। बस्तर में रोजगार की कमी और विकास के अभाव में ही नक्सलवाद को पंख लगे हैं। शोषण ने उन पंखों को और ताकत दी है। लेकिन अब कांग्रेस की राज्य सरकार का पूरा प्रयास है की बस्तर को ऐसे सुनियोजित विकास की दशा में आगे बढ़ाया जाए जिससे अमन चैन का माहौल भी बन सके।नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेश का विरोध यहां की जनता इसीलिए कर रही है क्योंकि यह बस्तर विकास के सपने के तौर पर वर्षों से देखा जा रहा है। जब यह बनकर तैयार हो गया तो उसके विनिवेश का रास्ता खोलना बस्तर वासियों के साथ बहुत बड़े अन्याय के तौर पर देखा जा रहा है। अब यहां की जनता ने तय किया है कि केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी जैसे कदम उठाए जाएंगे। बिगुल बज चुका है। संघर्ष शुरु हो चुका है। अभी तो यह अंगड़ाई है आगे बहुत लड़ाई है… इस तर्ज पर कांग्रेस इस मुद्दे को आगे बढ़ा रही है तो भाजपा बस्तर की भावना के प्रतिकूल आचरण कर जनता से दूर हो रही है। वैसे भी बस्तर से भाजपा का बोरिया बिस्तर उठ चुका है। अब यही हाल रहा तो आगे भी उसे मुश्किल होगी।