पाटेश्वर धाम – कार्तिक मास के पावन पर्व कार्तिक पूर्णिमा के महत्व के विषय में जानकारी

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प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा किया गया, जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर कार्तिक मास के पावन पर्व कार्तिक पूर्णिमा के महत्व के विषय में जानकारी प्राप्त कीये महेंद्र साहू जी ने इस प्रकाश पर्व में सभी के परम प्रकाश के उदय की विधि पर प्रकाश डालने की विनती की जिससे देश समाज और स्व उन्नति हो, गुरु नानक जी के प्राकटय उत्सव जिसे प्रकाश पर्व कहा जाता है उसके

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महत्व को बताते हुए बाबा जी ने कहा कि गुरु नानक जी कहते हैं कि सकल विश्व में हिंदू नाद होना चाहिए, उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म एक धर्म नहीं, हिंदू अर्थात जो हिंसा व हीन भावना से दूर रहे जो सबको अपने पास लाने का कार्य करें और सब को अपने में समा ले ऐसे धर्म का झंडा जब जगत में लहराएगा तो समस्त आसुरी शक्ति हारेगी और हमारे सनातन धर्म का ध्वज विश्व में लहराएगा, मानवता की विजय ही हिंदू धर्म की विजय है गुरु नानक जी की वाणी को जीवन में धारण करना चाहिए हम सब आज यह प्रण ले कि इस प्रकाश पर्व पर वैमनस्यता के अंधकार को छोड़कर सद्भावना के प्रकाश की ओर आगे बढ़ेंगे यही प्रकाश पर्व हमारे अंदर यह अनुभूति लेकर आएगा की भेद भाव को भूलाकर हम एकता के सूत्र में बधंगे यही हिंदुत्व है।

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पाठक परदेसी जी ने सत्संग में कार्तिक पूर्णिमा के महत्व को बताने की विनती बाबा जी से की कार्तिक पूर्णिमा के महत्व को बताते हुए बाबा जी ने कहा कि कार्तिक मास हमारे हिंदू धर्म का विशेष माह है क्योंकि इस माह भगवान ब्रह्मा जी जल में निवासरत रहते हैं,इसीलिए इस माह में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है और इस माह के अंत में सभी व्रत, अनुष्ठानो की पूर्ण आहुति के रूप में कार्तिक मास की पूर्णिमा को इसका फल प्राप्त होता है इसीलिए आज के दिन भगवान विष्णु का सुंदर दिव्य श्रृंगार कीया जाता है उन्हें धूप दीप नैवेद्य अर्पित किया जाता है एवं उनकी पूजा पाठ करके उनको भोग लगाकर उनकी आरती की जाती है और उन्हें प्रसन्न किया जाता है इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा का महत्व हमारे शास्त्रों में है और इस पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है |

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प्रतिदिन की भांति मीठा मोती का प्रसारण ऋचा बहन के द्वारा सत्संग में किया गया आज के मीठा मोती में सुविचार दिया है की जीवन में घटने वाली विषम परिषितियाँ हमें अपने अंदर परिवर्तन लाने का इशारा करती है, इन पंक्तियों के भाव को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने सभी को जीवन के महत्व बताते हुए कहा कि यदि हमारे जीवन में जब संकट काल की बेला आती है तो हमें दूसरों पर दोष देना नहीं चाहिए, हमें अपने में कमी ढूंढनी चाहिए सोचना चाहिए कि ऐसी क्या कमी हो गई कि सम में विषम परिस्थिति आ गई है,और ऐसे मे यदि हम दूसरे की

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गलतियां ढूंढेंगे तो विवाद पैदा होगा, शांति भंग होगी हमारे जीवन के अमूल्य पल खराब होंगे चिंता उत्पन्न होगी वह हमें अंदर से जलायेगी और यदि हम इन परिस्थितियों से उबरने के लिए प्रयत्नशील हो जाए तो हमारा ज्ञान बढ़ेगा, हमारी शक्ति बढ़ेगी ,हमारी ताकत बढ़ेगी ,हमारी सोच बढ़ेगी और वह संकट तो ऐसे टल जाएगा जैसे वह संकट कभी आया ही नहीं था
इस प्रकार आज का सत्संग बाबाजी के सुंदर भजनों के साथ पूर्ण हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम