- अरबों की देनदारी लटका दी इंजीनियर इन चीफ ने
- बार बार ठेकेदारों का भुगतान रोकने के पीछे मंशा आखिर क्या है इएनसी की
अर्जुन झा–
जगदलपुर मार्च का महीना यानि फाइनेंसियल ईयर समाप्ति का माह। इस दौरान सरकारी महकमे अपने सारे वित्तीय लेनदेन निपटाने में व्यस्त नजर आते हैं। वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ श्री भतपहरी केंद्र की मोदी सरकार और छत्तीसगढ़ की साय सरकार के बीच गहरी खाई खोदने में लगे हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की योजना रूरल रोड प्रोजेक्ट की ठेकेदारों की अरबों की देनदारियां अटका दी हैं। ईएनसी भतपहरी ने केंद्रीय मद की राशि के लेप्स होने का खतरा भी पैदा कर दिया है।
केंद्र सरकार की रूरल रोड प्रोजेक्ट-3 योजना के तहत छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है। इसकी निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग है। इस विभाग की संपूर्ण निर्माण संबंधी प्रगति और वित्तीय की जिम्मेदारी ईएनसी की होती है। रूरल रोड प्रोजेक्ट के तहत चल रहे निर्माण कार्यों के समस्त भुगतान भी सीधे ईएनसी के माध्यम सेही होता है, ताकि इस प्रोजेक्ट में कार्य कर रहे ठेकेदारों को किसी भी प्रकार स्थानीय अधिकारी की लापरवाही का शिकार नहीं होना पड़े। केंद्र के इस महति प्रोजेक्ट को कैसे पलीता लगाते हैं, वह उनके कारनामों से उजागर हो रहा है। राज्य के बस्तर संभाग सहित सभी आदिवासी बाहुल्य इलाकों में विकास और आवागमन हेतु बनाई जा रही इस सड़कों के भुगतान को छोटे छोटे कारणों से रोक दिया जाता है। अकेले बस्तर संभाग में ही रूरल रोड प्रोजेक्ट-3 के तहत सड़क निर्माण में लगे दर्जनों ठेकेदारों के करीब 400 करोड़ रुपयों का भुगतान लटका दिया गया है। ठेकेदारों को सिर्फ आश्वासन दिया जाता है पोर्टल दुरुस्त होते ही भुगतान शुरू हो जाएगा। बरसात और दीपावली निपटने के बाद जब सड़क निर्माण कार्यों में तेजी आती है तब ही भुगतान अटका कर ठेकेदारों के कार्य में अवरोध पैदा कर दिया जाता है। जानकारों का कहना है कि बड़े अधिकारी जानबूझ कर कार्यों में देरी बड़े कराते हैं। क्योंकि कार्य में देरी का हवाला देकर ठेकेदारों से वसूली की जाती है। आरआरपी- 3 योजना में लगे कई दर्जन ठेकेदारों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की इस योजना को जानबूझ कर ये अधिकारी बदनाम करने पर तुले हुए हैं ताकि निर्माण की गति प्रभावित होने से सरकार की बदनामी हो। 31 मार्च तक अगर भुगतान नहीं होता है तो केंद्रीय मद की राशि लेप्स हो जाएगी, जिससे बदनामी सरकार की होगी और ठेकेदारों तथा उनसे जुड़े हजारों मजदूरों को नुकसान होगा। उनकी नजर में भी सरकार की ही छवि धूमिल होगी। ठेकेदारों का भुगतान अटका कर ईएनसी ने न सिर्फ केंद्र और राज्य की सरकारों के बीच टकराव के हालात पैदा कर दिए हैं, बल्कि केंद्रीय मद से प्रोजेक्ट के नाम पर मिले अरबों रुपयों के लेप्स हो जाने का खतरा भी पैदा कर दिया है। आखिर ईएनसी ऐसा क्यों कर रहे हैं, इस पर विष्णु देव साय सरकार को ध्यान देना होगा।