लौहनगरी दल्ली राजहरा का राजहरा माइंस पहाड़ी के करीब स्थित प्राकृतिक सरोवर जिनका जल स्रोत जमीन से निकली हुई जल है । जहां कहीं से भी पानी का भरने का साधन नहीं है ।पानी स्वयं जमीन से बाहर निकलता है ।पास में शीतला माता मंदिर एवं पास ही शिकारी बाबा का मंदिर है। चारों तरफ घने पेड़ पौधे हमेशा छायादार जगह पेड़ नए चारों तरफ से तलाब को ढक लिया है ।एक समय वार्ड नंबर 5 शिकारी बाबा ,वार्ड नंबर 9 एवं वार्ड नंबर 2 के रहने वाले पुरुष वर्ग नित्य कर्म के लिए इस तालाब का उपयोग करते थे । वार्ड नंबर 2 के वरिष्ठ नागरिक श्री इतवारी राम जो कि शीतला माता मंदिर का पुजारी है। उन्होंने बताया कि सन 1962 में जब माइंस का निर्माण हुआ तब वहां पर जिसे आज के आमा बगीचा के नाम से जानते है। एक बहुत बड़ा बस्ती हुआ करता था। यहां शिकारी बाबा का एक सरोवर था जहां जमीन से निकले हुए जल स्रोत से तालाब हमेशा भरा रहता था और इसमें कमल एवं ढेस के पौधे बहुतायत में होते थे। लोग यहां का पानी दैनिक उपयोग के लिए कांवर के माध्यम से लेकर जाते थे ।
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दोपहर के समय जब लोगों के घर में कूलर पंखा का अभाव था यहां पर आकर अपना समय व्यतीत करते थे । पहाड़ी से आने वाली हवा सरोवर और आसपास के पेड़ पौधे के कारण ठड महसूस होता था । आसपास विचरण करने वाले जंगली पशु पक्षी यहां पानी पीने के लिए भी आते थे । यहां के जल स्रोत से राजहरा नगर में पानी सप्लाई किया जाता था। धीरे धीरे बीएसपी प्रबंधन की उदासीनता होते गई तालाब में पहाड़ों से आने वाले मिट्टी भरता गया और यह जल स्रोत सुखता गया। वर्तमान परिस्थिति में एक कुंड बनकर रह गया है । इतवारी बैगा ने बताया कि पास के आमा बगीचा में बस्ती से एक वृद्ध पुजारी आते थे और प्रतिदिन यहां पूजा अर्चना करते थे । मां शीतला के मंदिर यहां पर कब से बना है यह 80 वर्षीय इतवारी बैगा ने भी नहीं बता पाया। इस सरोवर में महिलाओं का आना निषिद्ध है । मात्र जवारा विसर्जन या माता आने पर विसर्जन के समय ही शीतला माता के पास आने की उन्हें अनुमति है। आज स्थिति ऐसा है कि यह तालाब सूख चुका है। एक पतली धार से पानी बह रहा है जो यह दिखाता है कि पहले यहां विशाल तलाब हुआ करता था । चारों तरफ बड़ी-बड़ी झाड़ी उग आया है। देखने मात्र के लिए ही तलाब है। इन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि पहले कभी तलाब रहा होगा । एक छोटा सा पोखर के समान बन चुका है । दल्ली राजहरा नगर पालिका में आए पालिकाअध्यक्षों ने कभी इस सरोवर की सुधि नहीं ली । उनके जेहन में तो सिर्फ वार्ड नंबर 7 कॉलेज रोड स्थित तालाब , शंकर तलाव और राजहरा बाबा स्थित तलाब ही रहा ।
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लाखों रुपया इन में बर्बाद कर दिए लेकिन इस प्राकृतिक जल स्रोत के ऊपर किसी ने आज तक ध्यान नहीं दिया । नगर पालिका एवं बी एस पी प्रशासन की ओर से इस सरोवर को धरोहर बनाने की ओर कुछ भी प्रयास नहीं किया जा रहा है। वार्ड नंबर 2 के बुजुर्ग इतवारी बैगा, रवि कुमार साहू, गैंद लाल साहू एवं डॉ देशमुख ने बताया कि यह तालाब देवीय कार्य ,माता पहुंचानी, देवी विसर्जन आदि काम में भी आता था । लेकिन तलाब के पानी सूख जाने से यह सब कार्य बंद हो चुका है । आज यही स्थिति रहा तो कुछ दिन बाद प्राकृतिक सरोवर एक मैदान बनकर रह जाएगा ।इस सरोवर में आज भी वार्ड दो वार्ड नंबर 5 एवं वार्ड नंबर 9 रहने वाले लोग नहाने के लिए जाते हैं। पानी बस घुटने भर रह गया है। डॉ देशमुख ,इतवारी बैगा ,चुरामन, लोकेंद्र साहू ,रवि साहू ,गोलू ,चिंटू यादव ,डोमन साहू ,कार्तिक साहू ,धनंजय, चितरंजन, पर्वतयादव, महेश जैसे हर उम्र के लोग आज भी उस प्राकृतिक सरोवर में नहाने के लिए जाते हैं। । यह एक विचारणीय तथ्य है यह जाम कुआं का सरोवर आज भी किसी जनप्रतिनिधि या सरकार की बाट जोह रहा है । कि कोई भी आए और सरोवर का उद्धार करें
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