हंगामा है क्यों बरपा…मंत्री भेंड़िया बोलीं मेरी बातों का तोड़-मोड़ करना सियासी शरारत

0
734

(अर्जुन झा)

जगदलपुर।छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने एक कार्यक्रम के दौरान सामाजिक, पारिवारिक शांति के लिए उन पुरुषों को नसीहत दी थी जो शराब पीकर अपने घर परिवार को पीड़ा पहुंचा रहे हैं। इस मामले में एक वीडियो सोशल मीडिया में छा गया और कहा जाने लगा कि महिला मंत्री ने शराब न पीने की सलाह न देकर कम पीने की समझाइश दी है। मंत्री की समझाइश पर हंगामा खड़ा हो गया और अब इस बारे में उनका कहना है कि एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उनके द्वारा कही गई बातों को राजनीतिक शरारत के साथ तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है। भेंड़िया ने कहा कि जिन लोगों को शराब की लत लग चुकी है, उनसे मैंने छत्तीसगढ़ी में कहा कि आप लोग थोड़ा पीना-खाना कम कर दें, क्योंकि हमारी मां-बहनों को घर चलाना होता है, गृहस्थी चलानी होती है, बच्चे पालने होते हैं, इन सब परिस्थितियों में उन्हें बहुत मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है। मेरी बातों का अर्थ यही था कि शराब की लत अच्छी नहीं होती, इससे मुक्ति पानी चाहिए। शराब पीकर घर के लोगों को प्रताड़ित करना भी अच्छी बात नहीं है। बेशक, मंत्री श्रीमती भेंड़िया की भावना यही रही होगी। उनकी बातों का अर्थ भी यही रहा होगा लेकिन राजनीति में सबब और बेसबब हंगामा खड़ा न हो तो सियासत रंगहीन न हो जायेगी? यहां यह सिद्धांत एक कोने में पड़ा रहता है कि बेसबब हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं! यहां तो हंगामा खड़ा करने के मकसद से ही मुद्दे तलाशे जाते हैं। हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी पीने की ही तो नसीहत दी है… मंत्री श्रीमती भेंड़िया की बात का राजनीति से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। वे दरअसल महिलाओं की पीड़ा के संदर्भ में पीने वाले पुरुषों को समझाने का सामाजिक दायित्व निभा रही थीं। यहां तो बात का बतंगड़ बन गया। मंत्री श्रीमती भेंड़िया लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रही थीं। उनके मन में कोई राजनीतिक भाव होता तो वे किसी चतुर राजनीतिज्ञ की तरह कोई गोलमोल जवाब देकर विषय को टाल सकती थीं। किंतु उन्होंने सहज भाव से व्यावहारिक बात कह दी। यहां छत्तीसगढ़ में कायदे से शराब पर सियासत नहीं बल्कि सम्पूर्ण चिंतन होना चाहिए। बिहार जैसी परिस्थिति यहां नहीं है। यहां की आदिवासी संस्कृति में हर अवसर विशेष पर शराब का महत्व है। एक खबर सामने आई थी कि बिहार में एक आदिवासी बेटी की शादी में पारंपरिक अनुष्ठान के लिए शराब का इंतजाम करना इतना महंगा पड़ा कि कई लोग शिकंजे में फंस गए। इस दौरान बारात उस बेटी के यहां डेरा डाले रही। समझा जा सकता है कि रीति रिवाज से समझौता और किसी पाबंदी का उल्लंघन कितना संवेदनशील मामला है। यहां यह चिंतन होना चाहिए कि शराब की बढ़ती लत पर अंकुश कैसे लगाया जाय। एक बात और, वह यह कि शराब तो छत्तीसगढ़ को विकास के लिए राजस्व दे रही है, उस धुआं धक्कड़ पर निगाह डाली जाए, जिसका साधन प्रतिबंध के बावजूद पड़ोसी राज्यों से यहां आ रहा है और पड़ोसी राज्यों में जा रहा है।

This image has an empty alt attribute; its file name is ajay-692x1024.jpg
This image has an empty alt attribute; its file name is mathur-cine.jpg
This image has an empty alt attribute; its file name is image-21.png
This image has an empty alt attribute; its file name is image-1.png