तेंदूपत्ता से आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में आया बदलाव: केदार कश्यप

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  • खरीदेंगे एक एक तेंदूपत्ता, यह साय सरकार का मेरे बस्तर के परिवार जनों से वादा
  • तेंदूपत्ता आदिवासियों के लिये हरा सोना, कांग्रेस के भ्रष्टाचार का लेंगे हिसाब

जगदलपुर वनमंत्री केदार कश्यप ने आज गोलावंड क्षेत्र में स्थित तेंदूपत्ता फड़ का निरीक्षण कर संग्राहकों से भेंट की और उनसे संवाद भी किया।

भेंट के दौरान वन मंत्री केदार कश्यप ने संग्रहण कर्ताओं से कहा कि साय सरकार बस्तर ही नहीं पूरे प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहकों के घरों में खुशियां बिखेर कर रही है। हमारी विष्णुदेव साय सरकार ने तेंदूपत्ता का मूल्य बढ़ा कर हर एक पत्ता खरीदने का वादा किया था उसे हम पूरा कर रहे हैं। उन्होंने फड़ में उपस्थित संग्रहण कर्ताओं को बताया कि कांग्रेस के शासन में तेंदूपत्ता खरीदी की क्या स्थिति थी यह बात मुझसे बेहतर आप लोग समझते और जानते हैं। आज हमारे प्रदेश की साय सरकार तेंदूपत्ता सहित अन्य लघु वनोपजों की भी खरीदी कर रही है। जिससे जनजातीय समाज के जीवन में बदलाव देखने को मिल रहा है।

तेंदूपत्ता आदिवासियों का ग्रीन गोल्ड

वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि तेंदूपत्ता हमारे जनजातीय क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी परिवारों के लिए सोना के बराबर है। तेंदूपत्ता से प्राप्त होने वालi धनराशि से कोई अपने बच्चों की शादी करता है तो कोई पढ़ाई की व्यवस्था करता है। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता से आदिवासी समाज भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। आदिवासियों के हक और अधिकार पर कांग्रेस सरकार के दौरान यहां के एक पूर्व मंत्री ने डाका डालने का काम किया। कांग्रेस कार्यकाल में तेंदूपत्ता संग्राहकों की बोनस राशि पर जो डाका डालने का काम किया गया उसका हिसाब किताब साय सरकार पूरा ले रही है।

बढ़ी दर से बढ़ेगी आय

केदार कश्यप ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों के हर एक पत्ते को अपने वादे के अनुसार 5500 रुपय प्रति मानक बोरा की दर से ही ख़रीदेगी। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहण दर में बढ़ोतरी से 12 लाख 50 हजार संग्राहक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। संग्रहण दर में बढ़ोतरी से संग्राहक भाई-बहनों को 240 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होने की संभावना है।

वनोपज से आदिवासी का विकास

केदार कश्यप ने कहा कि साय सरकार गांव, गरीब, आदिवासी, किसानों, महिलाओं और युवाओं की चिंता करने वाली सरकार है। छत्तीसगढ़ की समृद्धि और खुशहाली की गारंटियां आज पूरी हो रही हैं। हमारा मुख्य फोकस बस्तर क्षेत्र पर है। बस्तर में असीम संभावनाएं हैं। जिनका यहां के विकास यहां के लोगों की उन्नति के लिये उपयोग होना चाहिए। वन, उर्वरा भूमि, नदी-नालों और खनिज संपदा से भरपूर है हमारी बस्तर की धरती। हमारी सरकार ने विकास की जो रणनीति बनाई है, उसमें स्थानीय संपदा का लाभ स्थानीय लोगों को मिलना सुनिश्चित किया जाएगा।

केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर में 65 तरह की लघु वनोपजों का संग्रहण होता है, जिसमें इमली, महुआ, अमचूर आदि का निर्यात भी किया जाता है। इनका ज्यादा से ज्यादा प्रसंस्करण और वैल्यू एडीशन स्थानीय स्तर पर ही हो, इस दिशा में हम ठोस प्रयास करेंगे। यहां पर भरपूर मात्रा में कोदो, कुटकी, रागी की उपज होती है। आज इन मोटे अनाजों की दुनिया में बहुत मांग है। इन मोटे अनाजों के भी स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन की व्यवस्था की जाएगी। मोटे अनाज के उत्पादक किसान भाई-बहनों को सरकार की ओर से पूरा प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाएगा।