- तहसीलदार की भूमिका पर ग्रामीण उठा रहे सवाल
- रेत ढोने वाले ट्रकों और ट्रेक्टरों ने गांवों की सड़कों का किया सत्यानाश
अर्जुन झा-
बकावंड विकासखंड बकावंड के ग्राम बनियागांव के पास भास्कली नदी से रेत के अवैध खनन का मामला उजागर होते ही रेत माफियाओं ने अवैध खनन और परिवहन की रफ्तार और बढ़ा दी है। रेत माफियाओं को डर है कि प्रशासन कभी भी छापेमारी कर सकता है, इसलिए वे कम समय में ज्यादा से ज्यादा रेत का भंडारण करने में लग गए हैं। वहीं रेत के इस काले कारोबार में तहसीलदार की भूमिका पर भी अब ग्रामीण सवाल उठाने लगे हैं।
हमने अपने पिछले अंक में इंद्रावती की पूरक और सहचरी भास्कली नदी में चल रहे रेत माफियाओं के तांडव की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस खबर ने रेत माफियाओं में डर पैदा कर दिया है। उन्हें डर है कि प्रशासन कभी भी कार्रवाई कर सकता है, इसलिए वे कार्रवाई होने से पहले ज्यादा से ज्यादा रेत निकाल कर उसे अपने अड्डों में जमा करने लगे हैं। रेत खनन के लिए जेसीबी और परिवहन के लिए डंपर, ट्रकों व ट्रेक्टरों की संख्या बढ़ा दी गई है। रेत माफियाओं द्वारा किए जा रहे अवैध खनन के चलते भास्कली नदी सूख चुकी है। वहीं जलधारा की दिशा बदल जाने से किसानों के खेतों का तेजी से कटाव हो रहा है। कई किसानों की जमीन आधी से भी कम हो चुकी है। भास्कली नदी बकावंड विकासखंड के बनियागांव से होकर गुजरती है और दर्जनों ग्राम पंचायतों की हजारों एकड़ कृषि रकबे को सींचती है। भास्कली नदी उड़ीसा से प्रवाहित होकर इंद्रावती में मिलने से पहले करीब 100 किमी के फासले में स्थित पचासों गांवों के खेतों को सिंचित करती है। भास्कली नदी के सहारे ही इन गांवों के किसान विभिन्न फसल लेते हैं।धान, मक्का, उड़द, आदि की खेती करते हैं,
लेकिन रेत माफियाओं ने किसानों और ग्रामीणों को भारी नुकसान पहुंचा दिया है। नदी के सूखने से खेतों की पर्याप्त सिंचाई नहीं हो पा रही है। भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, कुंए, हैंडपंप, ट्यूबवेल जवाब देने लगे हैं। किसानों और ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद तहसीलदार इस मामले में जरा भी गंभीर नहीं हैं। इससे उनकी भूमिका संदिग्ध हो चली है। ग्रामीणों का खुला आरोप है कि रेत माफियाओं को अधिकारी खुला संरक्षण दे रहे हैं। खबर प्रकाशित होने के बाद रेत माफियाओं ne रेत खनन और परिवहन की रफ्तार और भी तेज कर दी है। उन्होंने नदी से रेत निकालने और उसके परिवहन के लिए मशीनों एवं वाहनों की संख्या दुगुनी कर दी है। चर्चा है कि अधिकारियों ने उन्हें कुछ दिन की मोहलत दे दी है। इसके बाद वे दिखावे के लिए कार्रवाई करेंगे।
सड़कों का हुआ बंठाधार
ग्राम पंचायत बनियागांव और अन्य 8- 10 गांव से होकर रेत भरे भारी भरकम ट्रक एवं ट्रेक्टर चलने के कारण इन गांवों की सड़कों का बेड़ागर्क हो गया है। सड़कें धंस चुकी हैं, सड़कों पर असंख्य गड्ढे हो गए हैं। पैदल चलने और दोपहिया वाहन चलाने में बड़ी परेशानी हो रही है। धूल मिट्टी भी ग्रामवासियों को अलग परेशान किए हुए है। सबसे हैरत की बात तो यह है कि आज जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों को रेत का परिवहन करते एक भी वाहन नहीं मिला, न ही उन्हें नदी में रेत का अवैध खनन करती जेसीबी दिखी।
वर्सन
सीमा को लेकर कंफूजन
आज मैंने तहसीलदार जागेश्वरी गावड़े और आरआई प्रेमचंद झा के साथ बनियागांव जाकर मौका मुआयना किया। एक भी ट्रक, ट्रेक्टर रेत का परिवहन करते नहीं मिला। नदी के बीचों बीच एक पोकलेन मशीन जरूर खड़ी थी, लेकिन सीमा को लेकर कंफ्यूजन के चलते पंचनामा व जप्ती की कार्रवाई नहीं की जा सकी। भास्कली नदी ओड़िशा और बस्तर की सीमा रेखा पर है, इसलिए यह कंफ्यूजन की स्थिति बनी है। इसकी जांच करा रहे हैं।अगर बस्तर की सीमा के अंडर अवैध खनन हो रहा होगा तो जरूर कार्रवाई की जाएगी।