भाजपा-कांग्रेस का आन्दोलन प्रशासन के लिए बना सिरदर्द, संक्रमण के आंकड़े बढ़ने की चिंता

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राजनीतिक दलो की लापरवाही कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर के लिए मददगार साबित न हो जाये!

राजनीति चमकाने कोरोना प्रोटोकाल का खुला उल्लंघन

जगदलपुर – भाजपा-कांग्रेस का आंदोलन प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है। दोनों राजनीतिक दल कोरोना प्रोटोकाल को दरकिनार कर अपनीअपनी राजनीतिक चमकाने में लगे है। जिसका खामियाजा एक बार फिर आम जनता को भुगतना पड़ सकता है। चर्चा है कि राजनीतिक दलों की लापरवाही कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर के लिए कही मददगार साबित न हो जाये। नेताओं के घरों के समक्ष आंदोलन की शुरूआत भाजपाईयों ने की है जिसका पलटवार कुछ दिन बाद ही कांग्रेस नेताओं ने कर भाजपा से हिसाब बराबर किया। अब यह आंदोलन प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है। ऐसे भी बस्तर में कोरोना संक्रमित मरीजों को आंकड़ा प्रदेश के अन्य जिलों को पीछे छोड़ते हुए 40 के उपर है। मंगलवार को प्रदेश में सबसे अधिक संक्रमित बस्तर एवं बीजापुर में मिले थे। प्रशासन को चाहिए की राजनीतिक दबाव से उपर उठकर कोरोना प्रोटोकाल के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें ताकि तीसरी लहर को टाला जा सके। ज्ञातव्य हो कि नेताओं के घरों के समक्ष एवं पार्टी कार्यालय के समक्ष विरोधा प्रदर्शन को लेकर नोंकझोंक की चर्चा इन दिनों शहर से लेकर प्रदेश तक चल रही है।

कुछ दिन पूर्व ही भाजपा के नेताओं ने शराबबंदी को लेकर सत्ताधारी दल के विधायक के निवासी के समक्ष शराब की बोतल लेकर प्रदर्शन किया था जिसके कारण सत्ताधारी दल के नेताओं को काफी ठेस पहुंची थी इसके बाद भी कांग्रेस के नेताओं ने संयम बनाकर रखा। जब कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा कार्यालय के समक्ष महंगाई के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू की तो भाजपा के नेतागण अपने नेताओं का अपमान सहन नहीं कर पाये जिसका परिणाम यह हुआ कि दोनों दल आपस में भीड़ गये और यह मामला एसपी कार्यालय तक पहुंच गया।

शहर में चर्चा है कि दोनों पार्टी के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन की मर्यादा को पार किया है जिसकी शुरूआत करने के दोषी भाजपा को माना जा रहा है।

मामला सुलझाना प्रशासन के लिए चुनौती

दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी शिकायत प्रशासन के समक्ष पहुंचा दी है। प्रशासन के सामने मामले को सुलझाना आफत बना हुआ है। प्रशासन को यह चाहिए कि कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी दबाव में निष्पक्ष कार्रवाई करे जिससे मामले को शांत किया जा सके। प्रशासन सत्ताधारी दल के निवास के समक्ष प्रदर्शन को रोकने में सफल होती तो आज हालात ऐसे नहीं होते।

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तीसरी लहर के लिए मददगार साबित न हो जाये

शहर में यह चर्चा है कि राजनीतिक दलों की लापरवाही कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर के लिए कही मददगार साबित न हो जाये। दूसरी लहर के संक्रमण से अभी पूरी तरह संभल भी नहीं पाये है कि कोरोना संक्रमण का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है। प्रदेश में रायपुर, दुर्ग सहित कई जिले संक्रमण के मामले में पीक पर थे जहां नियंत्रण पा लिया गया है। बस्तर जिला सभी जिले के आंकड़ों को पछाड़ चुका है। कोरोना संक्रमण के 24 घंटे के आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रदेश में सर्वाधिक संक्रमित मरीज बीजापुर में 59 एवं बस्तर जिले में 45 मिले है। यह आंकड़ा प्रशासन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। बस्तर जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या 3 सौ के पार है और 210 के करीब लोगों ने अपनी जान गंवा चुके है। इन मुसीबतों से भी राजनीतिक दलों ने सीख नहीं ली है और एक बार फिर आम जनता को मुसीबत में डालकर प्रशासन की भी परेशानियां बढ़ाने में जुट गये है। वर्तमान हालात को देखते हुए राजनीतिक दलों को कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए प्रशासन के सहयोग के लिए हाथ बढ़ाने की दरकार है चाहे वह सत्ताधारी दल हो या विपक्ष।

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