जगदलपुर / प्रतिनिधी । बस्तर जिला में अवैध रेत उत्खनन का कार्य प्रशासनिक संरक्षण में लगातार जारी है। जिसका नतीजा यह है कि शहर एवं आसपास के ग्रामीण अंचलों में निर्माण कार्य कर रहे आम लोगों को भारी कीमत चुका कर रेत प्राप्त हो पा रहा है और इस तरह उनके निर्माण का बजट बढ़ जाता है।
यदि खनिज विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी आम जनता के पक्ष में रहकर निभाते तो जिले में अवैध रेत का उत्खनन नहीं होता साथ ही इसके दाम पर भी प्रशासनिक नियंत्रण बना हुआ रहता। जिसका सीधा फायदा जिले के आम नागरिकों को होता, ऐसा कहना है शिवसेना के जिलाध्यक्ष डॉ. अरुण पांडेय का।
गौरतलब हो कि बस्तर जिले के कुल 19 रेत खदानों में 12 खदानों को पर्यावरण का क्लीयरेंस प्राप्त नहीं होने के कारण वे बंद हैं तथा शेष 7 रेत खदान को ही राज्य शासन ने स्वीकृति प्रदान की है। लेकिन स्थिति यह है की रेत माफियाओं द्वारा शाम ढलते ही रेत खदानों पर अवैध उत्खनन का कार्य आरंभ कर दिया जाता है तथा सुबह होने से पहले ही वाहनों एवं मशीनों को वहां से हटा दिया जाता है। शिवसेना के जिलाध्यक्ष डॉ. अरुण पाण्डेय का कहना है कि इतना बड़ा अवैध कारोबार खनिज अधिकारियों के जानकारी व संरक्षण के बिना कर पाना असंभव है। उन्होंने विभाग को आड़े हाथों लेते कहा कि खनिज विभाग चंद रेत माफियायोन के पक्ष में काम करते नजर आ रही है जबकि उन्हें वेतन आम जनता के पक्ष में काम करने के लिए प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि शहर व आसपास के अंचलों में चल रहे निर्माण कार्य का जायज़ा खनिज अधिकारियों को लेना चाहिए तथा उन्हें रेत उपलब्धता किस माध्यम से हो पा रही है इसकी जांच करनी चाहिए। अवैध रेत उत्खनन और भंडारण करने वालों के ख़िलाफ़ विभाग को कड़ी कार्यवाही किया जाना चाहिए। यदि आने वाले सप्ताह में खनिज अधिकारी द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध रेत उत्खनन व अवैध भण्डारण करने वालों के खिलाफ कार्यवाही आरंभ नहीं किया जाता तब शिवसेना खनिज विभाग के खिलाफ आंदोलन छेड़ देगी।