पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास जी द्वारा संचालित ऑनलाइन सत्संग को आज पूरे 9 माह पूर्ण हो गए
बाबाजी ने सभी भक्तजनों को इसके लिए कोटि-कोटि धन्यवाद तो प्रेषित किया ही एवं उन्हें ढेरों सारी बधाई भी दी गई
प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में किया गया जिसमें सभी भक्तगण वर्तमान में राम बालक दास जी के श्री मुख से उद्धृत गीता का श्रवण आनंद प्राप्त कर रहे हैं, एवं अपने आप को पावन पवित्र भी कर रहे हैं |
आज की गीता चर्चा में बाबा जी ने बताया कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने हमें अपनी शरण में आने को प्रेरित किया है चौथे अध्याय के 36 श्लोक में श्री कृष्ण जी कहते हैं कि संपूर्ण पापियों से भी अधिक पाप करने वाला व्यक्ति भी ज्ञान रूपी नौका से निः संदेह पार हो जाएगा, पर यह समझना जरूरी है भगवान श्री कृष्ण जी किस पाप से मुक्त होने को कह रहे हैं |
इसके लिए हमें गीता को पूरे ध्यान से पढ़ना आवश्यक है भगवान श्री कृष्ण गीता में अपने वचन से प्रत्येक वाक्य में आकाशवाणी कर रहे हैं, की हम किस प्रकार अपना उद्धार कर सकते हैं, वर्तमान में तो यही हो रहा है कि जो जितना ज्ञानी है उसे उतना ही अधिक अहंकार हो रहा है ऐसा नहीं होना चाहिए ज्ञान अपने जीवन में धारण करने की चीज है ज्ञान अर्थात पाना जिसे पाकर जीवन में परिवर्तन वैराग्य आता है लोभ लालच नहीं समर्पण त्याग आता, तो ही आपका गीता ज्ञान भी पूर्ण होगा
इस श्लोक में श्रीकृष्ण जी ने स्पष्ट किया है कि तू मेरी शरण में आ जा इस में संकोच नहीं होना चाहिए, भगवान की शरण में जाने पर यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि हमने तो पाप किए हैं भगवान हमें अपनी शरण में कैसे लेंगे, यह वही परमात्मा है जो हमारे पापों से भी हमें मुक्ति दिलवा देंगे और हमारा उद्धार करेंगे अतः निसंकोच श्री कृष्ण जी की शरण में आपको अपने पापों को धोने हेतु जाना चाहिए एवं इस गीता ज्ञान का श्रवण एवं पठन अवश्य रूप से करना चाहिए
मकर सक्रांति पर्व पर पाठक परदेसी जी ने, जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से प्रश्न किया कि मकर संक्रांति पर तिल गुड़ का दान क्यों किया जाता है, विषय को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि यहां पर भगवान शनिदेव की कथा आती है जिसमें भगवान शनिदेव अपने रुष्ट पिता सूर्य को मनाने हेतु उनको तिल और तिल के तेल से पूजन करते हैं तभी से भगवान शनि देव को भी तेल अति प्रिय है और क्योंकि मकर सक्रांति के दिन ही सूर्यनारायण मकर राशि में आते हैं और मौसम भी अपनी करवट बदलता है और यह परिवर्तन का समय होता है इसीलिए इस तरह का टिल डामन का विधान रखा गया है |
इस प्रकार आज का ज्ञान पूर्ण सत्संग पूर्ण हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम