इंद्रावती नदी की कोख उजाड़ने पर तुल गए हैं अनेक रेत माफिया

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  • पुल के करीब धड़ल्ले से किया जा रहा रेत का अवैध उत्खनन
  • माह में 1- 2 वाहन पकड़कर खानापूर्ति करते हैं अधिकारी

जगदलपुर अंचल के अनेक रेत माफिया इंद्रावती नदी की कोख को उजाड़ने पर तुल गए हैं। शहर से लगे इंद्रावती नदी के पुल के नजदीक बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन और परिवहन किया जा रहा है। इससे नदी की धारा के प्रभावित होने तटों के तथा पुल की नींव के कमजोर होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। खनिज विभाग के अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। विभागीय कर्मी माह दो माह में रेत लदी एक दो गाड़ियों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति करते हैं।इंद्रावती नदी में जिस स्थान पर रेत खनन स्वीकृति नहीं है, वहां से भी बेरोकटोक बड़े पैमाने पर रेत खनन कर उसे शहर तथा अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है। नदी तक वाहन के जाने के लिए रेत माफिया ने कच्ची सड़क का निर्माण भी कर लिया है।

बावजूद खनिज विभाग के अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। अपनी उपस्थिति दर्शाने ने के लिए वे माह में रेत परिवहन कर रही इक्का दुक्का गाड़ियों को पकड़ कर खानापूर्ति करते नजर आते हैं। इंद्रावती नदी के पुराने पुल के पास रेत का लगातार अवैध खनन किया जा रहा है। पुल के पिलरों के पास से खोदाई कर रेत निकाली जा रही है। पिलरों के आसपास काफी गहराई तक खोदाई की जा चुकी है। इससे पिलरों की बुनियाद कमजोर होती जा रही है और पुल कभी भी भरभरा कर गिर सकता है। बेतहाशा रेत निकाले जाने से नदी की धारा मुड़ रही है और इससे तटों के कटाव का खतरा पैदा हो गया है। आने वाली बारिश के दौरान तटों का कटाव नए पुल को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है। यह गंभीर खतरे का कारण बन सकता है।गर्मी का मौसम शुरू होते ही इंद्रावती नदी के जल स्तर में कमी आने लगी है। अप्रैल में जल स्तर बहुत कम हो जाने का बेजा फायदा उठाते हुए रेत माफिया ने शहर से लगे इंद्रावती नदी के पुराने पुल के पास स्थित एनीकट के समीप रेत का खनन शुरू करवा दिया है। इससे एनिकट के दरकने की आशंका बढ़ गई है।*बॉक्स**रेत खनन की ये है टाइमिंग*रेत माफिया ने रेत के अवैध खनन के लिए टाइमिंग भी तय कर रखी है। रोज सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक और शाम को 5 बजे से करीब 6 बजे तक यह रेत खनन का काम इन दिनों चोरीछिपे पुल से करीब 100 मीटर की दूरी पर किया जा रहा है। इसकी खबर खनिज विभाग के अधिकारियों को नहीं होगी, ऐसी बात नहीं है। दरअसल अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। इस स्थान से प्रतिदिन औसतन 12 ट्रैक्टर रेत नदी से निकालकर बाहर बेची जा रही है। गौरतलब है कि नदी में जिस जगह से रेत माफिया इन दिनों रेत निकलवा रहे हैं, वह जगह रेत खदान के रूप में स्वीकृत नहीं है।

महिलाओं से कराया जा रहा है रेत खनन

बालू के अवैध कारोबार से जुड़े लोग रेत खनन का काम महिलाओं से करवाते हैं। प्रति ट्रेक्टर 700 रुपए का भुगतान रेत खनन और लोडिंग के एवज में दिए जाते हैं। इसमें से 500 रु. रेत खनन करने वालों को तथा 200 रु लोडिंग करने वालों को मिलते हैं। बाहर ले जाकर एक ट्रैक्टर रेत को 1800 रु. से 2000 रुपए तक में बेचा जाता है। रेत खनन करने वाली महिलाओं ने बताया कि नदी से निकाली गई रेत को अधिकतर दोपहर के समय ले जाकर बेचा जाता है। लोग समझते हैं कि यह रेत पहले की डंप की गई है, जबकि ऐसा नहीं है। सुबह और देर शाम नदी से रेत निकालकर उसका भंडारण नदी तट के आसपास किया जाता है। जहां से रेत माफिया मांग के अनुसार उसे बाहर भेजते हैं।

रेत का अवैध भंडारण भी जोराें पर

नदी से खनन के बाद रेत को बेचने में कोई परेशानी न हो इसके मद्देनजर नदी के ऊपरी हिस्से में रेत का अवैध भंडारण इन दिनों जाेरों पर किया जा रहा है। रेत की खोदाई कर रही महिलाओं ने बताया कि रेत खरीदने के लिए यहां पर कोई व्यक्ति नदी में नहीं आता है, बल्कि रेत के कारोबार से जुड़े लोग ग्राहकों द्वारा बताए गई जगह पर रेत पहुंचा देते हैं। महिलाओं ने बताया कि यह रेत शहर में ही बेची जा रही है।