अर्जुन झा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार के बस्तर दौरे में विकास की बरसात के साथ खेल ही नहीं राजनीति के खेल में भी निराले अंदाज पेश किए। भूपेश बघेल के सियासी तरकश में तीर की कभी कोई कमी पहले भी नहीं थी। अपने जुझारू नेतृत्व में बस्तर से भाजपा का पूरा सफाया कर चुके मुख्यमंत्री अब दो मोर्चों पर एक साथ सक्रिय हैं। एक लक्ष्य है, बस्तर का सम्पूर्ण विकास, दूसरा काम है, विकास विरोधियों की अक्ल ठिकाने लगाना। राजनीतिक विरोधी दल के नेता तो ठीक, अपने राजनीतिक घराने के नेताओं को भी वे विकास के मामले में रोड़ा अटकाने की छूट नहीं देते। यहां अपने पराए का कोई भेद नहीं। जो विकास में भागीदार बनकर सामने आए, उसका स्वागत है और जो विकास के काम पर आपत्ति जताए, उसे खरा जवाब देने में कोई संकोच नहीं। हो भी क्यों?
भूपेश बघेल ने संगठन के मुखिया के रूप में बस्तर का भरोसा जिस विकास के नाम पर जीता, उसे क्रियान्वित करना उनकी प्राथमिकता होगी ही। अब बोधघाट परियोजना को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम ने सवाल खड़े किए तो सीएम बघेल ने कह दिया कि इस परियोजना से सिंचाई होगी तो सभी आदिवासियों की आर्थिक स्थिति नेताम जी जैसी हो जाएगी। इशारा साफ है कि नेताम को नेतागिरी के चक्कर में गरीब आदिवासियों के हित की योजना पर सवाल खड़े नहीं करना चाहिए। भूपेश बघेल ने यह भी कह दिया कि नेताम जी अपनी पारी खेल चुके हैं अब उन्हें दीपक बैज और राजमन बेंजाम को खेलने देना चाहिए। इस तरह भूपेश बघेल ने नेताम को इशारों इशारों में यह भी समझा दिया है कि अब वे सियासत के मैदान से बाहर हैं। राजनीति का फटाफट क्रिकेट सांसद दीपक बैज और विधायक राजमन बैंजाम खेलेंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से ये दोनों नेता बस्तर के हित की योजनाओं को लेकर विशेष रूप से सक्रिय हैं। रही बात वरिष्ठ नेता नेताम जी की तो उन्हें भी यह समझना चाहिए कि गुजरा हुआ जमाना, आता नहीं दोबारा… हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा!