अर्जुन झा
छत्तीसगढ़ की माटी में राजनीति की ऊंची नीची राहों पर राज्य की समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं की सौंधी खुशबू बिखेरने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छैरछेरा की धूम में प्रतिपक्ष भाजपा के सियासी अरमानों पर पानी फेर दिया। देश की भाजपा सरकार दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों के आंदोलन को लेकर बीते दो माह से परेशान है और इधर कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा लगातार विरोध प्रदर्शन करते हुए धान खरीदी के मुद्दे पर ताकत झोंक रही है। भाजपा यहां भूपेश बघेल सरकार पर धान खरीदी में अनियमितता का आरोप लगा रही है। उसका आरोप है कि कांग्रेस की सरकार किसान विरोधी है। वह किसान की पूरी धान न खरीदने के लिए तरह तरह की बहानेबाजी कर रही है। भाजपा किसानों की बाकी रकम के भुगतान पर भी सरकार को घेर रही है तो धान की सुरक्षा पर भी सरकार पर निशाना साधते हुए पिछले साल धान सड़ने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इस बार भी खुले मे धान भीगने की आशंका जता रही है। ऐसे समय में भाजपा को सांस्कृतिक तरीक़े से जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छेरछेरा त्यौहार पर किसानों के उत्साह में प्रत्यक्ष भागीदारी करके यह जाहिर कर दिया कि भाजपा किसानों को नाहक ही बरगलाने की कोशिश कर रही है। किसान ख़ुश हैं। उन्हें कांग्रेस के राज में उनकी समस्याओं का समाधान मिल रहा है और उनकी खुशहाली के रास्ते खुले हैं। छत्तीसगढ़ का किसान तो भाजपा के राज में पंद्रह साल तक परेशान रहा और अब उसके केंद्रीय राज में देश का किसान हालाकान है, तभी तो दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन हो रहा है। भूपेश बघेल ने राज्य के किसानों के महापर्व पर एक किसान के रूप में भी जनता के बीच भागीदारी निभाते हुए राज्य की सांस्कृतिक विरासत को पुष्ट किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांकेर के पुराना बस स्टैण्ड से मस्जिद तक दुकानों और घरों में छेरछेरा का दान मांगा। इस मौके पर जनता से उनका सीधा और आत्मीय संवाद स्थापित हुआ।
दान में मिले अन्न को मुख्यमंत्री सुपोषण और प्राप्त धन राशि को अस्पताल में खर्च करने दे दिया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत कर सूपा, टोकरी और बोरियों से भर-भरकर किया अन्न दान किया गया। ‘‘छेरछेरा, छेर बरकदिन छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेरहेरा’’ के उद्घोष के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व छेरछेरा-पुन्नी के अवसर पर विपक्षी राजनीति का जवाब लोक परम्परा नीति से दे दिया। छेरछेरा मांगकर हर्षोल्लास के साथ छेरछेरा पर्व मनाया। इस दौरान लोगों ने मुख्यमंत्री बघेल को टोकरी, सूपा और बोरी में भर-भरकर अन्न दान किया। कांकेरवासियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को तुला में तौलकर उनके वजन के बराकर अन्नदान किया। कांकेर के मुख्य मार्ग पर छेरछेरा मांग रहे मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत करते हुए खुले मन से अन्न दान किया। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छेरछेरा-पुन्नी त्यौहार के मौके पर महिलाओं, पुरूषों और बच्चों का दल घर-घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं। उत्साह और खुशीपूर्वक पारंपरिक छेरछेरा-पुन्नी का त्यौहार मनाते हैं। उन्होंने कहा कि छेरछेरा से प्राप्त अन्न को सार्वजनिक हित में भी खर्च किया जाता है। लोगों के घरों में कटाई-मिंजाई के बाद अन्न का भंडार भरा रहता है, लोगों द्वारा भी इस त्यौहार के अवसर पर खुले मन से अन्न व पैसे दान किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान भी समझते हैं कि अन्न पर पशु-पक्षी, गरीब-अमीर सहित सबका अधिकार है। अतः किसान खुले मन से दान करते हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इस वर्ष किसानों की फसल अच्छी हुई है। राज्य सरकार किसानों से समर्थन मूल्य में अब तक 86 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीद चुके हैं। धान खरीदी में कुछ दिन शेष है, इन कुछ दिनों में किसानों से और भी धान खरीदा जाएगा, जिससे प्रदेश में धान खरीदी के क्षेत्र में एक नया रिकार्ड बनेगा। इस तरह उन्होंने राजनीति का रुख लोक संस्कृति की ओर मोड़ दिया।