नई दिल्ली। लोकसभा में बीती लगभग आधी रात बस्तर सांसद दीपक बैज ने नियम 193 के तहत देश में बढ़ते कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से बचाव हेतु अपनी बात दमदारी से रखते हुए केंद्र सरकार को जमकर घेरते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पूरे देश को संकट में डालने का काम किया है। बस्तर सांसद बैज ने वैश्विक महामारी कोविड-19 से उत्पन्न गम्भीर स्थिति का जिम्मेदार केंद्र सरकार को बताया। सांसद बैज ने सभापति के माध्यम से केंद्र सरकार को घेरते हुवे कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया क्योंकि यह बीमारी बाहरी देश से आई हुई बीमारी है। जब कोविड -19 हमारे देश में आया भी नहीं था, तब हमारे नेता राहुल गांधी ने कहा था कि इस बीमारी को केंद्र सरकार गम्भीरता से लेकर उचित पहल करे। देश इस बीमारी से संकट में आएगा परन्तु यह सरकार गम्भीर नहीं हुई और पूरे देश को संकट में डालने का काम किया। वही जब कोविड-19 की पहली लहर आई तब सरकार ने आनन फानन में असफल लॉकडॉउन लगाया। सरकार द्वारा लॉकडॉउन लगाना सही है किंतु इस सरकार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से, न ही जनप्रतिनिधियों से सलाह ली और न ही विपक्षी पार्टियों से कोई सलाह मशवरा किया। इस सरकार को यह भी नहीं मालूम था कि इस देश के कितने मज़दूर अपने प्रदेश से आकर अन्य प्रदेश में फंसे हुए हैं। जब लॉकडॉउन लगाया गया था तब यह मज़दूर 8-10 दिन तक इंतजार में बैठे रहे, परन्तु बढ़ते लॉकडॉउन में मजबूर यह मज़दूर असहनशीलता व सुविधाओं के अभाव में पैदल चलने को मजबूर हो गए, न ही इन मज़दूरों के पास खाने को खाना था न पीने को पानी था। न पैर में जूते, न ही चप्पल। बेघर मज़दूरों के पैरों में छाले पड़ गए जो कि केंद्र सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। जब देश की जनता इस वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रही थी, तब सरकार ने जनता को सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया। सांसद बैज ने आगे कहा कि इस सरकार ने देश की जनता से ताली, थाली बजवाई, अगरबत्ती, टॉर्च जलवाया, न जाने क्या क्या करवाया। इससे न ही कोरोना भागा न ही कोरोना खत्म हुआ, जो कि सिर्फ इस सरकार की जुमलेबाजी साबित हुई है और इस तरह केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम रही।
सांसद बैज ने कहा कि जब कोविड-19 की दूसरी लहर आई तो देश को तहस नहस करके रख दिया। सरकार को पहले से ही दूसरी लहर की आशंका थी, तब भी यह सरकार गम्भीर नही थी, क्योंकि सरकार चुनाव की तैयारी कर रही थी। जब देश की जनता कोविड-19 से लड़ रही थी तब पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इनका मंत्रिमंडल चुनाव की तैयारियों पर लगे हुवे थे। देश के अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं थी, मरीजों के लिए न ही वेंटिलेटर थे और न ही आक्सीजन की उपलब्धता थी। लोग सड़कों पर मरीज बनकर पड़े हुए थे किंतु सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा था और इस सरकार को जनता की बिल्कुल चिंता नहीं थी। सांसद बैज ने कहा कि इस देश में ऐसी तस्वीर भी सामने आई जब एक महिला अपने पति को बचाने के लिए अपने मुंह से सांस देती रही फिर भी वह अपने पति को नहीं बचा पाई और हमारे प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल में भाषण देते रहे।उत्तरप्रदेश में लाशों का ढेर लग गया, उन्हें दफनाने, जलाने के लिए जगह नहीं थी। कुत्ते लाश को नोचते रहे और इस स्थिति को पूरे देश ने देखा है। जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।जब केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीनेशन का कार्य राज्य सरकारों के ऊपर छोड़ दिया गया और न ही वैक्सीन दिया गया। मैं धन्यवाद देता हूँ हमारे छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को, जिसने सबसे पहले प्रदेश की जनता को वैक्सीनेशन के लिए जागरूक किया और केंद्र सरकार से वैक्सीन खरीदकर छत्तीसगढ़ में वैक्सीनेशन का कार्य करवाया और पूरे प्रदेशो के दबाव में आकर आपने वैक्सीन देने का काम किया। सांसद बैज ने सभापति से आगे कहा कि कोविड-19 से गम्भीर स्थिति का एक उदाहरण मेरे लोकसभा क्षेत्र का भी है। मेरे लोकसभा क्षेत्र में एक टीचर जब कोविड पॉजिटिव हुआ तब उसकी पत्नी को भी घर पर क्वारेंटाइन किया गया था, जब टीचर पति की मौत हुई तब पति की मौत के सदमे से पत्नी की भी मौत हो गई,और इंनकी दो बच्चियां भी थी, जिनको यह भी नहीं पता कि अब इस दुनिया में हमारे माता पिता नहीं रहे। सबेरे तक बच्चियां रोती रही। ऐसी हालत को हमने अपने क्षेत्र व छत्तीसगढ़ में भी देखा है और इस स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महतारी दुलार योजना के तहत उन दोनों बच्चियों का खर्च उठाने का निर्णय लिया। सरकार के अनुसार तीसरी लहर आने वाली है। बच्चों के लिए सरकार ने क्या तैयारी की है? इस सरकार को यह बताना चाहिए। सांसद बैज ने कहा कि सामने उत्तरप्रदेश का चुनाव है। सरकार का मिशन यूपी चुनाव में भाषण देने का तो नहीं है? देश दूसरी लहर से पहले ही डरा हुआ है। ओमिक्रोन की दस्तक व तीसरी लहर को अनदेखा न कर केंद्र सरकार को गम्भीरता से लेना चाहिए। अपनी नाकामी छुपाने देश के टीवी पर आकर रोने औऱ बोलने से कुछ नहीं होगा, इससे देश नही चलता। इसकी पूरी जिम्मेदारी आपको उठानी पड़ेगी।