एलमपल्ली पंचायत मामले में सचिव पर जांच दल भी मेहरबान

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जनपद के प्रमुख अधिकारी के इशारों पर मामले की लीपापोती के संकेत जांचदलों ने सरपंच का नहीं लिया बयान

जगदलपुर/सुकमा –  धूर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोन्टा जनपद क्षेत्र के एलमपल्ली पंचायत में मृत व्यक्तियों के नाम पर मस्टररोल तैयार कर राशि के बंदरबाट में सचिव पर जांच दल भी मेहरबान है। जनपद के जिम्मेदार अफसर ही मामले की लिपापोती की रणनीति तैयार कर चुके है जिसकी जांच रिपोर्ट जिला पंचायत सीईओ सुकमा को भेजी गई है। जांच दल के द्वारा सरपंच का बयान तक दर्ज नहीं किया गया। सरपंच के खिलाफ ही ग्रामीणों को भड़काने की खबर है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री का यह प्रयास है कि योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे

और ग्रामीण इलाकों में स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सके। आबकारी मंत्री के गृह जिले के पंचायत सचिव शासन की छवि को धूमिल कर बदनाम करने में जुटे है उनमे से कुछ ऐसे सचिव है जो आबकारी मंत्री के काफी करीबी माने जाते है ऐसा ही मामला सुकमा जिले के एलमपल्ली पंचायत का है जहां फर्जी मस्टररोल तैयार कर मजदूरों के राशि का बंदरबाट करने मैं कोई कसर नहीं छोड़ा गया है। यहां तक की मृत मजदूरो के नाम का उपयोग कर राशि का बंदरबाट किया जा चुका है।

जांच महज खानापूर्ति मृतक के नाम फर्जी मस्टररोल एवं पंचायत के विकास कार्यों की राशि का घालमेल किए जाने की शिकायत वहां के सरपंच हिमानी मरकाम के द्वारा सुकमा कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को जांच के आदेश दिये थे। पांच सदस्यीय टीम के द्वारा मामले की जांच की गई है। जांच रिपोर्ट भी जिला सीईओ को जनपद सीईओ कोटा के द्वारा सौंपी जा चुकी है। सरपंच हिमानी मरकाम ने आरोप लगाया है कि जांच दल जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है। सचिव के चहेते लोगों का बयान दर्ज कर खानापूर्ति किया गया है। गांव में यह भ्रम फैला दिया गया है कि सरपंच दोरनापाल में रहती है। सरपंच का कहना है कि सचिव के द्वारा मनमानी ढंग से कार्यों को अंजाम दिया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि फर्जी मस्टररोल में सरपंच का नाम भी दर्ज है इसके बाद भी बयान न लेना जांच दल भी संदेह के दायरे में

खबर है कि कोटा जनपद के जिम्मेदार अधिकारी के इशारों पर ही जांच में खानापूर्ति करने के संकेत दिया गया था। पंचायत के विकास कार्यों की राशि के बंदरबाट का कमीशन जनपद के जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंचता है इसलिए सचिव को बचाने का पूरा प्रयास किया गया है और उस आधार पर रिपोर्ट तैयार कर जिला पंचायत को सौंपा गया है।

मस्टरोल में सरपंच एवं शिक्षक का नाम भी शामिल: मस्टररोल में इस कदर लिपापोती की गई है कि सरपंच के नाम भ मस्टररोल में तैयार किया गया है जब जांच दल से पूछनने पर बताया कि सरपंच के घर वालों ने काम किया है। जांच दल से सरपंच के नाम फर्जी हस्ताक्षर मामले में पूछा गया तो गोलमोल जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

मस्टररोल में दो शिक्षक का नाम भी दर्ज है। जब जांच से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि लॉकलाउन में मजदूरी का काम किए है इसलिए उनके नाम पर मस्टररोल भरा गया है। मस्टररोल में जिन शिक्षक का नाम है उनके नाम के आगे हस्ताक्षर के बजाए अगूठा लगाया गया है,जांच दल भी इस मामले में गोलमोल जवाब दे रही है।

गलत किया है तो कार्रवाई होगी: पंचायत सचिव गिरीश कश्यप ने बताया कि शिकायत हुई है तो जांच होगी और जांच में अनिमितता पाई जायेगी तो मुझे निलंबित किया जायेगा इससे ज्यादा और क्या होगा। सचिव को भी मालुम है निलंबन के बाद बहाली तो तय है क्योंकि यह कांग्रेसी नेताओं के काफी करीबी रिपोर्ट को नहीं देखाः सुकमा जिला पंचायत सीईओ श्री कंवर ने बताया कि मुख्यमंत्री प्रवास और कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण जांच रिपोर्ट नहीं देख पाया हूं। जांच रिपोर्ट देखने के बाद ही कछ निर्णय लिया जायेगा |