चलो, बुलावा आया है- पिता पुत्र को ईडी ने बुलाया है; कवासी लखमा और हरीश से आज होगी पूछताछ

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  •  ईडी ने जुटा लिए हैं अहम सबूत हो सकती है आज दोनों की गिरफ्तारी 

-अर्जुन झा-

जगदलपुर पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके पुत्र हरीश कवासी को ईडी का बुलावा आ गया है। पिता पुत्र से 3 जनवरी को ईडी के रायपुर कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। चर्चा है कि पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।

छत्तीसगढ़ के 2161 करोड़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में कवासी लखमा का बड़ा रोल होने की चर्चा रही है। बीते लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान ही कवासी लखमा के सिर पर ईडी की तलवार लटक रही थी। उस समय ईडी कार्रवाई करती तो कांग्रेसी तोहमत लगाते कि चुनाव को प्रभावित करने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। हलांकि अब भी कांग्रेसी यही राग आलाप रहे हैं। वे ईडी की ताजा कार्रवाई को निकाय और पंचायत चुनावों से जोड़कर पेश करने लगे हैं, मगर कांग्रेस के सुलझे हुए बड़े नेता सच्चाई जानते हैं और कवासी लखमा को नेक सलाह दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शराब घोटाला मामले में ईडी ने रायपुर, धमतरी व सुकमा में बड़ी छापेमारी की थी। लगातार आठ घंटे चली छापेमारी में ईडी ने कई अहम डिजिटल सबूत हाथ लगने का दावा किया है। ईडी ने माना है कि पूर्व आबकारी मंत्री तक भी घोटाले की बड़ी रकम हर माह पहुंचती रही है। ऐसे में अब कवासी लखमा और उनके जिला पंचायत अध्यक्ष बेटे हरीश कवासी का पॉलिटिकल करियर दांव पर लग गया है।

ईडी की रायपुर यूनिट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत 28 दिसंबर को रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित सात परिसरों में तलाशी अभियान चलाया था। यह तलाशी अभियान पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आवासीय परिसर में किया गया था, जो कथित तौर पर आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नकद में अपराध की आय (पीओसी) के मुख्य प्राप्तकर्ता थे। उनके सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष पुत्र हरीश कवासी और उनके करीबी सहयोगियों के आवासीय परिसरों में भी तलाशी ली गई थी। तलाशी में ईडी ने घोटाले की अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में पीओसी के उपयोग से संबंधित सबूत जुटाने का दावा किया है। इसके अलावा तलाशी में कई डिजिटल उपकरणों की बरामदगी और जप्ती भी हुई है, जिनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड होने का संदेह है। ईडी की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले के पीओसी का अनुमान लगभग 2161 करोड़ रुपए है। ईडी की जांच से पता चला है कि कवासी लखमा शराब घोटाले के पीओसी से हर माह बड़ी

रकम कैश में लेते थे। 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ईडी की जांच से पता चला है कि पीओसी अवैध कमीशन के रूप में प्राप्त किया गया था और इसके लिए कई तरीके अपनाए गए थे।

ऐसे चला था कमीशन का खेल

पार्ट-ए कमीशन के तहत सीएसएमसीएल यानि शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा डिस्टिलर्स से खरीदी गई शराब के प्रत्येक केस के लिए रिश्वत ली गई। पार्ट-बी कच्ची शराब की बिक्री में बेहिसाब “कच्ची ऑफ -द- बुक” देशी शराब की बिक्री मामले में राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा, और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट ने जेब में डाल ली। अवैध शराब केवल राज्य द्वारा संचालित दुकानों से बेची गई। पार्ट-सी कमीशन के तहत कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई। एफएल-10 ए लाइसेंस धारकों से भी कमीशन, लिया गया जिन्हें विदेशी शराब खंड में भी कमाई करने के लिए पेश किया गया था। इस मामले में करीब 205 करोड़ रुपयों की संपत्ति कुर्क करने का एक आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है। अब तक इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अभियोजन द्वारा शिकायत के साथ-साथ दो पूरक पीसी दायर किए गए हैं, जिस पर पीएमएलए कोर्ट रायपुर द्वारा पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है। आगे की जांच जारी है।

अब क्या होगा पिता पुत्र का?

छापेमारी की प्रक्रिया और सबूतों के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ईडी ने अब कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी को पूछताछ के लिए 3 जनवरी को अपने रायपुर कार्यालय में तलब किया है। ईडी के विशेषज्ञ अधिकारी पिता पुत्र से पूछताछ करेंगे। उनके सामने कवासी लखमा की चतुराई नहीं चल पाएगी और न ही अपनी गोलमोल बातों में वे ईडी के अधिकारियों को उलझा पाएंगे। कहा तो यह जा रहा है कि ईडी के जाल में तो अब बस्तर के यह बड़बोले नेता और उनके पुत्र उलझने वाले हैं। पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी भी संभव है। इस राउंड में गिरफ्तारी नहीं हुई, तो पूछताछ के अगले राउंड में वे जरूर गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। ईडी ने दो दिन पहले मीडिया को जो जानकारी साझा की थी उसमें हालांकि नगद और अन्य कीमती वस्तुओं की जानकारी नहीं थी, लेकिन पुख्ता डिजिटल सबूत मिलने का जिक्र जरूर है। पूर्व से नामजद 5 आरोपी एजाज ढेबर, अनिल टुटेजा और बाकी के साथ कवासी लखमा और हरीश लखमा को भी आरोपी बनाए जाने की बात सामने आई है जो कवासी लखमा और हरीश कवासी के राजनीतिक भविष्य के लिए बड़ा ही दुखद साबित होगा। मंत्री रहने के दौरान कवासी लखमा अपने वरिष्ठ नेताओं को भी तुच्छ समझ बैठे थे। सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट से लगातार जीत हासिल करने से उनका गरूर इस कदर बढ़ गया था कि वे अपने सामने सभी को कुछ नहीं समझते थे। उन्हें अपने उस इकलौते मसीहा पर ही भरोसा था, जिसने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व विधायक रेखचंद जैन को निपटाने के इरादे से कवासी लखमा को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया था। अपने इसी आका की छत्रछाया में कवासी लखमा ने आबकारी मंत्री पद का दुरूपयोग करते हुए शराब घोटाले को होने दिया।चर्चा तो यह भी है कि शराब घोटाले की अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा उस आका तक भी पहुंचता था। अब आका की भी बारी करीब है।